Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

नेत्रदान, देहदान का लो संकल्प मुफ्त इलाज का पाओ विकल्प

इलाहाबाद में देहदान व नेत्रदान का संकल्प लेने वालों को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से जुड़े स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय, मनोहरदास नेत्र चिकित्सालय में सुविधाएं मिलेगी।

By Srishti VermaEdited By: Updated: Thu, 06 Jul 2017 09:30 AM (IST)
Hero Image
नेत्रदान, देहदान का लो संकल्प मुफ्त इलाज का पाओ विकल्प

इलाहाबाद (शरद द्विवेदी)। देहदान व नेत्रदान को बढ़ावा देने और इसके प्रति समाज को जागरूक करने के मकसद से मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अनूठी पहल करने जा रहा है। यह है नेत्रदान व देहदान की घोषणा करने वालों का मुफ्त इलाज। पहल 15 अगस्त से शुरू होगी। ऐसा संकल्प लेने वाले का पहचान पत्र बनाया जाएगा। अगर कभी वह बीमार पड़ता है तो अपना पहचान पत्र दिखाकर मेडिकल कॉलेज से संबद्ध अस्पतालों में हर बीमारी का मुफ्त इलाज करा सकेगा। दवा से लेकर खाने-पीने की व्यवस्था मेडिकल कॉलेज प्रशासन सुलभ कराएगा। इलाहाबाद में देहदान व नेत्रदान का संकल्प लेने वालों को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से जुड़े स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय, मनोहरदास नेत्र चिकित्सालय में सुविधाएं मिलेगी।

यदि एसजीपीजीआइ लखनऊ अथवा अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में इलाज की जरूरत पड़ेगी तो मेडिकल कालेज प्रशासन इसके लिए संपर्क करउचित इलाज की गुजारिश करेगा। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एसपी सिंह कहते हैं कि इस पर आने वाले खर्च का बंदोबस्त चंदा कर जुटाया जाएगा। अगर मरीज संपन्न है और वह स्वयं खर्च वहन करना चाहता है, तभी उसे इसकी छूट दी जाएगी।

सिर्फ 45 पार्थिव शरीर मिले: मेडिकल कॉलेजों में देहदान की प्रक्रिया कानपुर निवासी मनोज सेंगर ने अपनी पत्नी माधवी सेंगर व परिवार के साथ 15 नवंबर 2003 से की थी। युग दधीचि देहदान अभियान के बैनर तले तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री ने 24 व्यक्तियों को शपथ दिलाकर इसकी शुरुआत कराई थी। कानपुर मेडिकल कॉलेज को 20 अगस्त 2006 को पहली देह डेरापुर कानपुर देहात के 22 वर्षीय बउआ दीक्षित की दी गई। अब तक दो हजार के लगभग लोग देहदान कर चुके हैं। मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी डिपार्टमेंट में गुजरे 14 सालों में मात्र 45 पार्थिव शरीर ही प्राप्त हुए हैं। पांच सौ के लगभग लोगों ने संकल्प पत्र भरा है।

देहदान की प्रक्रिया: मृत्यु के बाद होने वाला देहदान कोई भी कर सकता है। इसके लिए संकल्प पत्र भराया जाता है। www.deh-dan.org पर भी फार्म भर सकते हैं। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य कार्यालय में भी फार्म भरा जा सकता है। टेलीफोन नंबर 0532- 22565070 पर इसकी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

क्यों जरूरी है देहदान

चिकित्सा शिक्षा में पार्थिव शरीर अत्यंत आवश्यक है। मेडिकल छात्रों को इससे शरीर की संरचना का सही पता चलता है। किस अंग में कहां हड्डी है, नसें कहां-कहां हैं, उनका काम क्या है, इसकी जानकारी होती है। हाल के दिनों में देहदान व नेत्रदान करने वालों में इजाफा हुआ है, परंतु यह संख्या अपेक्षा से काफी कम है।

नेत्र व देह का दान करने का संकल्प लेने वाले हमारे लिए वीआइपी मरीज होंगे। उनकी विशेष देखरेख की जाएगी। मैं अपनी निगरानी में उनका इलाज कराऊंगा। किसी को बाहर इलाज की जरूरत पड़ेगी तो वहां के अस्पताल प्रशासन से संपर्क करूंगा।- डॉ. एसपी सिंह, प्राचार्य, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज

यह भी पढ़ें : स्वस्थ शरीर और खिलखिलाती जिंदगी देने का है सपना