मुझे दिल्ली दा मुंडा ही नहीं, बिहारी बाबू भी कहिए
पहले विधानसभा चुनाव व उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की करारी हार के बाद होने जा रहे इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति और तैयारियों के साथ साथ कांग्रेस नेता अजय माकन ने हमारे राज्य ब्यूरों प्रमुख अजय पांडेय से खास बातचीत में अपनी निजी जिंदगी
By Abhishake PandeyEdited By: Updated: Thu, 15 Jan 2015 01:13 PM (IST)
नई दिल्ली। पहले विधानसभा चुनाव व उसके बाद लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस की करारी हार के बाद होने जा रहे इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रणनीति और तैयारियों के साथ साथ कांग्रेस नेता अजय माकन ने हमारे राज्य ब्यूरों प्रमुख अजय पांडेय से खास बातचीत में अपनी निजी जिंदगी से जुड़े कुछ महत्वपुर्ण पलों का साझा किया। पेश है प्रमुख अंश :
आप तो खालिस दिल्ली वाले हैं। आपको ‘दिल्ली दा मुंडा’ कहा जाता है। क्या कांग्रेस को चुनावों में इसका फायदा मिलेगा? इसमें कोई दो राय नहीं कि मैं दिल्ली वाला हूं। लेकिन मेरे बारे में यह कम लोग जानते होंगे कि मेरा बचपन बिहार में बीता। मैंने अपने नौ साल बिहार में बिताए हैं। चौथी क्लास तक पढ़ाई धनबाद में की। झरिया में मेरे पिता की तैनाती थी, लिहाजा वहीं हमारा परिवार रहता था। डिनोब्ली स्कूल में शुरुआती पढ़ाई-लिखाई हुई। 1964 से 1972 तक वहीं रहा। तब बिहार बंटा नहीं था, झारखंड नहीं बना था। धनबाद चूंकि पश्चिम बंगाल के बार्डर पर है लिहाजा मैंने दुर्गा पूजा भी देखी और छठ पूजा में भी परिवार के साथ शरीक हुआ। मुझे बचपन के उन दिनों की याद बखूबी है। लिहाजा, मैं दिल्ली का हूं तो बिहार का भी हूं।क्या अब भी धनबाद जाना होता है?
हां, कई बार। मैं कांग्रेस पार्टी में झारखंड का प्रभारी रहा, लिहाजा रिश्ता तो लगातार जुड़ा ही रहा है। खास बात यह है कि एक बार मुझे पिताजी ने ही बताया कि जिस डिनोब्ली स्कूल में मैंने बचपन की पढ़ाई की, उसको जोड़ने वाली सड़क बेहद खस्ताहाल है। उन दिनों मैं केंद्र सरकार में शहरी विकास मंत्री था। मैंने विशेष फंड का आवंटन कराया और सीमेंट की पक्की सड़क बनवाई। अब भी स्कूल में मेरे साथ पढ़े कई साथी दिल्ली में मित्र हैं।कहा जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने दिल्ली में आपके सिर पर कांटों का ताज रख दिया है?
देखिए, मैं स्वतंत्रतासेनानी परिवार से ताल्लुक रखता हूं। मेरे परदादा और दादा दोनों आजादी की लड़ाई के दौरान जेल में रहे। लिहाजा, लड़ने-भिड़ने में और चुनौतियों का सामना करने में कभी भी डर नहीं लगा। मेरी दादी ने यही सिखाया भी था। वह बड़ी जीवट वाली महिला थीं। लिहाजा, जब अचानक वर्ष 2004 में जगमोहन जैसे केंद्रीय मंत्री के सामने नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ने का आदेश पार्टी ने कर दिया तो मैंने जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखाई और जीत दर्ज कर दी। लिहाजा, यदि आज मुङो पार्टी ने दिल्ली में काम करने का मौका दिया है तो मैं इसे कांटों का ताज नहीं मानता, एक चुनौती के तौर पर लेता हूं और पूरे यकीन के साथ कह सकता हूं कि इस चुनाव में कांग्रेस की वापसी तय है।ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस इस चुनाव में मुकाबले से बाहर है? यह हमारे खिलाफ दुष्प्रचार है। सच देखना है तो दिल्ली छावनी का चुनाव देख लीजिए। 60 हजार लोगों ने वोट डाले। कांग्रेस ने यहां पर न केवल अपनी दोनों सीटें बरकरार रखी हैं, बल्कि अपने वोट शेयर में 11 फीसद से अधिक की वृद्धि दर्ज की है। यदि हम मुकाबले में नहीं होते तो आखिर आम आदमी पार्टी और भाजपा का मत प्रतिशत किस प्रकार नीचे गिरता। चुनाव हो जाने दीजिए, झूठ की पोल खुल जाएगी।क्या आप मानते हैं कि बिजली के मोर्चे पर कांग्रेस की पिछली सरकार जनता की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी? यह बात सही है कि बिजली की चोरी रुकने से बीते कुछ वर्षो में निजी बिजली कंपनियों को करीब 40 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी हुई। इस पैसे का फायदा दिल्ली की आम जनता को मिलना चाहिए था। लेकिन इसमें गलती कांग्रेस की सरकार से ज्यादा दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग की है।भाजपा और आम आदमी पार्टी को लेकर क्या कहना चाहेंगे? दोनों का झूठ जनता के सामने आ चुका है। अरविंद केजरीवाल महज 49 दिनों में सरकार छोड़कर चले गए। झूठे वायदे करते रहे। अब भाजपा के सात महीने के शासन में भी लोगों ने देख लिया कि बस झूठे वादे किए जा रहे हैं। इसीलिए मुझे यकीन है कि दिल्ली जनता इस बार कांग्रेस को चुनेगी, क्योंकि हमें जनता ने जांचा भी है और परखा भी है।कांग्रेस में गुटबाजी बहुत है। आपके भी शीला दीक्षित से मतभेद रहे? देखिए मतभेद हर राजनीतिक दल में होते हैं, हमारे यहां भी हैं। मैं इससे इन्कार नहीं करता, लेकिन इन तमाम बातों के बावजूद आपको यकीन के साथ कह सकता हूं कि कांग्रेस शानदार वापसी करने जा रही है।