राजनेताओं को फेसबुक के इस्तेमाल की नसीहत, दिया मोदी का उदाहरण
जनता से सीधे जुड़ने में राजनीतिज्ञों के लिए इंटरनेट एक शक्तिशाली माध्यम हो सकता है। इसके अलावा यह उनके लिए पारदर्शिता लाने में भी कारगर हो सकता है। यह कहना है, फेसबुक की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर शेरिल सेंडबर्ग का। जनता से जुड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया का इ
By Edited By: Updated: Wed, 02 Jul 2014 08:14 PM (IST)
नई दिल्ली। जनता से सीधे जुड़ने में राजनीतिज्ञों के लिए इंटरनेट एक शक्तिशाली माध्यम हो सकता है। इसके अलावा यह उनके लिए पारदर्शिता लाने में भी कारगर हो सकता है। यह कहना है, फेसबुक की चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर शेरिल सेंडबर्ग का।
जनता से जुड़ने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया और दुनिया में ऐसे राजनीतिज्ञों की संख्या बढ़ रही है। सेंडबर्ग ने कहा कि इंटरनेट से पारदर्शिता आती है। राजनीतिज्ञों को चाहिए कि फेसबुक का इस्तेमाल करें और जो वे कर रहे हैं, उसे जनता के साथ साझा करें। इसका सटीक उदाहरण नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने आम चुनाव में फेसबुक का भरपूर इस्तेमाल किया था। फेसबुक पर उनके एक करोड़ 80 लाख फॉलोअर्स हैं। फॉलोअर्स की संख्या में मोदी का ओबामा के बाद नंबर आता है। यह एक महत्वपूर्ण माध्यम है। बोलने की स्वतंत्रता का महत्व भारत की पांच दिन की यात्रा पर पहुंचीं शेरिल ने बोलने की स्वतंत्रता के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, हम सब अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। कानून भी इसका समर्थन करे, यह भी महत्वपूर्ण है।
यूजर्स डाटा के साथ कोई समझौता नहीं निजता के सवाल पर सेंडबर्ग ने कहा, हर नई तकनीक के साथ यह चिंता होती है और फेसबुक यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है कि यूजर्स के डाटा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोग विज्ञापन देखते हैं, लेकिन विज्ञापनदाता यूजर्स के डाटा को नहीं देख सकते हैं। यह यूजर्स पर निर्भर करता है कि वह किसके साथ अपनी जानकारी साझा करना चाहते हैं।
विशेषकर अमेरिकी सरकार द्वारा निगरानी किए जाने संबंधी खुलासा होने के बाद दुनिया में गूगल, याहू और फेसबुक सहित अन्य तकनीकी कंपनियों से यूजर्स के निजता को लेकर चिंता बढ़ी है। इन कंपनियों ने बिना किसी कानूनी प्रक्रिया को पूरे किए बगैर किसी भी तरह के डाटा को देने संबंधी बात से इन्कार किया है। अब भारत में निवेश को भुनाएगी फेसबुक दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक अब भारत में अपने निवेश को भुनाने की तैयारी में है। सैंडबर्ग ने बुधवार को कहा कि कंपनी अब भारत में अपने कारोबार से धन जुटाने की प्रक्रिया शुरू करेगी। भारत में फेसबुक इस्तेमाल करने वालों की संख्या 10 करोड़ से अधिक है। वहीं 9 लाख लघु व मझोले उद्यम फेसबुक पर हैं। उपयोगकर्ता संख्या के लिहाज से अमेरिका के बाद भारत फेसबुक के लिए सबसे बड़ा बाजार है। सैंडबर्ग ने कहा कि हमने भारत में भारी निवेश किया है। भारत पर हमने बड़ा दाव लगाया है। अब हम अपने निवेश को भुनाने की तैयारी में हैं। हालांकि, सैंडबर्ग ने यह खुलासा नहीं किया कि फेसबुक किस तरीके से अपने निवेश को भुनाने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि भारत हमारे लिए दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। इसमें काफी क्षमता है। अमेरिका हमारे लिए सबसे बड़ा बाजार है, लेकिन जहां तक नेटवर्क पर लोगों की संख्या का सवाल है, भारत में हमारे पास काफी संभावनाएं हैं। वैश्विक स्तर पर फेसबुक यूजर्स की संख्या 1.2 अरब है। उन्होंने कहा कि 90,000 लघु और मझोले उद्यमों ने फेसबुक पर पेज बना रखे हैं जिन पर वे अपना विज्ञापन प्रस्तुत कर संभावित ग्राहकों तक पहुंच सकते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कुछ प्रतिशत अपने पेज के लिए पैसा दे रहे हैं। इससे जाहिर होता हे कि यहां वृद्धि की बड़ी संभावना है। गोपनीय अध्ययन के लिए मांगी माफी फेसबुक ने एक गोपनीय अध्ययन के लिए अपने लगभग 7 लाख यूजर्स के न्यूजफीड में गुप्त रूप से गड़बड़ी की। इस आशय की रिपोर्ट सामने आने के बाद फेसबुक पर अच्छा खासा विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि फेसबुक के अनुसंधानकर्ताओं ने इसके लिए माफी मांग ली है, पर सवाल अभी भी अपनी जगह है कि आखिर फेसबुक ये गोपनीय अध्ययन क्यों करना चाहता है? फेसबुक ने 'भावनात्मक संक्रमण' का अध्ययन करने के लिए अपने उपयोक्ताओं के न्यूजफीड में गड़बड़ी की थी। इसके जरिए वह यह जानना चाहती थी कि अलग-अलग तरह के न्यूजफीड का उपयोक्ताओं के रवैये (मूड) पर कैसे असर होता है। फेसबुक अनुसंधानकर्ताओं की मंशा यही थी कि वे यूजर्स के नकारात्मक रवैये या फिर सकारात्मक रवैये को देखें। इसी के लिए यह प्रयोग किया था। यह सबसे बड़ा सवाल है कि फेसबुक अपने एकाउंट होल्डर की निजता में आखिर क्यों ताकझांक करना चाहता है? फेसबुक के इसी प्रयोग ने उसे फिर से विवादों में खड़ा कर दिया। इस बारे में 'प्रोसिडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज ऑफ द यूएसए' में एक आलेख प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार यह अध्ययन फेसबुक, कोरनेल यूनिवर्सिटी तथा यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के शोधकर्ताओं ने 2012 में किया था, जिसकी दुनियाभर में काफी आलोचना हुई थी। सोशल नेटवर्किंग साइटों पर फेसबुक के इस कदम की आलोचना हो रही है। ऐसा पता चला है कि अपने प्रयोग को लेकर अनुसंधानकर्ताओं ने इसके लिए माफी मांगी है। पढ़े: बॉस करते हैं सोशल मीडिया का ज्यादा निजी इस्तेमाल फेसबुक मैसेंजर से भेजें क्विक वीडियो