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हिंदी में कामकाज को लेकर मोदी सरकार के फैसले का बढ़ा विरोध

केंद्र सरकार के सरकारी विभागों और सोशल साइट्स पर सरकारी कामकाज में हिंदी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के आदेश का दक्षिण खासकर तमिलनाडु में कड़ा विरोध हो रहा है। मोदी सरकार के इस फैसले से तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता और द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि नाराज हो गए हैं।

By Edited By: Updated: Fri, 20 Jun 2014 03:05 PM (IST)
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार के सरकारी विभागों और सोशल साइट्स पर सरकारी कामकाज में हिंदी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के आदेश का दक्षिण खासकर तमिलनाडु में कड़ा विरोध हो रहा है। मोदी सरकार के इस फैसले से तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता और द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि नाराज हो गए हैं।

जयललिता ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर गृह मंत्रालय के हिंदी इस्तेमाल करने के आदेश पर आपत्ति जताई है। राज्य में एनडीए की सहयोगी पीएमके और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी केंद्र सरकार की ऐसी कोशिशों का विरोध किया है।

वहीं विवाद बढ़ता देख सरकार की ओर से भी सफाई दी गई। बीच राजभाषा ने हिंदी के इस्तेमाल पर जारी किए निर्देश की चिट्ठी फिर जारी की है। भारत सरकार के राजभाषा विभाग ने जो चिट्ठी जारी की है, उसमें लिखा है कि भारत सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों, संबद्ध कार्यालयों, अधीनस्थ कार्यालयों, उपक्रमों, निगमों, बैंकों और उनके अधिकारियों, तथा कर्मचारियों द्वारा ट्विटर, फेसबुक, ब्लॉग, गूगल, यू ट्यूब आदि जैसे सामाजिक माध्यमों पर बनाए गए आधिकारिक खातों में राजभाषा हिंदी अथवा अंग्रेजी और हिंदी दोनों का द्विभाषी रूप से प्रयोग किया जाए, जिसमें हिंदी को ऊपर रखा जाए।

जयललिता ने केंद्र के इस आदेश के खिलाफ पीएम नरेंद्र मोदी को लिखी चिट्ठी में कहा है कि सोशल मीडिया पर आधिकारिक संवाद की भाषा हिंदी की बजाय अंग्रेजी ही होनी चाहिए। पीएमके ने भी गृह मंत्रालय के हिंदी को जरूरी बताने वाले नोट की खिलाफत की है। पार्टी के संस्थापक रामदौस ने कहा कि हिंदी थोपी नहीं जानी चाहिए और सभी 22 भाषाएं आधिकारिक भाषाएं घोषित की जानी चाहिए।

जम्मू कश्मीर के मुख्ममंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उर्दू और अंग्रेजी जम्मू कश्मीर की आधिकारिक भाषाएं हैं। इसके अलावा जिसको जो भाषा उपयोग करना है, वो करे। किसी पर कोई भाषा थोपी नहीं जा सकती। बीसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा कि हिंदी को बढ़ावा देना अच्छी बात है लेकिन हमें अपने देश की समृद्ध विरासत और विविधता को भूलना नहीं चाहिए।

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