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साईं पूजा के कारण महाराष्ट्र में पड़ा सूखा: शंकराचार्य

द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का मानना है कि शिर्डी के साईं बाबा की पूजा के कारण महाराष्ट्र में सूखा पड़ा है।

By Manoj YadavEdited By: Updated: Mon, 11 Apr 2016 04:08 PM (IST)
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हरिद्वार। द्वारका-शारदा पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का मानना है कि शिर्डी के साईं बाबा की पूजा के कारण महाराष्ट्र में सूखा पड़ा है। शंकराचार्य के मुताबिक, साईं बाबा एक फरीक थे। भगवान की तरह उन्हें पूजा जाना अशुभ है। ऐसे में प्रकृति शाप देती है। जहां-जहां भी ऐसा हुआ है, वहां सूखा पड़ा है, बाढ़ आई है, मौत या भय का वातावरण निर्मित हुआ है। महाराष्ट्र में यह सब हो रहा है।

उनके इस बयान का विरोध भी शुरू हो गया है। समाजवादी पार्टी और शिवसेना ने इसको आस्था का सवाल बताते हुए शंकराचार्य के बयान की कड़ी आलोचना की है। इसके अलावा सीपीआई(एम) की नेता वृंदा करात ने शंकराचार्य के बयान को पूरी तरह से गैर संवैधानिक और पूरी तरह से आधारहीन बताया है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि शंकराचार्य अपनी उच्च श्रेणी वाली सोच को हर जगह थोपना चाहते हैं जो नहीं हो सकता है। करात का कहना था कि सूखा सिर्फ महाराष्ट्र में ही नहीं पड़ा है बल्कि पिछले तीन वर्षों से भारत के विभिन्न इलाके इसकी चपेट में हैं। इनमें वह इलाके भी हैं जहां साईं बाबा की पूजा नहीं होती है। यदि ऐसा ही होता तो वहां पर सूखे का प्रकोप नहीं होना चाहिए था।

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बहरहाल, यह पहला मौका नहीं है जब शंकराचार्य ने साईं बाबा की पूजा के खिलाफ मोर्चा खोला हो। इससे पहले 2014 में उन्होंने कहा था, साईं बाबा भगवान नहीं थे। उनकी पूजा नहीं होना चाहिए। यहां तक कि उन्होंने अपने भक्तों से कहा था कि मंदिरों से साईं की मूर्तियों और तस्वीरें भी हटा ली जाएं। हाल ही में उन्होंने मप्र में कहा था, पिछले 4-5 वर्षों से लगातार रबी-खरीफ सीजन में प्राकृतिक आपदाएं और ओलावृष्टि से हो रहे नुकसान की वजह साईं पूजा है। साईं पूजा बंद होनी चाहिए। अगर साईं पूजा नहीं होगी तो प्राकृतिक आपदाएं नहीं होंगी।

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उन्होंने शनि शिंगणापुर में महिलाओं के प्रवेश को भी राजनीति बताया था। शंकराचार्य ने कहा था कि धार्मिक महिलाएं कभी भी नहीं चाहेंगी कि वह गर्भगृह में जाकर पूजन करें। जिन्हें राजनीति करना है वे ही इस तरह का कार्य कर रही हैं। वहां गर्भगृह में सिर्फ पुजारियों को ही प्रवेश मिले ताकि वह पूजन कर सकें।