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गुरमीत के लिए हनीप्रीत ने रखा करवाचौथ का व्रत, दिया कुछ ऐसा तर्क

डेरा सच्चा सौदा में करवाचौथ का दिन खास होता था। इस दिन विशेष कार्यक्रम होता था। गुरमीत के जेल जाने के बाद पहली बार यहां इस दिन रौनक नहीं दिखी।

By Rajesh KumarEdited By: Updated: Mon, 09 Oct 2017 04:59 PM (IST)
गुरमीत के लिए हनीप्रीत ने रखा करवाचौथ का व्रत, दिया कुछ ऐसा तर्क

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। करवाचौथ, जब एक पत्नी अपने सुहाग की रक्षा के लिए व्रत रखती हैं और शाम को चांद का दीदार करने के बाद ही अन्न ग्रहण करती है। ये सुहागिनों का खास त्योहार माना जाता है। लेकिन, आपको ये जानकर हैरानी होगी कि साध्वियों के बलात्कार के दोषी गुरमीत राम रहीम की मुंहबोली बेटी हनीप्रीत ने भी रविवार को व्रत रखा था। उसने भी बाकी सुहागिनों की तरह पूरे दिन कुछ भी नहीं खाया। ये सुनने के बाद आपकी इस बात को लेकर उत्सुकता जरुर बढ़ गई होगी कि आखिर हनीप्रीत ने करवाचौथ पर किसके लिए व्रत रखा। तो आइये हम आपको बताते है।

राम रहीम के लिए गुरप्रीत ने रखा करवाचौथ व्रत

दरअसल, हनीप्रीत ने करवाचौथ का व्रत 20 साल जेल की सज़ा काट रहे गुरमीत राम रहीम के लिए रखा था। रविवार को उनके बैरक में जब पुलिसकर्मी खाना लेकर पहुंचे तो उसने खाना खाने से मना कर दिया। जब हनीप्रीत से इस बारे में पूछा गया तो उसका ये तर्क था- “लोग रखते हैं ये व्रत उनके लिए जो उनका ही सुहाग हैं और हम रखते हैं व्रत हमारे पापा के लिए, जो हमारे लिए ही नहीं दोनों जहान के लिए सुहाग हैं।”

ऐसे रखा हनीप्रीत ने करवाचौथ का व्रत

पुलिस सूत्रों की मानें तो हनीप्रीत ने करवाचौथ के दिन सिर्फ पानी ही पीया। हनीप्रीत ने शनिवार को एक महिला अधिकारी से भी करवाचौथ के बारे में पूछा था। हालांकि, करवाचौथ को लेकर महिला अधिकारियों की व्यस्तता के चलते उससे ज्यादा देर तक पूछताछ नहीं हो पायी थी। एक पुलिसवाले ने बताया कि उन्होंने हनीप्रीत को अपनी साथी सुखदीप कौर से ये बात करते हुए सुना था कि- काश, आज वह अपने पिता से मिल पाती।


साध्वियों, डेरे की महिलाओं से करवाचौथ व्रत रखवाता था राम रहीम

डेरा सच्चा सौदा में करवाचौथ का दिन खास होता था। इस दिन विशेष कार्यक्रम होता था। डेरा प्रमुख गुरमीत के जेल जाने के बाद पहली बार यहां इस दिन रौनक नहीं दिखी। वरना सैकड़ों लोग करवाचौथ के दिन होने वाली मजलिस में बैठते, जिसमें छलनी व चुन्नी में से चांद की जगह गुरमीत को देखा जाता था। गुरमीत भी अनुयायियों को न केवल आशीर्वाद देता था, बल्कि इस त्योहार को ऐसे ही मनाने के लिए भी प्रेरणा देता था। व्रत रखने वालों में न केवल महिलाएं होती थीं, बल्कि पुरुष भी होते थे। कुंवारी युवतियां भी गुरमीत के लिए व्रत रखती थी। डेरा इसे धार्मिक आस्था के रूप में प्रचारित करता था।

अनुयायी गुरमीत को चांद मानकर उसकी तरफ छलनी व चुन्नी करके आरती उतारते। कुछ अनुयायी माइक लेकर उसे अपना माही मानते हुए उसकी शान में भजन गाते जबकि पीछे खड़े हजारों श्रद्धालु हाथों में पूजा की थाली लिए उसकी की तरफ मुंह करके उसकी आरती उतारते। अनुयायियों का यह नजारा देखकर डेरा प्रमुख स्टेज पर बैठा-बैठा ही मुस्कुराते हुए उन्हें आशीर्वाद देता नजर आता। व्रत रखने वाले अनुयायियों की ओर से आरती के दौरान डेरा प्रमुख की आयु बढ़ने की कामना करते थे। अनुयायियों का कहना था कि जब डेरा प्रमुख उनके साथ है तो उन्हें किसी और चीज की क्या जरूरत है। कोई भी अनुयायी डेरा प्रमुख का दीदार किए बिना व्रत नहीं खोलता था।