Move to Jagran APP

क्या है इशरत जहां मुठभेड़ मामला?

15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड में चार आतंकी मारे गए थे, जिनमें इशरत जहां नाम की एक कॉलेज जाने वाली छात्रा भी थी। उसका दूसरा साथी जावेद शेख था। दो अन्य आतंकी भी उसके साथ थे जिनके बारे में कहा जाता है कि वे पाकिस्तानी नागरिक थे। इनके मरने के बाद कुछ लोगों ने यह आरोप लगाने शुरू किए कि यह लोग आतंक

By Edited By: Updated: Tue, 11 Jun 2013 09:22 AM (IST)

नई दिल्ली। 15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड में चार आतंकी मारे गए थे, जिनमें इशरत जहां नाम की एक कॉलेज जाने वाली छात्रा भी थी। उसका दूसरा साथी जावेद शेख था। दो अन्य आतंकी भी उसके साथ थे जिनके बारे में कहा जाता है कि वे पाकिस्तानी नागरिक थे।

इनके मरने के बाद कुछ लोगों ने यह आरोप लगाने शुरू किए कि यह लोग आतंकी नहीं थे और पुलिस ने इनको गोली मारकर मार दिया और मरे हुए लोगों के हाथ में हथियार थमा दिए। कुछ मानवाधिकार संगठन इस मामले को लेकर आतंकियों से ज्यादा उत्साह में आ गए और इस पूरे घटनाक्रम की जांच करने की मांग करने लगे।

अहमदाबाद पुलिस ने इशरत जहां और अन्य तीन लोगों को आतंकी बताकर मुठभेड़ में मार गिराया था। मजिस्ट्रेट जांच में मुठभेड़ को फर्जी पाया गया। तब पता चला कि सरकार से तमगे हासिल करने के लिए पुलिस ने फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या की थी। लेकिन अब फिर एक नया मोड़ आ गया है। इशरत जहां के बारे में कहा जा रहा है कि उसका ताल्लुक लश्कर से था और वो मानव बम थी। यह बात अमेरिकी आतंकवादी डेविड हेडली ने भारतीय अधिकारियों को शिकागो में बताई थी। अब इसको लेकर बहस छिड़ गई है कि क्या यह माना जाए कि मजिस्ट्रेट तमांग की जांच रिपोर्ट गलत थी?

इस मामले में कई सवाल ऐसे हैं जो मुठभेड़ के वक्त भी जिंदा थे और अब भी जिंदा हैं। इशरत जहां की मुठभेड़ के समय कहा गया था कि इंटेलीजेंस ने पक्के सबूतों के आधार पर यह रिपोर्ट दी थी कि लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी मुंबई से अहमदाबाद निकल पड़े हैं और उनका मकसद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की हत्या करना है। यहां यह भी सवाल किया जा सकता है कि कथित आतंकवादियों को मुंबई में ही रोक कर गिरफ्तार करने की कोशिश क्यों नहीं की गयी थी? उनका अहमदाबाद तक आने का इंतजार क्यों किया गया था? अहमदाबाद में घुसने के बाद ही मुठभेड़ क्यों हुई? सबसे बड़ा सवाल यह है कि किसी एक भी कथित आतंकवादी को जिंदा पकड़ने की कोशिश क्यों नहीं की गई? आखिर ऐसा क्यों होता है कि केवल नरेन्द्र मोदी को ही मारने आने वाले सभी कथित आतंकवादी मुठभेड़ में मार दिए जाते है, लेकिन बम ब्लॉस्ट करके मासूम लोगों की जान लेने वाले आतंकियों की भनक भी गुजरात पुलिस को नहीं लगती? गुजरात पुलिस की कही बातों को ही अंतिम सच मानकर इशरत जहां को आतंकवादी बता दिया गया।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर