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यवतमाल: फसल को कीड़ों से बचाने की जुगत में चली गई 20 किसानों की जान

महाराष्‍ट्र के यवतमाल में इन दिनों किसानों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। इसकी वजह वह कीटनाशक रसायन है जिसको किसान अपनी फसलों पर छिड़क रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Mon, 09 Oct 2017 11:56 AM (IST)
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यवतमाल: फसल को कीड़ों से बचाने की जुगत में चली गई 20 किसानों की जान

नई दिल्‍ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। महाराष्‍ट्र में इन दिनों अपनी कपास को कीड़े से बचाने की जुगत में किसान अनजाने में मौत को गले लगा रहे हैं। यवतमाल में ही बीते कुछ दिनों में 20 किसानों की मौत हो चुकी है। इन मौतों की वजह किसानों द्वारा खरीदा गया वह कीटनाशक बताया जा रहा है जिसे उन्‍होंने फसल पर कीड़े खत्‍म करने के लिए छिड़का था। इस कीटनाशक का नाम 'प्रोफेक्‍स सुपर' है। बताया यह गया था कि इस कीटनाशक से फसल में लगे कीड़े खत्‍म हो जाएंगे और उनकी फसल लहलहा उठेगी। इसी लालच में किसानों ने इस कीटनाशक का इस्‍तेमाल किया था। लेकिन जैसे-जैसे किसान इसका इस्‍तेमाल करते गए वैसे-वैसे ही उनकी दुनिया भी उजड़ती चली गई और किसानों की मौत का आंकड़ा भी बढ़ता चला गया है। आलम यह है कि अब यह आंकड़ा बढ़कर 20 हो गया है। पिछले कुछ दिनों में कीटनाशक रसायन के छिड़काव के कारण हुई 25 में से 20 किसानों की मौत अकेले यवतमाल जिले में ही हुई हैं।

कीटनाशक से बचाव की जानकारी का अभाव

दरअसल बीटी कॉटन उगाने वालों के लिए जिस कीटनाशक के उपयोग का प्रचार किया गया उस वक्‍त किसानों को यह बताया ही नहीं गया कि इसको इस्‍तेमाल करते समय किन चीजों का ध्‍यान रखना जरूरी है। यह भी नहीं बताया गया कि यदि इसको छिड़कने से पहले एहतियात नहीं बरती गई तो इसका अंजाम मौत होगी। हकीकत यह है कि किसानों के लिए खतरनाक हो चुके इस कीटनाशक को छिडकने से पहले शरीर का पूरी तरह से ढका होना जरूरी है। यदि नाक पर भी कपड़ा नहीं लगाया होगा तो यह सांस के सहारे शरीर के अंदर चला जाता है और इंसान की जान ले लेता है। इतना ही नहीं सावधानी के तौर पर इसको छिड़कने से पहले एप्रेन पहनना भी बेहद जरूरी होता है। लेकिन इस बारे में किसानों को कोई जानकारी नहीं दी गई। इतना ही नहीं यदि छिड़काव के दौरान शरीर में कहीं भी कटा-फटा है तो फिर उसको कोई नहीं बचा सकता है।

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अस्‍पताल में चल रहा है 800 मरीजों का इलाज

य‍ही वजह थी कि जिन किसानों ने अपने खेतों में बेहतर फसल के लिए इस कीटनाशक का छिड़काव किया वह आज इस दुनिया में नहीं हैं। इसके अलावा करीब 800 मरीजों का अस्‍पताल में इलाज चल रहा है। अनपढ़ और गरीब किसान इन मौतों के पीछे की वजह अब तक समझ पाने में नाकाम हो रहे हैं। आलम यह है कि जिन्‍हें इसकी जानकारी हो भी गई है तो भी वह पैसे के अभाव में इलाज नहीं करवा पा रहे हैं। किसानों के लिए यह दोहरी मार जैसा साबित हो रहा है। कभी सूखा तो कभी बाढ़ यहां के लोगों के लिए किसी न किसी रूप में मौत आती रही है। पिछले कुछ समय में किसानों की आत्‍महत्‍या की घटनाओं में भी यहां पर इजाफा हुआ है। इन सभी के बावजूद अभी तक महाराष्‍ट्र सरकार पूरी तरह से नहीं चेती है।

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सरकार ने किया है मुआवजे का एलान

हालांकि  महाराष्ट्र के कृषि मंत्री पांडुरंग फुंडकर का कहना है कि इस बाबत सरकार ने किसानों को जानकारी भी दी थी और कृषि विभाग ने ज्ञापन भी निकाले थे। उनके मुताबिक रेडियो से भी इसकी जानकारी लगातार दी जा रही है। इसके अलावा ग्राम सभा द्वारा भी इसकी जानकारी दी जाती है। मामला सामने आने के बाद राज्‍य के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मृतकों के परिवार को दो-दो लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया है। किसानों की कीटनाशक के कारण हुई मौत के संबंध में जांच के आदेश भी दे दिए गए हैं। साथ ही कृषि सेवा केंद्रों को भी कीटनाशक के साथ इसके छिड़काव से संबंधित जरूरी निर्देश व सुरक्षा किट उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए गए हैं। मामला सामने आने के बाद बॉंबे हाईकोर्ट की नागपुर बैंच ने मामले में नोटिस भी जारी किया है।

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प्रोफेनोफोस और साइपरमेथ्रिन का मिश्रण है 'प्रोफक्‍स सुपर'

वसंतराव नायक शेती स्‍वाबलंबन मिशन के प्रमुख किशोर तिवारी का कहना है कि इन दिनों में कपास की फसल बड़ी हो जाती है और ऐसे में उसको कीड़े लगने का खतरा बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए किसान इस तरह के कीटनाशकों का जरूरत से ज्‍यादा इस्‍तेमाल करते हैं। लेकिन इसके छिड़काव के दौरान वह एहतियात पर ध्‍यान नहीं देते हैं। उनका यह भी कहना है‍ि क 'प्रोफक्‍स सुपर' दरअसल प्रोफेनोफोस और साइपरमेथ्रिन का मिश्रण है। यह आमतौर पर इतना हानिकारक नहीं होता है। हालांकि उन्‍होंने यह जरूर माना कि यदि इसके छिड़काव के दौरान शरीर ढका न हो तो त्‍वचा से जुड़ी परेशानी त्‍वचा का जलना और सिरदर्द हो जाता है।

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कृषि सेवा केंद्र पर निर्भर किसान

सभी किसान कीटनाशक चुनने के लिए और उसकी मात्रा तय करने में निजी कृषि सेवा केंद्र पर निर्भर होते हैं। हालांकि, कौन-सा कीटनाशक कौन-सी फसल के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, कितनी मात्रा में उसका इस्तेमाल हो, सुरक्षा के क्या इंतज़ाम करने चाहिए यह सलाह देना कृषि विभाग का काम है। इसके लिए तालुका स्तर पर कृषि सहायक अधिकारी की भी नियुक्ति की जाती है।