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क्या भूल गया न्यूयॉर्क टाइम्स जब US राजदूत ने ट्विटर पर पूछा था- कौन सी साड़ी पहनें

न्यूयॉर्क टाइम्स भले ही भूल चुका हो लेकिन हमें याद है कि जब अगस्त‍ में अमे‍रिकी राजदूत ने सोशल मीडिया पर पूछा था कि वह 15 अगस्त पर कौन सी साड़ी पहनें।

By Kamal VermaEdited By: Updated: Wed, 15 Nov 2017 12:16 PM (IST)
क्या भूल गया न्यूयॉर्क टाइम्स जब US राजदूत ने ट्विटर पर पूछा था- कौन सी साड़ी पहनें

नई दिल्ली (स्‍पेशल डेस्‍क)। अभी अगस्‍त को बीते महज तीन माह ही हुए हैं और न्‍यूयार्क टाइम्‍स सब कुछ भूल गया। भूल गया कि उस वक्‍त भारत में मौजूद अमेरिकी राजदूत मैरी कैलोस कार्लसन ने सोशल मीडिया पर पूछा था कि उन्‍होंने स्‍वतंत्रता दिवस के मौके के लिए कुछ साडि़यां खरीदी है, इनमें से कौन सी उस खास दिन पहनी जाए। इतना ही नहीं न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने इस बात पर ध्‍यान ही नहीं दिया कि कार्लसन ने उस वक्‍त एक-एक करके सभी साडि़यों में अपनी फोटो खींचकर अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर डाली थीं। लेकिन न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स ने शायद इस ओर ध्‍यान ही नहीं दिया कि भारत के खानपान की शौकीन कार्लसन के ट्विटर अकाउंट पर जाकर जरा देख लिया जाए। इसको महज इत्‍तफाक तो नहीं कहा जा सकता है कि कार्लसन के लिए साडि़यों में बनारसी साडि़यां सबसे पसंदीदा हैं।

हम यहां पर बार-बार न्‍यूयॉर्क टाइम्‍स का जिक्र इसलिए कर रहे हैं क्‍योंकि इस अखबार ने भारत की बनारसी साड़ियों को लेकर एक लेख लिखा है। इस लेख में उन्‍हें साड़ी में हिंदू राष्‍ट्रवाद तक नजर आ रहा है। हालांकि उनके इस लेख की सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना हो रही है और होनी भी चाहिए। इस लेख में कहा गया है कि पारंपरिक भारतीय परिधानों को बढ़ावा देने की कोशिश के चलते ही साड़ी और विशेष रूप से बनारसी साड़ी का कारोबार बढ़ा है। न्यूयार्क टाइम्स के इस लेख को जानी मानी लेखिका तवलीन सिंह ने मूर्खतापूर्ण बताते हुए कहा है कि ऐसे लेखों से मोदी सरकार का यह संदेह सही ही साबित होता है कि विदेशी मीडिया उसके खिलाफ झूठ का सहारा लेने में लगा हुआ है।

हम आपको बता दें कि कार्लसन ने 7 नवंबर को भी एक ट्विट किया है जिसमें वह केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ मौजूद हैं। इस वक्‍त भी उन्‍होंने साड़ी ही पहन रखी है। इस मौके की उन्‍होंने एक नहीं बल्कि चार इमेज भी साझा की हैं। कार्लसन न सिर्फ भारतीय संस्‍कृति की तारीफ करती रही हैं बल्कि यहां के परिधानों की वह कायल रही हैं। यही वजह थी कि अक्‍सर वह आधिकारिक कार्यक्रमों में इसी लिबास में नजर आती थीं। भारत से वापस जाने से पहले उन्‍होंने जूतियां तक खरीदी। अपने एक ट्विट में उन्‍होंने यहां तक लिखा कि इनके बिना भारत से जाना सही नहीं होगा। वह सिर्फ परिधानों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि वह भारतीय खाने की भी काफी शौकीन रही हैं। इसका पता भी उनके किए गए ट्विट से चल जाता है।

यहां पर हम आपको यह भी बता दें कि भारत में साड़ी महज एक परिधान या महज फैशन से ही जुड़ी नहीं है बल्कि यह भारतीय संस्‍कृति का एक हिस्‍सा भी है। यही वजह है कि कार्लसन से अलग कई नामी हस्तियां साड़ी पहन चुकी है। इनमें हॉलीवुड एक्‍ट्रेस पेरिस हिल्‍टन, हैलीबेरी, कैथरिन, जूलिया रॉबर्ट, पामेला एंडरसन, टेनिस स्‍टार सेरेना और वीनस विलियम्‍स, सिंगिंर ग्रुप पूसीकेट, डचेज ऑफ यॉर्क साराह फ्रुगसन, एलिजाबेथ हर्ले, नाओमी कैंबेल, ओपेरा विनफ्रे का नाम शामिल है।

ट्विटर पर अन्य अनेक लोगों ने इस लेख को बकवास करार देते हुए हैरानी प्रकट की है कि आखिर ऐसे बेहूदा लेख न्यूयॉर्क टाइम्स में स्थान कैसे पा सकते हैं? जाने-माने अर्थशास्त्री और इतिहासकार संजीव सन्याल का कहना है कि हैरान हूं कि न्यूयार्क टाइम्स यह सोचता है कि पारंपरिक भारतीय परिधान पहनना एक तरह का उन्मादी कृत्य है! अब क्या दोसा, बिरयानी और चाट खाना भी अवांछित करार दिया जाएगा? अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार सदानंद धुमे ने भी न्यूयॉर्क टाइम्स के नजरिए पर कटाक्ष करते हुए कहा है, “ प्रिय न्यूयार्क टाइम्स मोदी सरकार की आलोचना करने में हर्ज नहीं, लेकिन टेक्सटाइल को बढावा देने को हिंदू राष्ट्रवाद बताना बेतुका है।” कुछ ऐसी ही और तमाम इससे भी अधिक तीखी टिप्पणियां अन्य लोगों ने की है!