पठानकोट आपरेशन के दौरान तालमेल में नहीं थी कमी: केंद्र
पठानकोट आतंकवादी हमले से निपटने में शीर्ष स्तर पर तालमेल की कमी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की अनावश्यक दखलंदाजी के आरोपों को केंद्र सरकार ने सिरे से नकार दिया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली । पठानकोट आतंकवादी हमले से निपटने में शीर्ष स्तर पर तालमेल की कमी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) की अनावश्यक दखलंदाजी के आरोपों को केंद्र सरकार ने सिरे से नकार दिया है। बुधवार को इस मामले पर हुई चर्चा के दौरान गृह मंत्री और रक्षा मंत्री दोनों ने एक आवाज में कहा कि पूरा आपरेशन अच्छे तालमेल के साथ चला। आपरेशन की कमान सेना के ही हाथों में थी।
गृह मंत्री ने यह भी बताया कि सीमा की सुरक्षा को लेकर सरकार ने तकनीकी निगरानी के उपाय बढ़ा दिए हैं। इसके तहत लेजर उपकरण का उपयोग भी शुरू किया गया है। जल्दी ही इसका इस्तेमाल पंजाब में पाकिस्तान से लगती सीमा पर भी किया जाएगा।
पठानकोट अापरेशन का खर्च मांगने पर पंजाब के सीएम केंद्र से नाराज
चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, 'विपक्ष ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार के मंत्रालयों में जो सघन सहयोग होना चाहिए था, वह नहीं था। लेकिन हकीकत में सभी एजेंसियों के बीच बहुत अच्छा तालमेल था।' उन्होंने कहा, 'पंजाब में 45 जगहों पर लेजर सिस्टम की व्यवस्था की गई है। पूरे बॉर्डर की सुरक्षा आडिट कर रहे हैं। जहां भी जो कमी पाई जाएगी, उसे दूर किया जाएगा।'
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने भी कहा कि सहयोग और तालमेल में कोई कमी नहीं थी। उन्होंने कहा, 'इस आपरेशन की कमान सेना के हाथ में थी। जहां सैन्य बल और गैर सैन्य बल मिल कर कार्रवाई करते हैं, वहां सेना के हाथ में ही कमान होती है।' आपरेशन के देर तक चलने को ले कर पर्रिकर ने कहा, 'मैंने खास तौर पर सेनाध्यक्ष को कहा था कि अब हमारे जवानों की जान नहीं जानी चाहिए। एक बार हमने उन्हें घेर लिया है तो उन्हें भागने तो नहीं देंगे। इसमें समय लग सकता है।'
तालमेल के बारे में राजनाथ ने कहा, 'गृह सचिव की अध्यक्षता में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप काम करता है, जबकि कैबिनेट सचिव के नेतृत्व में क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी काम करती है। इन सब के ऊपर प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सुरक्षा संबंधी मामलों की कैबिनेट समिति होती है। इस मामले में क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप के सारे अधिकारियों की बैठक हुई। पूरे मामले की जानकारी मुझसे ली गई और आवश्यक दिशा-निर्देश मुझसे लिया गया।'
आंतकी सूचनाएं साझा करने के लिए केंद्र सरकार ने की ठोस पहल
आपरेशन में एनएसजी को लगाए जाने के बारे में उन्होंने कहा कि वहां तीन हजार परिवार रह रहे थे और शहरी इलाके में आतंकवादी घटनाओं से निपटने के लिए एनएसजी ही प्रशिक्षित है। हालांकि आतंकवादी कहां से आए, इस संबंध में उन्होंने कुछ भी कहने से इन्कार कर दिया।
गृह मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार की चौकसी की वजह से सीमा पर घुसपैठ की घटनाओं में भारी कमी आई है। उन्होंने कहा, 'यदि सीमाओं पर हमने चौकसी नहीं बरती होती तो 45 फीसद कमी कैसे आई होती?' इसी तरह उन्होंने बताया कि बीते वर्ष शहीद हुए सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या में भी 17 फीसदी कमी आई।
पठानकोट के पैसे नहीं मांगे
गृह मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि पंजाब सरकार से पठानकोट आपरेशन के लिए कोई रकम नहीं मांगी गई है। गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा, 'कहा जा रहा है कि पठानकोट आपरेशन के लिए केंद्र सरकार ने 6.35 करोड़ रुपये पंजाब सरकार से मांगे हैं। जबकि यह रकम राज्य में केंद्रीय बलों की तैनाती को ले कर मांगी गई है, पठानकोट आपरेशन के लिए नहीं।'
अंदाज-ए-राजनाथ
इस मुद्दे पर चर्चा के दौरान राजनाथ ने अपने विशेष अंदाज में माहौल की तनातनी को दूर कर दिया। उन्होंने कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान का हवाला देते हुए उनसे पूछा कि पप्पी-शप्पी क्या होता है? सिंधिया ने जवाब में कुछ कहा, मगर इस दौरान विपक्ष सहित पूरे सदन का माहौल काफी हल्का हो गया। राजनाथ ने भी मुस्कुराते हुए दो बार कहा, 'मैं वाकई जानना चाहता हूं। इसलिए मैने पूछा है।'
केंद्र ने पठानकाेट आपरेशन के लिए मांगे 6.35 करोड़, पंजाब ने कहा-माफ कर दो