दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश। 'केदारनाथ में तबाही नहीं, प्रलय आई है। कितनी जानें गई और कितनी बच पाईं, फिलहाल कह पाना मुश्किल है। वास्तव में स्थिति हद से ज्यादा ही भयानक है, मुझे नहीं लगता कि आने वाले कई दिनों तक यहां हालात सामान्य हो पाएंगे।' यह कहना है केदारनाथ में तबाही का मंजर अपनी आंखों से देखने और उस प्रलय को महसूस करने व
By Edited By: Updated: Wed, 19 Jun 2013 06:08 PM (IST)
दुर्गा नौटियाल, ऋषिकेश। 'केदारनाथ में तबाही नहीं, प्रलय आई है। कितनी जानें गई और कितनी बच पाईं, फिलहाल कह पाना मुश्किल है। वास्तव में स्थिति हद से ज्यादा ही भयानक है, मुझे नहीं लगता कि आने वाले कई दिनों तक यहां हालात सामान्य हो पाएंगे।' यह कहना है केदारनाथ में तबाही का मंजर अपनी आंखों से देखने और उस प्रलय को महसूस करने वाले रोशन त्रिवेदी का। गुप्तकाशी (केदारनाथ) निवासी 32 वर्षीय रोशन त्रिवेदी तीर्थ पुरोहित हैं और पिछले 16 बरस से केदारनाथ में पूजा-पाठ करते आ रहे हैं।
केदारनाथ में आई तबाही के बाद मंगलवार को रोशन आइटीबीपी के हेलीकॉप्टर से ऋषिकेश पहुंचे। उनके मनो-मस्तिष्क में तबाही का खौफ इस कदर समा गया है कि वह उसे भुलाए नहीं भूलते। संयत होने की कोशिश करते हुए वह कंपकंपाती आवाज में बताते हैं, '16 जून की रात को ही केदार घाटी ने अनहोनी के संकेत दे दिए थे। मूसलाधार बारिश के बाद शाम करीब छह बजे मंदिर के पीछे नदी-नाले उफनने लगे। कई जगह मलबा भर जाने से वहां रह रहे लोगों में खौफ पसर गया। सुबह तक मौसम के सामान्य होने की उम्मीद में उन्होंने पूरी रात आंखों ही आंखों में काटी। मगर, सुबह होते-होते राहत तो नहीं मिली बल्कि तबाही और भी करीब आ चुकी थी।
हालातों को देख कर लोग अनहोनी के मद्देनजर आशंकित थे, सुबह के साढ़े सात बजे होंगे कि केदारनाथ मंदिर से ऊपर गांधी सरोवर में अचानक धमाके की आवाज सुनाई दी। फिर तो जल प्रलय का सा नजारा था।'1रोशन बताते हैं कि इसके बाद केदारनाथ मंदिर व आसपास के क्षेत्रों में मौजूद लोगों में अफरातफरी मच गई। हम भी भैरोंनाथ चोटी की ओर भागे। पीछे मुड़कर देखा तो तबाही केदारनाथ घाटी को लील चुकी थी। जाने कितने लोग इस सैलाब में समा गए और हमारी तरह कितने लोग सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचे, कुछ पता नहीं चला। कई लोगों ने मंदिर में शरण ली, लेकिन, वहां भी कई फीट मलबा भर गया। यकीन नहीं आता कि जहां कुछ समय पहले आस्था का सैलाब उमड़ा हुआ था, वहां पलभर में ही मौत का सन्नाटा पसर गया। पैरों की सूजन और शरीर पर लगी खरोंच दिखाते हुए रोशन त्रिवेदी कहते हैं कि केदारनाथ में फिलहाल हालात सामान्य होने की कोई उम्मीद नहीं है।
मकान बहे, गुफाओं में गुजारी सारी रात चमोली। सोमवार की रात्रि को भी चमोली जिले के जोशीमठ तहसील में आपदा प्रभावित क्षेत्र में बारिश ने जमकर कहर बरपाया। हेमकुंड साहिब मार्ग पर पुलना गांव में 50 से अधिक मकान बह गए। बेघर आपदा प्रभावित ग्रामीणों ने जंगल की छानियों, गुफाओं में किसी तरह रात काटी। अभी तक फंसे यात्रियों व स्थानीय लोगों को भोजन की तक व्यवस्था नहीं की गई। पांडुकेश्वर के पास लामबगड़ में दो किलोमीटर हाईवे अलकनंदा में समा गया है। सोमवार की रात को लामबगड़ में अलकनंदा के तेज बहाव में 20 दुकानें, 20 आवासीय भवन समेत 15 से अधिक वाहन बह गए। जेपी कंपनी की भी कई मशीनें अलकनंदा के आगोश में समा गई। गोविंदघाट में अधिक तबाही हुई। यहां पूरा गुरुद्वारा नदी में बह गया। पांडुकेश्वर में शेषधार, गोकुल गेस्ट हाउस के अलावा पांडुकेश्वर निवासी जगजीत मेहता का आवासीय मकान अलकनंदा में बह गया। पटवारी चौकी भी आधी से अधिक क्षतिग्रस्त हो गई है। गोविंदघाट से आधा किलोमीटर दूर घाट गांव भी अलकनंदा की चपेट में आने से बह गया है। गोविंदघाट व पांडुकेश्वर के बीच बदरीनाथ हाइवे 250 मीटर तबाह हुआ है। नंदाकिनी नदी पर हिम ऊर्जा जल विद्युत परियोजना का उत्पादन ठप्प हो गया। जोशीमठ से राहत के लिए दो हेलीकाप्टरों के माध्यम से दो चक्कर लगाकर पांडुकेश्वर, गोविंदघाट, पुलना, भ्यूंडार, घांघरिया पर यात्रियों को बिस्कुट व रहने के लिए तिरपाल बांटे।
जाने कब पटरी पर लौटेगी जिंदगी बारिश जरूर थम गई है, लेकिन जिंदगी को पटरी पर लौटने में अभी कितना वक्त लगेगा, कहना मुश्किल है। जलभराव से जिनके घरों का सामना तबाह हो गया, वह तो दोबारा प्रयास में जुट गए हैं, लेकिन जिनके आशियाने ही उजड़ गए, उनकी सूनी आंखों में नाउम्मीदी के सिवा कुछ भी नहीं। यह है राजधानी के विभिन्न इलाकों में आपदा से हुई तबाही के बाद का नजारा। चलें पहले मोरोंवाला चलते हैं, जहां अब भी उम्मीदें पानी-पानी हैं। आधी दीवारों पर पड़े पानी के निशान बीते तीन दिन की कहानी बयां कर रहे हैं। क्षतिग्रस्त हुआ सामान खुले में बिखरा है और निगाहें टुकर-टुकर भविष्य को निहार रही हैं। किसी से हाल पूछो तो टका सा जवाब होता है 'खुद ही देख लीजिए।' अब देखते हैं एमडीडीए कॉलोनी केदारपुरम का हाल। जेसीबी रिस्पना नदी से मलबा हटाकर पानी का बहाव बदलने में जुटी है। पीड़ित अपने उजड़े आशियानों को निहार रहे हैं और तमाशाई तर्क-वितर्क में मशगूल। लेकिन, हालात बता रहे हैं कि इतना आसान नहीं है जीवन का पटरी पर आना। कमोबेश यही हाल अन्य इलाकों का भी है। टापू में फंसी जानों को नहीं मिली सहायता ऋषिकेश के सामने गंगा में बने टापू पर फंसी जिंदगियों को सोमवार को भी कोई सहायता नहीं मिल पाई। हालांकि सेना के हेलीकाप्टर ने दो राउंड लगाकर स्थिति का जायजा लिया। बुधवार को एनडीआरएफ टापू में रेस्क्यू चलाएगी। गंगा में भारी उफान के बाद त्रिवेणी घाट के ठीक सामने एक टापू उभर आया है। दोनों ओर भारी उफान होने के कारण यहां पहुंचना आसान नहीं है। मंगलवार को दैनिक जागरण ने 'टापू में फंसी है जिंदगी, कितनी हैं पता नहीं' शीर्षक के साथ समाचार प्रकाशित किया था। जिसके बाद हरकत में आए प्रशासन ने इस टापू पर निगरानी बढ़ा दी थी। हालांकि रात को ही ऋषिकेश के कुछ साहसी युवकों ने इस टापू पर ड्रैगन लाइट की मदद से रोशनी कर दी थी। मंगलवार सुबह टापू पर ऋषिकेश की ओर तीन लोग जंगल में देखे गए। दिन में दैनिक जागरण के कैमरे ने भी यहां मौजूद लोगों की गतिविधियां कैद की। जिसके बाद जिम्मेदारी से बच रहे प्रशासन की सांसे गले में आ गई। टापू तक पहुंचने के लिए उपाय सोचे जाने लगे। मगर, सभी उपाय नाकाम साबित हुए। सूचना पर सायं करीब पांच बजे सेना के दो हेलीकाप्टरों ने भी यहां टापू की जांच कर स्थिति का जायजा लिया। हालांकि यह हेलीकाप्टर टापू में फंसे लोगों को कोई मदद नहीं दे पाए। पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ममता बोहरा ने बताया कि टापू पर फंसे लोगों के रेस्क्यू के लिए एनडीआरएफ की टीम को बुलाया गया है। देर रात तक वह ऋषिकेश पहुंच जाएंगे। जैसे भी संभव हो सकेगा टापू में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू किया जाएगा। हरभजन सिंह सुरक्षित जोशीमठ। भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह अभी भी जोशीमठ के आइटीबीपी गेस्ट हाउस में रुके हुए हैं। आपदा के बाद भी उन्होंने हेमकुंड साहिब जाने का अपना इरादा नहीं त्यागा है। साथ ही उन्होंने सभी की सलामती की मन्नत भी मांगी है। 1 गौरतलब है कि क्त्रिकेटर हरभजन सिंह शनिवार को देर रात जोशीमठ पहुंचे थे। वह हेमकुंड साहिब की यात्र पर अपने जीजा समेत 12 साथियों के साथ यहां पहुंचे। भारी बारिश व आपदा के बाद अभी तक हरभजन हेमकुंड नहीं पहुंच पाए हैं। आइटीबीपी के सुनील स्थित गेस्ट हाउस में ठहरे हरभजन सिंह व साथी यहां पर बैडमिंटन, टेबिल टेनिस खेलने के साथ-साथ सेना के जवानों से रेस्क्यू की पल पल की जानकारी ले रहे हैं। आइटीबीपी क्षेत्र के आसपास घूमकर यहां के प्राकृतिक नजारों का लुफ्त भी उठा रहे हैं। मीडिया से दूरी बनाए रखने वाले हरभजन ने मंगलवार को मीडिया के माध्यम से सकुशल रहने का संदेश देते हुए कहा कि उत्तराखंड में आई इस आपदा पर उन्हें दुख है। वह सबकी सलामती के लिए मन्नत भी मांग चुके हैं। हरभजन सिंह से आइटीबीपी के जवानों, अधिकारियों के परिजनों ने भी दिन में मुलाकात की। न केवल उनके सवालों का जवाब दिया, बल्कि आटोग्राफ देकर उनसे भी इस दुख की घड़ी में पूजा अरदास व दुआ मांगने को कहा।मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर