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जानें क्यों भारत दौरे पर आने वाले जेम्स मैटिस ने पाकिस्तान जाने से किया किनारा

अमेरिकी रक्षा मंत्री का भारत दौरा बेहद खास है। इस दौरे के खास होने की एक नहीं कई वजहें हैं। वहीं मैटिस इस बार पाकिस्तासन नहीं जा रहे हैं।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 26 Sep 2017 09:51 AM (IST)
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जानें क्यों भारत दौरे पर आने वाले जेम्स मैटिस ने पाकिस्तान जाने से किया किनारा

नई दिल्ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्‍स मैटिस तीन दिवसीय यात्रा पर भारत आ रहे हैं। डोनाल्‍ड ट्रंप कैबिनेट के वह पहले ऐसे मंत्री हैं जो अपने आधिकारिक दौरे पर भारत आ रहे हैं। भारत के लिए उनका यह दौरा बेहद खास है। उनका यह दौरा इसलिए भी खास माना जा रहा है, क्‍योंकि दोनों देशों ने रणनीतिक साझेदारी को एक नया मुकाम देने का मन बना लिया है। उनके इस दौरे में दोनों देशों के बीच अमेरिकी तकनीक के आधार पर एफ-16 और एफ-18ए की सीरीज जैसे अत्याधुनिक युद्धक विमान और ड्रोन के निर्माण पर बात हो सकती है।

जानकार भी मान रहे अहम 

अमेरिकी रक्षा मंत्री के इस दौरे को विदेश मामलों के जानकार भी काफी अहम मान रहे हैं। इस बाबत ऑब्‍जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के प्रोफेसर हर्ष वी पंत ने Jagran.Com से बात करते हुए कहा कि मै‍टिस का यह दौरा इसलिए भी काफी खास है, क्‍योंकि वह यहां से पाकिस्‍तान नहीं जाएंगे। ऐसा इसलिए खास है क्‍योंकि पूर्व में देखा गया है कि जब भी कोई अमेरिकी मंत्री पाकिस्‍तान या भारत आता था तो वह दोनों ही देशों का दौरा करता था। लेकिन इस बार मैटिस भारत के बाद सीधे अफगानिस्‍तान रवाना हो जाएंगे।

भारत से सीधे अफगानिस्तान जाएंगे मैटिस

हर्ष वी पंत मानते हैं कि पाकिस्‍तान आतंकवाद के मामले में पूरी दुनिया में अलग-थलग हो चुका है और वह इसे मैटिस के पाकिस्तान न जाने की अहम वजह मानते हैं। ट्रंप प्रशासन ने काफी सख्‍त लहजे में कई बार पाकिस्‍तान को स्‍पष्‍ट तौर पर चेतावनी भी दी है। न सिर्फ अमेरिका बल्कि चीन भी अब उससे अलग होता हुआ दिखाई दे रहा है। ऐसा संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा के दौरान भी दिखाई दिया है। वह मानते हैं कि अमेरिका और पाकिस्‍तान के संबंधों में हाल के कुछ समय में काफी गिरावट आई है। यही वजह है कि मैटिस का यह दौरा पाकिस्‍तान के लिए नहीं है।

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भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय बातचीत 

सूत्रों की यदि मानें तो भारत और अमेरिका लगातार द्विपक्षीय बातचीत को जारी रखना चाहते हैं, ताकि पीएम नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान जो सहमति बनी उसे जल्दी से अमल में लाया जा सके। इस क्रम में पिछले गुरुवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की अमेरिकी समकक्ष रेक्स टिलरसन के साथ पहली द्विपक्षीय बैठक हुई थी। अब मैटिस मंगलवार को रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे। उनकी पीएम नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल के साथ भी अलग से मुलाकात होगी। इन बैठकों में हथियार निर्माण का मुद्दा निश्चित तौर पर एजेंडे में काफी ऊपर है।

तैयार होगी टू बाई टू की रूपरेखा

मैटिस की यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच टू बाई टू (रक्षा व विदेश मंत्रियों की सालाना बैठक) की रूपरेखा भी तय की जाएगी। मोदी और ट्रंप के बीच बातचीत में रणनीतिक बैठक का यह ढांचा तैयार किया गया है। इस तरह की रणनीतिक बातचीत का ढांचा अमेरिका ने बहुत ही कम देशों के साथ तय किया हुआ है।

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कई मुद्दों पर भारत को मिला अमेरिका का साथ

जानकारों का कहना है कि ट्रंप प्रशासन ने पिछले कुछ महीनों में भारत को यह दिखा दिया है कि वे रणनीतिक रिश्तों को बहुत महत्व दे रहे हैं। पीएम मोदी की यात्रा के दौरान हिजबुल मुजाहिदीन को आतंकी संगठन घोषित करना और उसके बाद इसके सरगना सैयद सलाहुद्दीन को आतंकियों की सूची में शामिल करना, जापान व भारत के साथ नौसैनिक युद्धाभ्यास में अपने सबसे बड़े विमान वाहक पोत को भेजने जैसे कदम उठाने के अलावा अमेरिका ने डोकलाम मुद्दे पर भी भारत का मौन समर्थन किया है।

प्रोटोकॉल छोड़कर सरना को छोड़ने आए मैटिस

इसके अलावा पिछले सप्‍ताह अमेरिका में भारत के राजदूत नवतेज सरना जब मैटिस से मिलने उनके कार्यालय (पेंटागन हाउस) पहुंचे तो मैटिस प्रोटोकॉल को ताक पर रखकर उन्हें छोड़ने बाहर तक आए। जानकार मान रहे हैं कि इन कदमों के साथ अमेरिका भारत को यह संदेश भी दे रहा है कि वह रणनीतिक साझेदारी से जुड़े मुद्दों पर तेजी से फैसला करे। राष्ट्रपति ट्रंप भारत के साथ बड़े रक्षा सौदे कर घरेलू राजनीति में अपने विरोधियों को दिखाना चाहते हैं कि वह ज्यादा रोजगार पैदा करने में सक्षम रहे हैं। ऐसे में अमेरिकी रक्षा मंत्री मैटिस की भी यही कोशिश होगी कि वह कम से कम किसी एक अहम रक्षा सौदे की जमीन तैयार कर सकें।

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