भारत में 460 ब्रांड की 7000 फ्लेवर्ड E-Cigarettes बैन, कई देश लगा चुके हैं प्रतिबंध
भारत से पहले भी दुनिया के कई देश ई-सिगरेट प्रतिबंधित कर चुके हैं। ई-सिगरेट को लेकर हुए तमाम शोध में इसे लेकर चौंकाने वाले नतीजे सामने आए हैं। जानें- क्या हैं इसके जानलेवा खतरे।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 18 Sep 2019 10:02 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। E-Cigarettes के खिलाफ अब धीरे-धीरे पूरी दुनिया में आम राय बनती दिखाई दे रही है। इसकी वजह से बढ़ते मौत के आंकड़ों पर अब दुनिया के कई देशों ने चिंता जताई है। इतना ही नहीं कुछ देशों में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा रखा है तो कुछ ऐसे भी हैं जहां इस पर आंशिक प्रतिबंध है। कुछ ऐसे भी देश हैं जहां पर इसकी बिक्री को कानूनी दर्जा मिला हुआ है। भारत भी अब इसको लेकर काफी संजीदा हो गया है। यही वजह है कि सरकार ने इसको प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है। इसका पहली बार उल्लंघन करने वालों पर एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ एक साल तक की अधिकतम कैद या दोनों का प्रावधान किया गया है। दूसरी बार में 5 लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल की जेल या दोनों का प्रावधान है। इसमें ई हुक्का भी शामिल है।
ई-सिगरेट के ब्रांड
आपको यहां पर बता दें कि सरकार के ताजा फैसले से पहले तकनीकी तौर पर इसकी बिक्री पर कोई रोक नहीं थी और न ही इसकी बिक्री के लिए सेंट्रल ड्रग्स स्टेंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (Central Drugs Standard Control Organization या CDSCO) से कोई इजाजत लेनी होती थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जुलाई 2019 तक देश में करीब 460 ई-सिगरेट के ब्रांड मौजूद थे। इसके अलावा इसके करीब सात हजार से ज्यादा फ्लेवर भी थे। अगस्त 2018 में स्वस्थ्य और परिवार मंत्रालय ने इसके विज्ञापन पर रोक लगाई थी। फरवरी 2019 में इसको लेकर CDSCO ने एक एडवाइजरी जारी कर सभी राज्यों को इसकी बिक्री की इजाजत न देने को कहा था। इसके साथ ही सभी राज्यों के ड्रग कंट्रोलर्स को कहा गया था वह इसको सुनिश्चित करें कि इसकी बिक्री न होने पाए।
क्या है ई सिगरेट ई-सिगरेट को आमतौर पर धूम्रपान के विकल्प के रूप में लिया जाता रहा है। हाल ही में कुछ ऐसी रिसर्च सामने आई हैं जिनके मुताबिक इसका सेवन अस्थमा समेत कई दूसरी बीमारियों की वजह बन सकता है। इसमें प्रयुक्त केमिकल जानलेवा हैं, इसके दुष्प्रभावों से पॉपकॉन लंग्स एवं लंग्स कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। आपको बता दें कि ई-सिगरेट एक तरह का इलेक्ट्रॉनिक इन्हेलर है, जिसमें निकोटिन और अन्य केमिकल युक्त लिक्विड भरा जाता है। ये इन्हेलर बैट्री की ऊर्जा से इस लिक्विड को भाप में बदल देता है जिससे पीने वाले को सिगरेट पीने जैसा एहसास होता है। लेकिन ई-सिगरेट में जिस लिक्विड को भरा जाता है वो कई बार निकोटिन होता है और कई बार उससे भी ज्यादा खतरनाक केमिकल। इसलिए ई-सिगरेट को सेहत के लिहाज से बिल्कुल सुरक्षित नहीं माना जा सकता है।
न्यूयॉर्क में भी बैन हुई ई सिगरेट कुछ ही दिन पहले अमेरिका के न्यूयॉर्क में इसको प्रतिबंधित किया गया है। इससे पहले भी अमेरिका के कुछ राज्य इसकी बिक्री को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर चुके हैं। फिलहाल न्यूयॉर्क में तंबाकू और मैन्थॉल की बिक्री पर रोक नहीं लगाई गई है। न्यूयॉर्क की ही बात करें तो हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि स्कूली छात्रों में ई-सिगरेट का चलन काफी बढ़ गया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक न्यूयॉर्क के हाई स्कूल के छात्रों में ई-सिगरेट के प्रयोग के मामले 2014-2018 के दौरान 160 फीसद तक बढ़ गए हैं। वहीं 12वीं के छात्रों में यह भी इसका प्रचलन बढ़ा है। इसको रोकने के मकसद और हाल ही में हुई कुछ मौतों की वजह से यह कदम उठाया गया है। अमेरिका के कुछ कॉलोनियों ने भी इसको निजी तौर पर अपने यहां पर प्रतिबंधित किया है। अब तक इस तरह की छह सौ से ज्यादा कालोनियां सामने आ चुकी हैं। कुछ ऐसे भी राज्य हैं जिन्होंने नाबालिग को ई-सिगरेट की बिक्री करना प्रतिबंधित कर दिया था। आपको बता दें कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले सप्ताह ही ई-सिगरेट उत्पादों को प्रतिबंधित करने की बात कही थी।
ई सिगरेट को लेकर चल रहा शोध ई-सिगरेट को लेकर चले शोध और इससे होती बीमारियों पर अधिकतर देशों का एक समान रुख है। हालांकि यदि इस पर प्रतिबंध की बात करें तो यहां पर इस समान विचारधारा का अभाव साफतौर पर दिखाई देता है। इसकी वजह कहीं न कहीं ई-सिगरेट के उत्पादन से जुड़ी कंपनियां भी हैं। यही वजह है कि इसको लेकर कई देशों में अब भी डिबेट चल रही है। अमेरिका की ही बात करें तो 2016 में यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसपोर्ट ने कमर्शियल फ्लाइट में ई-सिगरेट के इस्तेमाल को प्रतिबंधित कर दिया था। अमेरिका के कुछ राज्यों में इसकी रोकथाम के लिए इस पर कर बढ़ा दिए तो कुछ ने इसको सार्वजनिक स्थलों पर प्रतिबंधित कर दिया। जापान में ई-सिगरेट को गैरकानूनी घोषित किया गया है। इसके अलावा ब्राजील, सिंगापुर, शिशेल्स, ऊराग्वे में भी ई-सिगरेट पर प्रतिबंध है।
2016 से पहले लीगल थी ब्रिटेन की बात करें तो 2016 से पहले यह लीगल थी लेकिन बाद में ईयू के नियमों को लागू करने की बदौलत इस पर आशिंक प्रतिबंध लगाया गया। इसके तहत इसके विज्ञापन, निकोटिन की मात्रा और इसके फ्लेवर को कम किया गया। इसके अलावा सार्वजनिक स्थलों पर इसके सेवन पर प्रतिबंध लगाया गया। साथ ही 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को इसकी बिक्री करने पर प्रतिबंधित किया गया।
इन देशों की ये है स्थिति फरवरी 2014 में यूरोपीयन पार्लियामेंट ने इसकी रोकथाम को लेकर कदम उठाने की शुरुआत की थी। इसके तहत अप्रेल 2014 में फूड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कुछ नियम प्रस्तावित किए थे। 2014 में कनाडा ने इसको तकनीकी तौर पर गैरकानूनी घोषित किया था। हालांकि इसके बाद भी यह चोरी-छिपे बिक रही है। अर्मेनिया, बोसनिया हर्जिगोवेनिया में इसकी बिक्री नियमित नहीं है। बुल्गारिया में इसकी बिक्री को कानूनी मान्यता प्राप्त है। क्रोएशिया में इसके विज्ञापन और सार्वजनिक जगहों पर इस्तेमाल से रोक है। यहां नाबालिगों को इसकी बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है। चेक रिपब्लिक में 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी इंसान को इसकी बिक्री करना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। हालांकि यहां पर इसके विज्ञापन पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
आंशिक प्रतिबंध डेनमार्क में इसका विज्ञापन प्रतिबंधित है। इसको यहां पर औषधीय उत्पादन की श्रेणी में रखा गया है। इस्तोनिया में पहले ई- सिगरेट को प्रतिबंधित किया गया था। लेकिन 7 मार्च 2013 को आए कोर्ट के एक आदेश ने इस फैसले को पलट दिया। इसके बाद 0.7mg/ml से अधिक मात्रा वाले निकोटिन प्रोडेक्ट को बेचना गैर कानूनी है। इस मात्रा के उत्पाद को यहां पर औषधीय माना गया है। इससे अधिक मात्रा में निकोटिन वाले उत्पादन के लिए यहां किसी को लाइसेंस नहीं दिया गया है। नाबालिगों को इसकी बिक्री पूरी तरह से प्रतिबंधित है। फिनलैंड में जनवरी 2012 के बाद से ई-सिगरेट प्रतिबंधित है।
विशेष परिस्थिति में इजाजत इसी तरह से फ्रांस में भी यह प्रतिबंधित है। 2011 के बाद यहां पर इसको न तो मेडिकल डिवाइस और न ही दवा की श्रेणी में रखा गया है। 2017 में इस संबंध में एक बड़ा बदलाव करते हुए फ्रांस ने कुछ सार्वजनिक जगहों पर धुम्रपान करना प्रतिबंधित कर दिया था। इस नियम को तोडने वालों पर 150 यूरो या उससे अधिक का जुर्माना लगाने का प्रावधान है। जियोर्जिया में 2017 तक ई-सिगरेट की बिक्री नियमित नहीं थी, लेकिन, 2018 में इसको यहां पर प्रतिबंधित कर दिया गया।जर्मनी में ई-सिगरेट को नाबालिग को बेचना प्रतिबंधित है। रेस्तरां वगैरह में इसका इस्तेमाल मना है। ग्रीस में यह प्रतिबंधित तो है लेकिन विशेष परिस्थितियों में इसके इस्तेमाल की आशिंक इजाजत भी है।
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