EXCLUSIVE: जाएगी शरद यादव की राज्यसभा सीट, जल्द वेंकैया दिखा सकते हैं बाहर का रास्ता
Jagran.com से खास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार आर. राजगोपालन ने बताया कि शरद यादव की सदस्यता खत्म करने पर फैसला लिया जा चुका है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू जल्द ही जनता दल (यूनाइटेड) से बागी हुए नेता शरद यादव और अली अनवर को उच्च सदन से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। उन दोनों की सदस्यता को खत्म करने पर जल्द ही अंतिम फैसला लिया जा सकता है। जेडीयू के राज्यसभा नेता सोभाराम चन्द्र प्रसाद सिंह की तरफ से संविधान की दसवीं अनुसूची के अंतर्गत शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता खत्म करने की मांग की गई थी।
जल्द जा सकती है शरद की सदस्यता
राज्यसभा सचिवालय की तरफ से पिछले महीने शरद यादव और अली अनवर को नेटिस भेजकर उनके खिलाफ सोभाराम की तरफ से लगाए गए आरोपों पर अपने जवाब देने को कहा गया था। इसके साथ ही, संदर्भ के तौर पर उन्हें याचिका की एक प्रति भी भेजी गई थी। बिहार से राज्यसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले जेडीयू के इन दोनों बागी नेताओं की तरफ से जवाब देने के लिए एक महीने का समय मांगा गया था, लेकिन निर्धारत समय से एक हफ्ते और ज्यादा वक्त दिया गया। आखिरकार, पिछले महीने यानि 22 सितंबर को उनकी तरफ से जवाब दिया गया।
नायडू बना चुके हैं शरद को राज्यसभा से निकालने का मन
सूत्रों की मानें तो अमूमन ऐसी धारणा है कि पहले राज्यसभा के सभापति की तरफ से शिकायत को शुरुआती जांच के लिए इसे एथिक्स कमेटी के पास भेजा जाता है। लेकिन, वेंकैया नायडू अपने सामने पेश तथ्यों के आधार पर फैसला ले सकते हैं। सूत्रों ने बताया कि एथिक्स कमेटी की तरफ से जांच की उस वक्त जरूरत पड़ती है जब मामला अनियमितता या फिर भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ हो। लेकिन, इस मामले में जांच की कोई जरूरत नहीं है और सभी आवश्यक चीजें मौजूद हैं। दोनों पक्ष सार्वजनिक तौर पर एक-दूसरे से अलग हो चुके हैं और राज्यसभा के सभापति को इस मामले में कानून की स्पष्ट रेखा के बीच अपना फैसला लेना है।
सदस्यता खत्म करने को लेकर राज्यसभा का नियम
राज्यसभा के अनुसार, “अगर संविधान की दसवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्यसभा के वर्तमान सदस्य को अयोग्य ठहराने का सवाल उठता है तो इस मामले को राज्यसभा के सभापति के पास भेज दिया जाता है और उनका ही फैसला अंतिम होता है। इस दिशा में अपनाई गई पूरी प्रक्रिया को संविधान के आर्टिकल 122 के तहत संसद की कार्यवाही ही मानी जाती है। जिसमें कोर्ट के कार्यक्षेत्र का अधिकार संसद के सदस्य की अयोग्यता से जुड़े मामलों से बाहर होता है।” दसवीं सूची का क्लाउज 2 (1) (ए) यह बताता है कि कोई भी पार्टी से ताल्लुक रखनेवाले सदस्य की सदन से सदस्यता खत्म की जा सकती है अगर उसने स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता छोड़ दी।
अब क्या है शरद का राजनीतिक भविष्य
Jagran.com से खास बातचीत में वरिष्ठ पत्रकार आर. राजगोपालन ने बताया कि शरद यादव की सदस्यता खत्म करने पर फैसला लिया जा चुका है। ऐसे में अब कोई शक नहीं है कि अगले कुछ दिनों में फैसला सुना दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि जिस तरह से शरद यादव ने राजनीतिक खेल खेलने की कोशिश की, उनका वह दांव उल्टा पड़ गया। लिहाजा, आज वे कहीं के नहीं बचे। राजगोपालन ने कहा कि शरद यादव का अब राजनीतिक भविष्य करीब-करीब पूरी तरह के खत्म हो चुका है। वे मानते हैं कि नीतीश कुमार से अलग जाकर और इस तरह के बगावती रुख अपनाकर वरिष्ठ नेता शरद यादव ने आत्मघाती कदम उठाया है।
बदल जाएगी राज्यसभा की तस्वीर
राजगोपालन ने बताया कि पिछले मानसून सत्र में राज्यसभा का जिस तरह का नजारा दिखा था, अगले मानसून सत्र में राज्यसभा की तस्वीर बिल्कुल अलग होगी। उसकी वजह है राज्यसभा के कई सदस्यों का बाहर हो जाना। उन्होंने बताया कि पिछली बार राज्यसभा के पहली पंक्ति में बैठने वाले सीताराम येचुरी, शरद यादव, मायावती, राम गोपाल यादव अब नहीं दिखेंगे। इसके साथ ही, राज्यसभा का सभापति भी अब बदल चुका है। ऐसे में ये तस्वीर पहले से बिल्कुल अलग होगी।
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