स्मॉग से बचना है तो करने होंगे ये उपाय, नहीं तो होगी आपको ही मुश्किल
दिल्ली की आबोहवा लगातार खतरनाक हो रही है। इन हालातों को बदलने के लिए सरकार के साथ-साथ हमें भी कुछ कदम उठाने होंगे।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। दिल्ली-एनसीआर के अधिकतकर इलाकों में लगातार स्मॉग का कहर बना हुआ है। इससे वाहन चलाने वालों के साथ-साथ पैदल चलने वालों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली का खराब होता वातावरण हम सभी की देन है। अब भी यदि हम इसपर नहीं चेते तो आने वाले दिनों में दिल्ली पूरी तरह से गैस चैंबर में तब्दील हो जाएगी। ऐसा न हो इसके लिए हमें कुछ कदम खुद उठाने होंगे तो कुछ सरकार को आगे बढ़ना होगा।
दिल्ली के हालातदिल्ली में जो वातावरण आज और कल दिखाई दिया है वह यूं तो सर्दियों के आने के साथ बेहद आम होता है।इसकी वजह हवा में मौजूद नमी का होना और हवा की रफ्तार का कम होना होता है। लेकिन यदि हवा की रफ्तार बेहद कम हो जाए तो स्थिति खराब हो जाती है। सीपीसीबी के मुताबिक इसको एयरलॉक कहा जाता है।
नासा ने जारी की है तस्वीर
नासा ने दो तस्वीर जारी की हैं जिसमें पाकिस्तान से लेकर भारत के पटना तक धुएं की परत दिखाई दे रही है। इन तस्वीरों में से एक को नासा के मॉडरेट रेजोल्युशन इमेजिंग स्पेक्ट्रोरेडिओ मीटर (MODIS) ने एक्वा सैटेलाइट के जरिए खींचा है। एक दूसरी तस्वीर में एरोसोल ऑप्टिकल डेप्थ यानि की हवा में मौजूद प्रदूषित कण लाल और भूरे रंग में दिखाई दे रहे हैं।
क्या है एयरलॉक और कैसे है ये नुकसानदेह
एयरलॉक दरअसल वह स्थिति है जब हवा की रफ्तार रुक जाती है जिसमें हवा में मौजूद खतरनाक महीन कण एक ही जगह रुक जाते हैं। इसके बाद हवा में मौजूद नमी, धूल और धुआं इसको और खतरनाक बना देते हैं। जिसे स्मॉग कहा जाता है। यह दोनों ही स्थितियां छोटे बच्चों और उन लोगों के लिए जो अस्थमा की समस्या से ग्रसित होते हैं बेहद घातक साबित होता है। ऐसी स्थिति में यदि जरूरत न हो तो घर से बाहर न निकलने तक की हिदायत डॉक्टरों द्वारा समय-समय पर दी जाती है।
सूक्ष्म कणों का प्रदूषण(पॉर्टिकल पाल्यूशन)ये ठोस और तरल बूंदों के मिश्रण होते हैं। कुछ सूक्ष्म कण सीधे उत्सर्जित किए जाते हैं तो कुछ तमाम तरह के उत्सर्जनों के वातावरण में परस्पर क्रिया द्वारा अस्तित्व में आते हैं। ये तत्व इंसानी स्वास्थ्य के लिए बहुत घातक होते हैं। आकार के लिहाज से इनके दो प्रकार होते हैं:-
पीएम 2.5:
ऐसे कण जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर या इससे कम होता है। ये इतने छोटे होते हैं कि इन्हें केवल इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी द्वारा ही देखा जा सकता है। इनके प्रमुख उत्सर्जक स्नोत मोटर वाहन, पॉवर प्लांट, लकड़ियों का जलना, जंगल की आग, कृषि उत्पादों को जलाना हैं।
पीएम 10:
ऐसे सूक्ष्म कण जिनका व्यास 2.5 से लेकर 10 माइक्रोमीटर तक होता है। इन कणों के प्राथमिक स्नोत सड़कों पर वाहनों से उठने वाली धूल, निर्माण कार्य इत्यादि से निकलने वाली धूल हैं।
दुष्परिणाम:
10 माइक्रोमीटर से कम के सूक्ष्म कण से हृदय और फेफड़ों की बीमारी से मौत तक हो सकती है। सूक्ष्म कणों के प्रदूषण से सर्वाधिक प्रभावित समूह ऐसे लोग होते हैं जिन्हें हृदय या फेफड़े संबंधी रोग होते हैं।
क्या करें हम
स्मॉग और एयरलॉक जैसी स्थिति के लिए हकीकत में हम ही जिम्मेदार हैं। लेकिन अब भी यदि हम थोड़ा सचेत हो जाएं तो मुमकिन है कि आने वाले समय में इसमें हम कुछ सुधार कर सकें। इसके लिए कुछ कदम उठाने जरूरी होंगे:-
- निजी वाहन से ऑफिस जाने वाले ज्यादातर लोग कारपूल का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसा करने पर सड़क पर वाहनों का बोझ कम होगा और वाहनों के कम होने से सड़क पर धुआं भी कम होगा।
- यदि आप बस से सफर कर रहे हैं तब भी जाम या रेड लाइट होने पर ड्राइवर को ईंजन बंद करने की सलाह दें। दूसरों को भी ऐसा करने की सलाह दें। यह मुश्किल जरूर है लेकिन नामुमकिन बिल्कुल नहीं है।
- अपने घर के बाहर मौजद पानी की छींटे लगाएं जिससे बाहर पड़ी धूल हवा में न उड़ सके।
- अपने घर, गली, या मोहल्ले में मौजूद सफाईकर्मी को भी पानी का छिड़काव करने के बाद ही झाड़ू लगाने की सलाह दें।
- अपने घर, सड़क या मोहल्ले में हो रहे निर्माणकार्य को कुछ समय के लिए रोक दें और वहां पर कपड़ा लगाकर काम करवाने की सलाह दें।
- अपने घर के बाहर कूड़ा न फेंकें और न ही किसी को इसमें आग लगाने दें। कोशिश करें कि यदि आपके आसपास कोई खुली जगह हो तो वहां पर ऐसा कचरा जो मिट्टी में मिलकर खाद बन सकता हो, को मिट्टी में दबा दें।
- अपने आसपास मौजूद पेड़ों पर भी पानी का छिड़काव करें, जिससे उन पर जमी धूल की परत हट जाए और जिस मकसद से वह लगाए गए हैं वह मकसद पूरा हो सके।
क्या करे सरकार
- दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी जितनी हमारी है उतनी ही सरकार की भी है। ऐसे में सरकार को भी कुछ कदम उठाने होंगे :-
- सरकार को चाहिए कि निजी वाहनों के इस्तेमाल को कम करने के लिए लोगों में जागरुकता पैदा करे।
- इसके लिए जरूरी है कि वह लोगों की सुविधा के लिए अपने वाहनों की संख्या में इजाफा करे।
- इसके साथ ही जरूरी है कि वह अपने वाहनों से निकलने वाले धुएं की रेगलुर जांच करवाए।
- रेड लाइट पर वाहनों के ईंजन बंद करने के लिए कोई नियम कानून बनाए।
- ऐसी जगह जहां पर हर रोज जाम की स्थिति होती है वहां के लिए प्लान तैयार करे जिससे वहां पर जाम न लग सके। इसके लिए विकल्प के तौर पर दूसरे मार्ग को तलाशा जाना चाहिए।
- जाम की सूरत में यातायात पुलिस को चाहिए की वह गलत दिशा से आने वाले वाहनों पर सख्ती बरते और उनका चालान काटे। ऐसे लोगों को सजा के तौर पर वहां पर ट्रैफिक को व्यवस्थित करने में लगाना चाहिए, जिससे उन्हें इसकी अहमियत समझ में आए।
- सरकार को इस बात पर भी सोचना चाहिए कि वह सप्ताह में एक दिन निजी वाहनों को कुछ खास सड़कों पर जाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दे। लेकिन ऐसा करने से पहले उसको अपने यातायात तंत्र को पूरी तरह से सुचारू करना होगा, जिससे लोगों को दिक्कत न हो।
- लोगों को इस बात के लिए जागरुक करे वह अपने घर के सामने ऐसे पेड़ लगाएं जो वातावरण के लिहाज से हितकारी साबित हों। सरकार खुद भी ग्रीन एरिया में इजाफा करें।
- सरकारी ऑफिसों को अपने कर्मियों के लिए वाहनों की व्यवस्था करनी चाहिए। जिससे सड़कों पर वाहनों की संख्या में कमी आ सके।
- सरकार को चाहिए कि पेड़ों पर पानी का छिड़काव कर उनपर जमी मिट्टी को हटाएं।
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