भारत के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने जजों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था का समर्थन करते हुए न्यायापालिका पर सवाल उठाने वाली भ्रामक खबरों की भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को बदनाम करने की मुहिम चल रही है और ये बहुत खतरनाक है। भगवान के लिए ऐसा कुछ न करो जिससे लोगों का न्यायपालिका में विश्वास डगमगा जाए। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों से अविचलित सरकार ने सोमवार को ही अचानक न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया। साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से मोदी सरकार अप्रभावित है। हालांकि, सरकार ने न्यायाधीशों की नियुक्ति वाले आयोग में 50 फीसदी हिस्सेदारी न्यायपालिका की रखकर खुद को पारदर्शी और निरपेक्ष दिखाने का संदेश दिया है।
By Edited By: Updated: Tue, 12 Aug 2014 12:50 AM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश आरएम लोढ़ा ने जजों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था का समर्थन करते हुए न्यायापालिका पर सवाल उठाने वाली भ्रामक खबरों की भर्त्सना की है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को बदनाम करने की मुहिम चल रही है और ये बहुत खतरनाक है। भगवान के लिए ऐसा कुछ न करो जिससे लोगों का न्यायपालिका में विश्वास डगमगा जाए। सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों से अविचलित सरकार ने सोमवार को ही अचानक न्यायाधीशों की नियुक्ति की कोलेजियम व्यवस्था समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया। साफ है कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख से मोदी सरकार अप्रभावित है। हालांकि, सरकार ने न्यायाधीशों की नियुक्ति वाले आयोग में 50 फीसदी हिस्सेदारी न्यायपालिका की रखकर खुद को पारदर्शी और निरपेक्ष दिखाने का संदेश दिया है।
जस्टिस लोढ़ा ने सोमवार को कोलेजियम व्यवस्था पर सवाल उठाने वाली एक जनहित याचिका खारिज करते हुए उपरोक्त सख्त टिप्पणियां की थीं। उस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि कर्नाटक हाईकोर्ट के जज केएल मंजूनाथ को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की कोलेजियम की सिफारिश प्रभावी न की जाए। साथ ही न्यायाधीशों की नियुक्ति संबंधी कोलेजियम की सारी सिफारिशें सुप्रीमकोर्ट की वेबसाइट पर डाली जाएं।
मुख्य न्यायाधीश ने न्यायपालिका की खराब हो रही छवि पर चिंता जताते हुए कहा कि लोगों को गुमराह करने की मुहिम चल रही है। सब कुछ भ्रामक तथ्यों पर आधारित है। जो हो रहा है उससे वह बहुत चिंतित हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि आप ऐसे मामले को लेकर आए हैं जो है ही नहीं। किसने बताया कि कोलेजियम ने जस्टिस मंजूनाथ की प्रोन्नति की सिफारिश की है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वे स्वयं कोलेजियम के मुखिया हैं और उन्होंने ऐसी सिफारिश नहीं की है। मालूम हो कि मीडिया में खबर आई थी कि कोलेजियम ने जस्टिस मंजूनाथ को कर्नाटक से पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट स्थानांतरित करने की सिफारिश की है और वरिष्ठता को देखते हुए मंजूनाथ कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं। जस्टिस लोढ़ा ने कहा, 'भगवान के लिए कोई ऐसा काम मत करो जिससे न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा डगमगा जाए। वे सब (सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के वर्तमान न्यायाधीश) कोलेजियम व्यवस्था से ही आए हैं।' ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू अपने ब्लॉग के जरिये कथित भ्रष्ट न्यायाधीशों की नियुक्तियों पर लगातार सवाल उठा रहे हैं।
सीजेआइ ने कहा कि वे कोलेजियम व्यवस्था के पहले बैच के हैं और उनके साथ बैठे जस्टिस आर. रोहिंग्टन इस व्यवस्था के सबसे नये जज हैं। अगर कोलेजियम व्यवस्था को फेल कहा जा रहा है तो फिर उसके सारे प्रोडेक्ट भी फेल हैं। हम भी फेल हैं और पूरी न्यायपालिका फेल है। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि चयन में कोलेजियम की अपनी सीमाएं हैं। मुख्य न्यायाधीश की ये टिप्पणियां उस समय बहुत अहम हो जाती हैं जब चारो ओर कोलेजियम व्यवस्था को बदलने की मांग उठ रही हो और सरकार ने इसे बदलने के लिए कानून में संशोधन करने का प्रस्ताव भी संसद में पेश कर दिया हो। कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोमवार को कोलेजियम सिस्टम समाप्त कर नियुक्ति की नई व्यवस्था लागू करने के लिए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग विधेयक लोकसभा में पेश किया। उन्होंने आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक भी पेश किया। आयोग का गठन होने के बाद न्यायाधीशों की नियुक्ति में न्यायपालिका का एकाधिकार समाप्त हो जाएगा और कार्यपालिका की हिस्सेदारी बढ़ जाएगी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाला यह छह सदस्यीय आयोग होगा। इस बीच सरकार ने राज्यसभा से संप्रग सरकार द्वारा पेश पुराना न्यायिक आयोग विधेयक आज वापस ले लिया। रवि शंकर प्रसाद ने इस विधेयक पर आम राय बनाने के लिए सभी दलों को पत्र भी लिखा है।
'कोई भी संपूर्ण नहीं होता। समाज भी नहीं, हम भी समाज का हिस्सा हैं। मैं कोलेजियम के जरिये पहले बैच में चुना गया। अगर कोलेजियम सही नहीं तो हम भी सही नहीं। यदि कोलेजियम फेल हो गया तो हम सब भी फेल हो जाएंगे।' - आरएम लोढ़ा मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीमकोर्ट 'सरकार न्यायापालिका की स्वतंत्रता और गरिमा के प्रति प्रतिबद्ध है। चूंकि न्यायिक सुधारों पर संविधान संशोधन की आवश्यकता होगी इसलिए व्यापक आम सहमति की जरूरत होगी।' - रविशंकर प्रसाद केंद्रीय कानून मंत्री पढ़े:
कोलेजियम की कहानी कोलेजियम व्यवस्था बदलने के लिए विकल्पों पर विचार कर रही सरकार