सिंधुरक्षक समुद्र में स्वाहा
शांतिकाल के समय भारतीय नौसेना के अब तक के सबसे भीषण हादसे में मंगलवार रात अचानक हुए धमाकों और आग लगने से आइएनएस सिंधुरक्षक पनडुब्बी ध्वस्त हो गई। मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में हुए इस हादसे के वक्त पनडुब्बी में अट्ठारह नौसैनिक मौजूद थे, जिनके बचे होने की उम्मीद कम है। रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री समेत राष्ट्रपति ने इस हादसे पर शोक जताया है। साजिश की आशंकाओं के बीच नौसेना ने मामले की बोर्ड ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए हैं।
मुंबई [जागरण ब्यूरो]। शांतिकाल के समय भारतीय नौसेना के अब तक के सबसे भीषण हादसे में मंगलवार रात अचानक हुए धमाकों और आग लगने से आइएनएस सिंधुरक्षक पनडुब्बी ध्वस्त हो गई। मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में हुए इस हादसे के वक्त पनडुब्बी में अट्ठारह नौसैनिक मौजूद थे, जिनके बचे होने की उम्मीद कम है। रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री समेत राष्ट्रपति ने इस हादसे पर शोक जताया है। साजिश की आशंकाओं के बीच नौसेना ने मामले की बोर्ड ऑफ इंक्वायरी के आदेश दे दिए हैं।
1997 में करीब 400 करोड़ रुपये में खरीदे गए आइएनएस सिंधुरक्षक के आधुनिकीकरण पर 450 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इस हादसे ने दो दिन पहले ही पानी में उतारे गए पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत विक्रांत एवं देश में ही बनी नाभिकीय पनडुब्बी आइएनएस अरिहंत के आधुनिकीकरण की खुशी काफूर कर दी है।
दक्षिण मुंबई में गेटवे ऑफ इंडिया से सटे नौसेना डॉकयार्ड में खड़ी आइएनएस सिंधुरक्षक पनडुब्बी में मध्यरात्रि जोरदार धमाके हुए और आग लग गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार थोड़े-थोड़े अंतराल पर दो धमाके और हुए। इसकी गूंज दो किलोमीटर तक सुनाई दी। घटना के बाद तुरंत बाद मुंबई पहुंचे रक्षा मंत्री एके एंटनी और नौसेना अध्यक्ष एडमिरल डीके जोशी ने हालात की समीक्षा की।
इसके बाद मीडिया से रूबरू नौसेना प्रमुख ने पनडुब्बी में फंसे नौसैनिकों एवं अधिकारियों के बारे में बार-बार पूछे जाने पर कहा कि दुर्घटना नौसेना के लिए तगड़ा झटका है। रक्षा मंत्री एंटनी ने हादसे पर संवेदना तो व्यक्त की, लेकिन मीडिया के सवालों से कन्नी काट गए।
नौसेनाध्यक्ष ने बताया कि पनडुब्बी के अगले हिस्से में धमाके हुए, जहां शस्त्रास्त्र रखे होते तथा बैटरियां भी होती हैं। पहले धमाके के बाद अगला धमाका न केवल जोरदार था, बल्कि काफी जल्द भी हुआ। इस कारण प्रतिक्रिया का वक्त काफी कम मिल पाया। दुर्घटना के बाद पनडुब्बी विकृत हो चुकी है तथा इसका बड़ा भाग पानी में डूब चुका है। ऐसे में नौसेना के गोताखोरों की टीम काफी मशक्कत के बाद भी अभी तक उसमें मौजूद तीन अधिकारियों सहित 15 नौसैनिकों की सलामती का पता नहीं लगा पाई है।
हादसे की जांच के लिए बोर्ड ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए गए हैं। नौसेना प्रमुख ने बताया कि मामले की पड़ताल चार हफ्तों में पूरी होने की उम्मीद है। आतंकी हमले के अलर्ट और स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले मुंबई में हुई इस दुर्घटना की जांच में नौसेना किसी साजिश की आशंकाओं को भी अपनी पड़ताल के दायरे में लेगी। नौसेना प्रमुख के अनुसार सभी पहलुओं की जांच होगी। हालांकि उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि फिलहाल इस हादसे में किसी साजिश या घात के संकेत नहीं मिले हैं। हादसे के वक्त मुंबई डॉकयार्ड में सिंधुरक्षक के साथ ही आइएनएस सिंधुरत्न पनडुब्बी भी खड़ी थी।
सिंधुरत्न को कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है। मुंबई के अग्निशमन दस्तों ने उसे समय रहते सुरक्षित निकाल लिया। सिंधुरक्षक में अंदर से लगी आग इतनी भीषण थी कि सुबह होने तक उसका सिर्फ एक हिस्सा पानी के ऊपर नजर आ रहा था। विस्फोट के समय उसकी निगरानी के लिए ऊपर खड़े तीन नौसैनिकों ने समुद्र में कूद कर अपनी जान बचाई।
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