दंगा पीड़ितों को हिंदू मुसलमान में मत बांटो
मुजफ्फरनगर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हिंदू व मुसलमान का अलग अलग ब्योरा दिए जाने पर बृहस्पतिवार को गहरी आपत्ति उठी। दंगा पीड़ितों को राहत और सुरक्षा की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से आग्रह किया कि राज्य सरकार को हिंदू व मुसलमान के आधार पर आंकड़े पेश करने
By Edited By: Updated: Fri, 18 Oct 2013 06:32 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। मुजफ्फरनगर दंगा मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हिंदू व मुसलमान का अलग अलग ब्योरा दिए जाने पर बृहस्पतिवार को गहरी आपत्ति उठी। दंगा पीड़ितों को राहत और सुरक्षा की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से आग्रह किया कि राज्य सरकार को हिंदू व मुसलमान के आधार पर आंकड़े पेश करने से रोका जाए। पीठ ने भी इस पर सहमति जताते हुए टिप्पणीं की 'मौत मौत होती है।'
पढ़ें: मुजफ्फरनगर दंगे में आरोपी एक और भाजपा विधायक गिरफ्तार सुप्रीम कोर्ट मुजफ्फरनगर दंगा मामले में सुनवाई कर रहा है। कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पीड़ितों को दी जा रही राहत और पुनर्वास के साथ ही दर्ज आपराधिक मामलों का ब्योरा पेश करने को कहा था। जिस पर राज्य सरकार की ओर से बृहस्पतिवार को पेश किए गए आंकड़ों को हिंदू व मुसलमान के आधार पर उल्लेखित किया गया था। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश वकील राजीव धवन व रवि प्रकाश मेहरोत्रा ने दंगे में मरने वाले का ब्योरा देते हुए बताया कि मुजफ्फरनगर, शामली, मेरठ, बागपत और सहारनपुर में कुल 128 मामले दर्ज हुए। इसमें 11 हिंदू घायल हुए और 57 मुसलमान जबकि 16 हिंदुओं की मौत हुई और 46 मुसलमानो की। इसी तरह दर्ज मामलों में अभियुक्तों का विवरण भी हिंदू व मुसलमान के आधार पर अलग-अलग दिया गया। राज्य सरकार ने बताया कि इन पांच जिलों में कुल 876 लोग अभियुक्त हैं जिनमें से अभी तक 243 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। 12 लोगों पर रासुका लगाई गई है और 16,112 लोगों के खिलाफ प्रिवेंटिव एक्शन लिया गया है। इसके अलावा 5,708 लोगों से अच्छे आचरण का बंधपत्र लिया गया है। सरकार ने बताया है कि कुल 128 एफआइआर के अलावा गत 13 अक्टूबर तक राहत शिविरों में भी 352 एफआइआर और शिकायतें दर्ज कराई गई हैं।
स्टिंग ऑपरेशन पर सरकार ने कहा कि उसे पूरे फुटेज नहीं मिले हैं। वैसे भी विधानसभा ने इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है। जिसने जांच शुरू कर दी है। हालांकि राज्य सरकार ने स्टिंग ऑपरेशन का मुद्दा उठाने वाली याचिकाओं और इलाहबाद हाई कोर्ट से स्थानांतरित होकर आई याचिकाओं का विस्तृत जवाब देने के लिए कोर्ट से 18 नवंबर तक का समय मांग लिया है। कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह विशेष तौर पर मनोज कुमार की याचिका में लगाए गए उन आरोपों का जवाब दे जिनमें कुछ गांवों में हथियार व गोला बारूद होने और दहशत का माहौल होने की बात कही गयी है। कोर्ट 21 नवंबर को इस मामले में फिर सुनवाई करेगा।
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