भारत में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता संभालने से पहले ही आतंकी ताकतों ने अपने मंसूबों की बानगी देते हुए अफगानिस्तान के हेरात स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाया। दूतावास पर शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे अत्याधुनिक हथियारों से लैस चार आतंकवादियों ने हमला बोला। हालांकि सुरक्षा के लिए तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों और अफगान सुरक्षा बलों ने हमले को नाकाम करते हुए दस घंटे से अधिक चली मुठभेड़ में चारों हमलावरों को मार गिराया।
By Edited By: Updated: Sat, 24 May 2014 03:22 AM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भारत में नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता संभालने से पहले ही आतंकी ताकतों ने अपने मंसूबों की बानगी देते हुए अफगानिस्तान के हेरात स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास को निशाना बनाया। दूतावास पर शुक्रवार तड़के करीब तीन बजे अत्याधुनिक हथियारों से लैस चार आतंकवादियों ने हमला बोला। हालांकि सुरक्षा के लिए तैनात भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवानों और अफगान सुरक्षा बलों ने हमले को नाकाम करते हुए दस घंटे से अधिक चली मुठभेड़ में चारों हमलावरों को मार गिराया।
दूतावास में मौजूद सभी भारतीय कर्मचारी सुरक्षित हैं। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने फोन कर मनोनीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुरक्षा इंतजाम और मजबूत करने का आश्वासन दिया। हेरात के पुलिस प्रमुख समीउल्ला कतरा के अनुसार सभी हमलावर मारे गए। मुठभेड़ में केवल पांच सुरक्षाकर्मी जख्मी हैं।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक करजई ने फोन कर मोदी से बात की। करीब दस मिनट की इस फोन वार्ता में करजई ने भरोसा दिलाया कि अफगानिस्तान अपने यहां मौजूद सभी भारतीय मिशन की सुरक्षा के लिए सभी जरूरी कदम उठाएगा। मोदी ने इस हमले की निंदा करते हुए कहा है कि वह हालात पर नजदीकी नजर रखे हुए हैं। इस संबंध में उन्होंने अफगानिस्तान में भारत के राजदूत अमर सिन्हा से भी बात कर हालात का ब्योरा लिया। उन्होंने वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले को नाकाम करने और हमलावर आतंकियों को मार गिराने के लिए सुरक्षा कर्मियों की भूमिका की प्रशंसा की। शुक्रवार तड़के रॉकेट लांचर, एके-47 रायफल और हैंड ग्रेनेड के साथ हुए हमले की पाकिस्तान ने भी निंदा की है।
उल्लेखनीय है कि हेरात स्थित वाणिज्य दूतावास भारतीय मदद से तैयार हो रही सलमा बांध परियोजना समेत अन्य कई विकास योजनाओं का संयोजन केंद्र है। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार करीब दो माह पहले भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले की योजना को लेकर सूचनाएं मिली थी। इसके चलते वहां भारत-तिब्बत सीमा पुलिस जवानों की संख्या को भी 150 से बढ़ाकर 200 कर दिया गया था। बीते पांच सालों में तीन बार हमलों का शिकार हो चुके भारतीय दूतावासों की सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है। तीन स्तरीय सुरक्षा घेरे में दूतावास भवन के करीब आइटीबीपी है। जबकि बाहरी दो घेरों में अफगान पुलिस व सेना के सुरक्षाकर्मी तैनात हैं।
पश्चिमी अफगानिस्तान के हेरात में हुए ताजा हमले को भी इससे पहले काबुल और जलालाबाद में भारतीय दूतावासों पर हुए हमलों की नई कड़ी माना जा रहा है। पिछले हमलों की जांच में अफगानिस्तान सुरक्षा एजेंसियों ने भी पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आइएसआइ की भूमिका पर सवाल उठाए थे। शुक्रवार को हुए हमले की जिम्मेदारी अभी किसी गुट ने नहीं ली है। ताजा हमले के पीछे कौन है, इसे लेकर भारतीय खेमा भी अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहा। इस बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय का कहना है कि अफगान एजेंसियां इसकी जांच कर रही हैं। हालांकि मंत्रालय के प्रवक्ता ने साथ ही यह जरूर कहा कि अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व के लिए बड़ा खतरा उसकी सीमाओं से बाहर स्थित आतंकी गुटों व उनके समर्थकों से है। गौरतलब है कि इससे पहले 2008 और 2009 में भारतीय दूतावास पर हुए हमलों में 75 लोग मारे गए थे। बीते साल जलालाबाद स्थित वाणिज्य दूतावास पर भी बम हमले को नाकाम किया गया था।
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