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दिवाली से पहले उड़ान भरने लगेगी स्वदेशी तेजस की स्क्वाड्रन

1994 से वायुसेना में कोई नया लड़ाकू विमान शामिल नहीं किया गया है। यही नहीं तेजस भी 32 साल से अटका हुआ था

By Gunateet OjhaEdited By: Updated: Fri, 20 May 2016 08:14 PM (IST)
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नई दिल्ली, आइएएनएस। स्वदेशी तेजस लड़ाकू विमानों की पहली स्क्वाड्रन इस साल सितंबर-अक्टूबर तक तैयार हो जाएगी और यह दिवाली से पहले उड़ान भरने लगेगी।

ऑल इंडिया रेडियो को दिए एक साक्षात्कार में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, '1994 से वायुसेना में कोई नया लड़ाकू विमान शामिल नहीं किया गया है। यही नहीं तेजस भी 32 साल से अटका हुआ था। लेकिन अब दो विमानों की आपूर्ति हो चुकी है और दो महीने में कुछ और विमानों की आपूर्ति की जाएगी।'

उन्होंने बताया कि हमारे तेजस में राफेल की तरह ही खूबियां हैं। हालांकि तेजस कम भार वर्ग का विमान है और इसकी रेंज भी राफेल के मुकाबले आधी है। लेकिन एविआनिक्स, इलेक्ट्रानिक्स और फायर पॉवर के मामले में यह राफेल से किसी तरह कम नहीं है। रक्षा मंत्री ने कहा, 'एक राफेल विमान की कीमत 700-750 करोड़ और सुखोई-30 की करीब 475 करोड़ रुपये है। जबकि भारतीय तेजस की रेंज 200 से 250 करोड़ रुपये ही है। लिहाजा एक राफेल जेट की कीमत में भारतीय वायुसेना को दो तेजस विमान मिल जाएंगे।'

उन्होंने कहा कि फ्रांस की दासोत एविएशन से राफेल विमान खरीद समझौता होने में अभी कुछ और सप्ताह लगेंगे, क्योंकि कीमतों को लेकर सौदेबाजी बेहद जरूरी है। वायु सेना में विमानों की कमी पर उन्होंने कहा कि स्वीकृत स्क्वाड्रन की संख्या 42 है, लेकिन यह कभी भी सौ प्रतिशत नहीं हो पातीं। वर्तमान में 34 स्क्वाड्रन हैं और अगले तीन-चार साल में तेजस की चार-पांच स्क्वाड्रन और बढ़ जाएंगी। इसके अलावा सुखोई की कुछ स्क्वाड्रन और राफेल विमानों की दो स्क्वाड्रन भी जोड़ी जानी हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि अभी इस बात का फैसला नहीं किया गया है कि एफ-18, यूरोफाइटर, राफेल या ग्रिफिन में से किस बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान का निर्माण भारत में किया जाएगा, लेकिन साल के आखिर तक सरकार फैसला कर लेगी।

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