आडवाणी की वो 5 मजबूरियां जिसकी वजह से दिया इस्तीफा
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कमान मिली और इधर भाजपा के शिखर पुरूष ने प्रमुख पदों से इस्तीफे की पेशकश कर दी। अपने खून पसीने से पार्टी को सींचने वाले लौह पुरूष को जब अपने ही दल में किनारे लगाया जाने लगा तो आहत होकर आडवाणी ने खुद ही पार्टी के प्रमुख पदों से खुद को दूर कर लिया। चलिए आगे हम आपको वो पांच कारण बता
By Edited By: Updated: Mon, 10 Jun 2013 06:54 PM (IST)
नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को कमान मिली और इधर भाजपा के शिखर पुरूष ने प्रमुख पदों से इस्तीफे की पेशकश कर दी। अपने खून पसीने से पार्टी को सींचने वाले लौह पुरूष को जब अपने ही दल में किनारे लगाया जाने लगा तो आहत होकर आडवाणी ने खुद ही पार्टी के प्रमुख पदों से खुद को दूर कर लिया।
पढ़ें: लालकृष्ण आडवाणी का सफरनामा तस्वीरों में देखें: आडवाणी पर नेताओं के बोल चलिए आगे हम आपको वो पांच कारण बताते हैं जिनकी वजह से आडवाणी को इस कदर से मजबूर होना पड़ा।
1. अटल जी के बाद दल में दशकों से दूसरे नंबर पर रहने वाले भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को नेतृत्व ने इग्नोर कर दिया था। 2. भाजपा में जिस तरह प्रचार समिति बनाई ठीक उसी तरह प्रबंधक कमेटी बनाने की आडवाणी ने मांग की, जिसे दल ने नहीं माना। इससे भी आडवाणी काफी आहत थे।
3. जिन्ना प्रकरण के बाद संगठन पर आडवाणी की पकड़ लगातार कमजोर होती गई। इसकी वजह से ये अपनी मांग मनवाने में असफल हो जाते हैं। संसदीय बोर्ड में शिवराज सिंह को नहीं भेज पाने का गम आडवाणी को साल रहा था। 4. वैसे राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पीएम पद की दावेदारी के लिए प्रेशर टैक्टिस भी हो सकता है। संघ के बार-बार कहने के बावजूद आडवाणी दूसरी पीढ़ी के नेताओं को कमान सौंपने को तैयार नहीं थे। पीएम पद की उम्मीदवारी से अभी तक आडवाणी ने इन्कार नहीं किया था। 5. भाजपा में आडवाणी खेमा भी सिमटता जा रहा था। जिसकी वजह से वह मीटिंग के दौरान अपनी मांगे मनवाने में असफल हो जाते हैं। यही वजह रही कि मोदी के रथ को भी वह रोक पाने में असमर्थ थे। इससे भी आहत थे आडवाणी। चंद नेताओं के अलावा अधिकांश मोदीमय हो चुके हैं। यशवंत सिन्हा समेत कई नेता जो विरोध का झंडा बुलंद किए थे अब मोदी के पक्ष में होते दिख रहे हैं। मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर