..तो ये है सिंधुरक्षक की खासियत
नौसेना ने अपनी पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक में विस्फोट होने और इसके बाद उसमें आग लगने की घटना की जांच के लिए बोर्ड ऑफ इनक्वायरी के आदेश दिए हैं। यह पनडुब्बी डूब गई है। इसमें 18 लोगों के सवार में होने की खबर है।
नई दिल्ली। नौसेना ने अपनी पनडुब्बी आईएनएस सिंधुरक्षक में विस्फोट होने और इसके बाद उसमें आग लगने की घटना की जांच के लिए बोर्ड ऑफ इनक्वायरी के आदेश दिए हैं। यह पनडुब्बी डूब गई है। इसमें 18 लोगों के सवार में होने की खबर है।
यह डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है। इसे भारत ने रूस के सहयोग से तैयार किया है। यह तीन महीने पहले ही रूस के वेजदोज्का शिपयार्ड से अपग्रेड होकर मुंबई लौटी थी। इसका निर्माण सेंट पीटर्सबर्ग में 1997 में किया गया था। 2300 टन वजन वाली पनडुब्बी की कीमत करीब 490 करोड़ रुपये थी। इस पनडुब्बी में 2010 में भी आग लग गई थी। इसमें एक नाविक की मौत हो गई थी। उस वक्त यह विशाखापट्टनम में तैनात थी।
पिछले साल भी सिंधुरक्षक का आधुनीकरण किया गया था। इसके आधुनिकरण के तहत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, कंट्रोल सिस्टम और अन्य तकनीकी सिस्टम पर काम किया गया है। साथ ही सिंधुरक्षक में रूसी मिसाइल सिस्टम, सोनार सिस्टम और अन्य कम्यूनिकेशन प्रणाली को भी जोड़ा गया है।
क्या है सिंधुरक्षक की खासियत
7.2 मीटर लंबी सिंधुरक्षक पनडुब्बी भारतीय नौसेना की ताकत का एक अहम हिस्सा है। यह समुद्र के अंदर 640 किलोमीटर तक जा सकती है। यह एक बार में 45 दिन तक समुद्र में रह सकती है। इसमें 15 क्रू मेंबर रह सकते हैं।
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