आम चुनावों से पहले केंद्र सरकार नए प्रयत्क्ष कर संहिता [डीटीसी] विधेयक को संसद में पेश करने की तैयारी में है। वह इसे संसद के शीतकालीन सत्र में ही पेश करना चाहती है। चुनाव से पहले संसद का यह संभवत: आखिरी सत्र होगा। लिहाजा इस डीटीसी बिल को सरकार राज्यसभा में ला सकती है। वित्त मंत्रालय जल्दी ही इस विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पेश करेगा।
By Edited By: Updated: Wed, 20 Nov 2013 10:13 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम चुनावों से पहले केंद्र सरकार नए प्रयत्क्ष कर संहिता [डीटीसी] विधेयक को संसद में पेश करने की तैयारी में है। वह इसे संसद के शीतकालीन सत्र में ही पेश करना चाहती है। चुनाव से पहले संसद का यह संभवत: आखिरी सत्र होगा। लिहाजा इस डीटीसी बिल को सरकार राज्यसभा में ला सकती है। वित्त मंत्रालय जल्दी ही इस विधेयक के मसौदे को मंजूरी के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में पेश करेगा।
नई प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक को पांच दिसंबर से शुरू हो रहे संसद के आगामी सत्र में पारित कराना मुश्किल होगा। लेकिन सरकार कम से कम इसे संसद में पेश कर देना चाहती है। इसीलिए सरकार डीटीसी बिल को राज्यसभा में पेश करना चाहती है ताकि मौजूदा लोकसभा के साथ यह विधेयक लैप्स न हो जाए। सरकार चाहती है कि उसका विधेयक चुनाव बाद भी संसद की कार्यवाही का हिस्सा बना रहे।
सांसदों को अयोग्य ठहराने से रोकने को अध्यादेश लाने की तैयारी सरकार ने नई प्रत्यक्ष कर संहिता से जुड़े विधेयक को साल 2010 में संसद में पेश किया था। बाद में इसे संसद की स्थायी समिति को सौंप दिया गया। समिति अपनी रिपोर्ट सौंप चुकी है और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि सरकार ने समिति की कमोबेश अधिकांश सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। राजस्व सचिव सुमित बोस ने उद्योग चैंबर सीआइआइ के एक सम्मेलन में स्वीकार किया कि वित्त मंत्रालय विधेयक के संशोधित मसौदे पर काम कर रहा है। सरकार इसे जल्द से जल्द संसद में पेश करना चाहती है।
वित्त मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी के मुताबिक संसदीय समिति की सिफारिशों के आधार पर विधेयक के मसौदे को संशोधित किया जा रहा है। जल्दी ही इसे पूरा कर कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। डीटीसी में आयकर की दर का चौथा स्लैब शामिल किया जा रहा है। इस स्लैब में 35 फीसद की दर से आयकर का प्रावधान है। इसके अलावा टैक्स छूट के लिए दो लाख रुपये की सीमा में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। पूर्व वित्त मंत्री और भाजपा नेता यशवंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने आयकर के जो स्लैब प्रस्तावित किए थे। सरकार ने विधेयक में उसमें मामूली तब्दीली कर दी है। संसदीय समिति ने 3-10 लाख रुपये, 10-20 लाख रुपये और 20 लाख रुपये से अधिक के तीन स्लैब की सिफारिश की थी। फिलहाल 2-5 लाख रुपये पर दस फीसद, 5-10 लाख रुपये पर 20 फीसद और 10 लाख रुपये से अधिक पर 30 फीसद के स्लैब पर आयकर लिया जाता है। अब सरकार डीटीसी में दस करोड़ रुपये से अधिक की सालाना आय पर 35 फीसद का नया स्लैब शामिल करने जा रही है।
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