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मोदी के अफ्रीकी दौरे में ऊर्जा सुरक्षा सबसे अहम

इसके पीछे असली वजह यहां मिले प्राकृतिक गैस का अकूत भंडार है। आने वाले दिनों में मोजाम्बिक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गैस निर्यातक देश बनेगा।

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Tue, 05 Jul 2016 09:43 PM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अफ्रीका के छोटे से देश मोजाम्बिक के प्रति दुनिया का नजरिया पिछले कुछ वर्षो से बदलने लगा है। हाल के महीनों में चीन, जापान व अमेरिकी सरकार के प्रतिनिधियों के साथ ही इन देशों की कंपनियां लगातार मोजाम्बिक की यात्रा कर रही हैं।

इसके पीछे असली वजह यहां मिले प्राकृतिक गैस का अकूत भंडार है। आने वाले दिनों में मोजाम्बिक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा गैस निर्यातक देश बनेगा। ऐसे में भारत की नजर भी मोजाम्बिक के गैस भंडार पर है। पीएम नरेंद्र मोदी इस हफ्ते मोजाम्बिक के साथ ही चार अफ्रीकी देशों की यात्रा की शुरुआत करेंगे। माना जा रहा है कि दोनो देशों के बीच गैस क्षेत्र में कुछ अहम समझौतों की नींव रखी जाएगी।

सूत्रों के मुताबिक भारत ने वर्ष 2040 तक अपनी कुल ऊर्जा खपत का 40 फीसद कम प्रदूषण फैलाने वाले इंधनों पर आधारित करने का फैसला किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत को कई देशों से भारी मात्रा में गैस खरीदनी होगी। ऐसे में मोजाम्बिक बहुत ही बढि़या विकल्प हो सकता है। अभी भारत कतर से अपनी जरुरत का दो तिहाई गैस लेता है। आने वाले दिनों में आस्ट्रेलिया और रुस से गैस लाने का करार होने के आसार हैं। लेकिन मोजाम्बिक से गैस लाना इन देशों से ज्यादा सस्ता पड़ेगा। अप्रैल, 2016 में पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेद्र प्रधान भी मोजाम्बिक की यात्रा पर गये थे और उन्होंने वहां गैस खरीद समझौते पर बातचीत की थी।

हाल ही में मोजाम्बिक सरकार की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत जैसे बड़े गैस खरीददारों के सामने आने के बाद ही उसके विशाल गैस भंडारों से गैस निकालना संभव हो पाएगा। माना जाता है कि मोजाम्बिक को गैस क्षेत्र में अगले कुछ वर्षो में 100 अरब डॉलर के निवेश की जरुरत है। यह निवेश तभी होगा जब भारत जैसे बड़े खरीददार सामने आये। मोजाम्बिक सरकार ने यहां तक कहा है कि बड़े खरीद समझौते की वजह से उसकी अर्थव्यवस्था में 24 फीसद सालाना की वृद्धि हो सकती है।

अब देखना होगा कि मोदी की यात्रा के दौरान भारतीय कंपनियों को मोजाम्बिक सरकार किस तरह की सहूलियतें देने का प्रस्ताव करती है। वैसे इस यात्रा के दौरान मोजाम्बिक से दाल खरीद समझौते पर भी करार होने जा रहा है। भारत मोजाम्बिक में दालों की खेती करने के लिए ठेका पर जमीन भी चाहता है लेकिन अभी उसके लिए बातचीत पूरी नहीं हो पाई है। मोदी मोजाम्बिक के अलावा तंजानिया, केन्या और दक्षिण अफ्रीका भी जाएंगे।

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