सपा विधायक की शरण में फरार दरोगा!
लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की चेतावनी के बावजूद सपा के विधायकों व मंत्रियों का सत्ता मद दूर नहीं हो पाया है। खुद के रसूख के लिए विधायक और मंत्री न केवल प्रशासन में हस्तक्षेप कर रहे हैं, बल्कि अपराधियों को बचाने के लिए अफसरों को हड़काने भी लगे हैं।
By Edited By: Updated: Fri, 07 Feb 2014 11:27 AM (IST)
लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव एवं सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव की चेतावनी के बावजूद सपा के विधायकों व मंत्रियों का सत्ता मद दूर नहीं हो पाया है। खुद के रसूख के लिए विधायक और मंत्री न केवल प्रशासन में हस्तक्षेप कर रहे हैं, बल्कि अपराधियों को बचाने के लिए अफसरों को हड़काने भी लगे हैं।
पढ़े : शादी में तमंचे पर मौत का डिस्को मुरादाबाद के एक सपा विधायक ने सभी हदें पार कर दी है। विधायक ने न केवल सतेंद्र हत्या कांड के आरोपी एवं फरार दारोगा को शरण दे रखी है, बल्कि उसे गिरफ्तार न करने के लिए पुलिस अफसर को भी सख्त चेतावनी दी है। याद दिलाया कि अभी सपा सत्ता तीन साल और रहेगी और दारोगा का बाल बांका भी हुआ तो अफसर को प्रदेश में कहीं जगह नहीं मिलेगी। सर्राफ सतेंद्र हत्याकांड में दरोगा सैयद मंसूर आबिद, सिपाही अमरपाल, अमित, मुनिंदर और राहुल पर सतेंद्र की हत्या करने और शव रामपुर जिले में फेंकने का आरोप सिद्ध हुआ है। इस मामले में पुलिस ने दो सिपाहियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। मूंढापांडे के पूर्व थानाध्यक्ष सैयद मंसूर आबिद व दो सिपाही फरार चल रहे हैं। तीनों ने आत्मसमर्पण के लिए सीजेएम कोर्ट में प्रार्थनापत्र दिया है, आज इसकी सुनवाई होनी है।
इस बीच, पुलिस को यह जानकारी मिली है कि दरोगा (पूर्व थानाध्यक्ष) जिले के एक सत्ताधारी विधायक की शरण में है। फिर भी उसकी गिरफ्तारी नहीं हो पा रही है। ऐसी स्थिति तब है कि सपा नेतृत्व की ओर से भी पुलिस अधिकारियों को दारोगा की गिरफ्तारी करने का आदेश मिल चुका है। दरोगा का निजी मोबाइल नंबर 24 घंटे पहले तक खुला था, जिसकी लोकेशन विधायक के आवास के आसपास ही मिली है। इतना ही नहीं बीती रात को दरोगा विधायक गाड़ी में भी देखा जा चुका है। कल दरोगा का नंबर बंद हो गया जिससे, पुलिस उसकी आगे की लोकेशन नहीं तलाश सकी। इसके पहले दारोगा की पैरवी करते वक्त विधायक जिले के एक पुलिस अधिकारी को धमका चुके हैं, उन्होंने तीन साल तक राज्य में सपा की सरकार रहने का हवाला देकर जिले का चार्ज न लेने देने की चेतावनी दी थी। वह घटना में दरोगा का नाम शामिल न करने के लिए दबाव बना रहे थे। मगर, जनाक्त्रोश के चलते पुलिस ने घटना का खुलासा कर दारोगा की करतूत को भी सार्वजनिक कर दिया। यह अलग बात है कि एसएसपी आशुतोष कुमार सभी बातों को सुनने के बाद भी महज इतना ही कहते हैं कि फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है।
विधायकों का 'थानाराज' दारोगा सैयद मंसूर आबिद के विधायक की शरण में होने का जिले में नया मामला नहीं है। वास्तव में विधायकों का थानाराज ही चल रहा है। कानून ताक पर रखकर चहेते पुलिस कर्मियों की तैनाती कराई जा रही है, अधिकारी अपराध बढऩे के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं। कुछ साल पहले तक थानेदारों की थाने में नियुक्ति काम के आधार पर की जाती थी लेकिन कुछ समय से थानों में थानेदारों की नियुक्ति विधायकों के रहमोकरम पर हो रही है। इसके कई उदाहरण हैं। विधायकों की मनमर्जी का काम न करने के कारण थानेदारों को अच्छा काम करने के बाद भी थानों से हटा दिया जाता है। इन विधायकों के कारण जहां थानेदार पुलिसिंग नहीं कर पा रहे हैं वहीं ये शहर के अधिकारियों के लिए भी परेशानी का सबब बने हैं। एक हफ्ते पहले थानास्तर पर हुए तबादलों में कुंदरकी थानाध्यक्ष का तबादला किया गया। थानाध्यक्ष विधायक की शरण में पहुंच गए और विधायक अधिकारियों के पास पहुंच गए और 2014 के चुनाव का वास्ता देकर थानाध्यक्ष का तबादला निरस्त कराया गया। आज थानाध्यक्ष उसी थाने की कुर्सी पर विराजमान हैं। तत्कालीन थानाध्यक्ष मूंढापांडे सैयद मंसूर आबिद की पैरवी में भी स्थानीय विधायक का हाथ है। मैनाठेर में भी विधायक ने ही थानाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति कराई थी। कुछ विवादों के बाद दारोगा को मैनाठेर से हटा दिया गया। उसी दौरान थानाध्यक्ष राकेश बाबू यादव से विधायक की न पटने के कारण उनका तबादला शहर के थाने में करा दिया गया और विधायक की पैरवी पर दारोगा को थाना मूंढापांडे दे दिया गया। पीपलसाना विधायक भी कई बार भोजपुर थानाध्यक्ष को हटाने की पैरवी कर चुके हैं। कारण थानाक्षेत्र में विधायक का काम न करना। विधायक कई बार ऊपर अधिकारियों तक शिकायत कर चुके हैं।
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