2जी की जेपीसी पर फिर मची रार
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। 2जी घोटाले की जांच पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को लेकर विपक्ष और सरकार का टकराव एक बार फिर गहरा गया है। सरकार ने समिति में दो नए सदस्यों के निर्वाचन प्रस्ताव को विपक्षी विरोध के बावजूद राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित करा लिया। इसके बाद सरकार के रवैये से बिफरे विपक्ष ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। भाज
By Edited By: Updated: Fri, 30 Aug 2013 06:17 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। 2जी घोटाले की जांच पर बनी संयुक्त संसदीय समिति को लेकर विपक्ष और सरकार का टकराव एक बार फिर गहरा गया है। सरकार ने समिति में दो नए सदस्यों के निर्वाचन प्रस्ताव को विपक्षी विरोध के बावजूद राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित करा लिया। इसके बाद सरकार के रवैये से बिफरे विपक्ष ने सदन की कार्यवाही नहीं चलने दी। भाजपा मामले पर सभापति से फैसला मांगने की तैयारी कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक सरकार की मनमानी के खिलाफ राज्यसभा में नेता विपक्ष अरुण जेटली सभापति हामिद अंसारी को पत्र लिखकर मामले पर फैसला मांगने की तैयारी कर रहे हैं। विपक्ष को एतराज है कि जेपीसी में सदस्यों का मनोनयन सदन में राजनीतिक दलों की अनुपातिक संख्या के आधार पर होना चाहिए, न कि सत्तापक्ष के बहुमत के आधार पर। तीस सदस्यीय जेपीसी में द्रमुक नेता त्रिचि शिवा की राज्यसभा सदस्यता समाप्त होने और कांग्रेस नेता ईएमएस नचियप्पन के मंत्रिमंडल में शामिल होने से दो पद खाली हुए थे। राज्यसभा में गुरुवार को संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने दूरसंचार लाइसेंस और 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के मूल्य संबंधी मामलों की जांच पर बनी संयुक्त समिति में नए सदस्यों के चुनाव का प्रस्ताव रखा, तो जेटली ने इसका विरोध किया। जेटली के अनुसार जेपीसी में संख्या और बहुमत अहमियत रखता है। लिहाजा, मामले पर विमर्श के बाद फैसला होना चाहिए। माकपा नेता सीताराम येचुरी ने भी इसका समर्थन किया। बाद में शुक्ला ने कहा कि प्रस्ताव के समर्थन में सरकार के पास 170 सांसद मौजूद थे। दो रिक्त स्थानों को भरने के लिए सरकार की ओर से राज्यसभा के मनोनीत सदस्य अशोक गांगुली और कांग्रेस के पी. भंट्टाचार्य के चयन का प्रस्ताव रखा गया था। वैसे यह पहला मौका है जब किसी मनोनीत सदस्य को जेपीसी में स्थान दिया गया है। सरकार के प्रस्ताव पर विपक्ष के हंगामे के बीच सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित करने की नौबत भी आई। हालांकि, इससे सरकार के रुख में बदलाव नहीं आया। राजीव शुक्ला ने सदन में प्रस्ताव रखा, जो ध्वनिमत से पारित हो गया। नतीजतन सदन की कार्यवाही विपक्षी हंगामे की भेंट चढ़ गई। समिति के सदस्य और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद का कहना था कि जेपीसी की रिपोर्ट प्रभावित करने के लिए ही यह बदलाव किए गए हैं। 'गलत परंपरा डाली जा रही है। सरकार को जेपीसी में सदस्यों के मनोनयन का अधिकार नहीं है। सदस्यों के चयन पर विचार-विमर्श कर विपक्ष को भरोसे में लिया जाए।'
-अरुण जेटली, राज्यसभा में नेता विपक्ष 'इस संबंध में विचार-विमर्श किया जा चुका है। सभी मामलों पर सदन सर्वोपरि है। विपक्ष चाहे तो इस मामले पर मतदान भी कराया जा सकता है।'
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