हर व्यक्ति की जांच जरूरी नहीं कोरोना वायरस का टेस्ट करवाना, ICMR के हैं दिशा निर्देश
ICMR का कहना है कि कोरोना का लक्षण 14 दिनों के अंदर दिखाई देता है। इसी दौरान इसका टेस्ट कराना चाहिए। हर व्यक्ति को इससे डर कर टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है।
By Kamal VermaEdited By: Updated: Thu, 19 Mar 2020 06:45 AM (IST)
नई दिल्ली जागरण ब्यूरो। कोरोना के कम्युनिटी ट्रांसमिशन की स्थिति से निपटने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रीसर्च (आइसीएमआर) कोरोना जांच की क्षमता को बेतहाशा बढ़ाने में जुटा है। अभी तक आइसीएमआर 72 स्थानों पर कोरोना के टेस्ट की सुविधा विकसित कर चुका है। इनमें हर लैब में प्रत्येक दिन 90 सैंपल का टेस्ट करने की क्षमता है, जिसे आसानी से बढ़ाकर 180 सैंपल तक किया जा सकता है। कोरोना मरीजों व संदिग्धों की संख्या के बाद इन सभी लैब में प्रतिदिन 500 सैंपल की जांच की जा रही है, जो पिछले हफ्ते तक 60-70 की जाती थी।
अभी तक 11500 से अधिक सैंपल की जांच की जा चुकी है। टेस्टिंग की क्षमता को बढ़ाने जुटे आइसीएमआर ने बायो-टेक्नोलाजी विभाग, डीआरडीओ और सरकारी मेडिकल कालेजों के 49 लैब को कोरोना टेस्टिंग से लैस करने का फैसला किया है और उन्हें इस हफ्ते चालू कर दिया जाएगा। इसके साथ ही आइसीएमआर ने दिल्ली और भुवनेश्वर में दो मेगा रैपिड टेस्टिंग मशीन लगा दिया है। इसमें हर मशीन 1400 सैंपल की हर दिन जांच कर सकेगी। इन मेगा रैपिड टेस्टिंग मशीनों को देश के अलग-अलग इलाकों में पांच स्थानों पर लगाने की तैयारी है, जिन्हें 10 तक बढ़ाया जा सकता है।
कोरोना की जांच के लिए विदेश से आने वाले प्रोब्स की उपलब्धता बनाए रखने के लिए आइसीएमआर 10 लाख प्रोब्स का आर्डर पहले ही दे दिया है। इसके अलावा विश्व स्वास्थ्य संगठन को भी 10 लाख प्रोब्स उपलब्ध कराने को कहा गया है। सभी व्यक्ति के कोरोना वायरस से जांच की बढ़ती मांग को आइसीएमआर ने एक बार फिर खारिज कर दिया है। डॉ. बलराम भार्गव ने कहा कि यह उन देशों में जरूरी है, जहां कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। भारत में अभी ऐसी स्थिति नहीं आई है। जांच के लिए आइसीएमआर ने नया दिशा-निर्देश जारी किया है। डॉ. भार्गव ने कहा कि जरूरत पड़ने पर इसमें संशोधन किया जाएगा।
नए दिशा-निर्देश में आइसीएमआर ने कहा कि कोरोना वायरस से ग्रसित देशों या ऐसे मरीजों के संपर्क में आने वाले के लिए 14 दिन तक अलग-थलग रखना अनिवार्य है। 14 दिन के अंदर कोरोना के लक्षण दिखने पर ही उनके सैंपल की जांच की जाए, नहीं तो इसकी कोई जरूरत नहीं है। इसके अलावा, सांस से संबंधित बीमारी से ग्रसित गंभीर मरीजों की देखभाल में लगे हेल्थकेयर वर्कर में यदि सांस से संबंधित गंभीर तकलीफ के लक्षण दिखते हों, तो उनकी कोरोना वायरस की जांच जरूर की जानी चाहिए।
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