UNGA से सुषमा का ट्रंप को जवाब, कहा लालच में नहीं की 'Paris Deal'
भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी करारा जवाब दिया।
नई दिल्ली (स्पेशल डेस्क)। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने वो मुद्दे उठाए जिनका पूरी दुनिया से संबंध था और जिसके बारे में दुनिया का ध्यान खींचना जरूरी था। उन्होंने अपने संबोधन में क्लाइमेट चेंज की बात की और कहा कि भारत एक ऐसी धरती अपनी आने वाली नस्लों को सौंपना चाहता है जहां हर कोई खुशहाल हो और जहां कोई दुखी न हो। उन्होंने इस संबोधन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को भी करारा जवाब दिया। इसके अलावा उन्होंने अपनी स्पीच में संयुक्त राष्ट्र में सुधार का मुद्दा भी उठाया।
अनेक संकटों से ग्रसित है दुनिया
सुषमा ने अपने संबोधन में कहा कि आज विश्व अनेक संकटों से ग्रस्त है। हिंसा की घटनायें लगातार बढ़ रही हैं। आतंकवादी विचारधारा आग की तरह फैल रही है। जलवायु परिवर्तन की चुनौती हमारे सामने मुंह बाये खड़ी है। समुद्री सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह लगा हुआ है। विभिन्न कारणों से अपने देशों से बड़ी संख्या में लोगों का पलायन वैश्विक चिन्ता का विषय बन गया है। विश्व की आबादी का एक बड़ा हिस्सा गरीबी और भुखमरी से जूझ रहा है। बेरोजगारी से त्रस्त युवा अधीर हो रहा है। पक्षपात से पीड़ित महिलायें समान अधिकारों की मांग कर रही हैं। परमाणु प्रसार का विषय पुनः सिर उठा रहा है। साइबर सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। इनके समाधान के लिए 2015 में जो एजेंडा तैयार किया गया उसकी निर्णय प्रकिया में तेजी लानी होगी और कठोर फैसले लेने होंगे।
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जलवायु परिवर्तन का जिक्र
जलवायु परिवर्तन पर बात करते हुए सुषमा का कहना था कि इस संबंध में भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पैरिस समझौते की सफलता के लिए प्रतिबद्ध है। और यह प्रतिबद्धता किसी लोभ या भय के कारण नहीं है। यह प्रतिबद्धता हमारी 5000 वर्ष पुरानी संस्कृति के कारण है। इस पर पीएम मोदी ने अपनी ओर से एक अभिनव पहल करके International Solar Alliance का गठन किया है। उनका यह संबोधन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक करारा जवाब था जिन्होंने कहा था कि भारत पेरिस समझौते में लालच की वजह से शामिल हुआ है।
पृथ्वी की शांति की भी कामना
उन्होंने कहा कि हम समूचे विश्व की शांति की कामना करते हैं और केवल प्राणियों की शांति की ही कामना नहीं करते। हम पृथ्वी की शांति की भी कामना करते हैं, हम अन्तरिक्ष की शांति की भी कामना करते हैं, हम वनस्पति की शांति की भी कामना करते हैं और हम प्रकृति की शांति की कामना भी करते हैं। क्योंकि प्रकृति को जब नष्ट किया जाता है तो प्रकृति अशांत होकर विरोध जताती है और यदि विनाश को ना रोका जाये तो रौद्र रूप धारण करके सर्वनाश कर देती है। कभी भूकंप कभी झंझावात, कभी भयंकर वर्षा, कभी बाढ़ और तूफान, सभी माध्यमों के जरिये ये प्रमाण सामने आते रहते हैं।
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मैक्सिको का जिक्र
सुषमा ने कहा कि हाल ही में आ रहे ह्यूरिकेन मात्र एक संयोग नहीं हैं। जिस समय संयुक्त राष्ट्र का ये सम्मेलन चल रहा है और विश्व का समूचा नेतृत्व यहाँ न्यूयॉर्क में इकट्ठा है, उस समय प्रकृति द्वारा दी गई ये चेतावनी है। सम्मेलन शुरू होने से चंद दिन पहले ही Harvey और Irma जैसे hurricane आने शुरू हो गए। सम्मेलन के चलते भी मैक्सिको में भूकंप आया और डोमिनिका में hurricane आया। इस चेतावनी को हम समझें और बैठकों में केवल चर्चा करके न उठ जायें। बल्कि संकल्पशीलता से आगे बढ़ें और विकसित देश अविकसित देशों की मदद के लिए Technology Transfer और Green Climate Financing की अपनी प्रतिबद्धता पूरी करें, ताकि हम अपनी भावी पीढ़ियों को सर्वनाश से बचा सकें।
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