जेटली का केजरीवाल पर निशाना, पूछा- 'क्या असभ्यता राजनीति का नया आदर्श बन गई है'
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर राजनीतिक विमर्श का स्तर गिराने का आरोप लगाया है। जेटली ने कहा कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं को अभद्रता का अधिकार नहीं है।
By Rajesh KumarEdited By: Updated: Thu, 24 Dec 2015 09:06 PM (IST)
नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पलटवार करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर राजनीतिक विमर्श का स्तर गिराने का आरोप लगाया है। जेटली ने कहा कि केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के नेताओं को अभद्रता का अधिकार नहीं है। उनके अनुसार अभद्रता राजनीति का आदर्श नहीं हो सकती और राजनीतिक विमर्श में इसके लिए जगह नहीं है। अब समय आ गया है कि देश की जनता राजनीतिक विमर्श में आई गिरावट का मुखर होकर विरोध करे।
जेटली ने फेसबुक पर लिखे अपने पोस्ट में सवाल उठाया कि क्या अभद्रता भारतीय राजनीति का नया मानदंड है? उन्होंने प्रधानमंत्री के बारे में हाल में विधानसभा के भीतर और बाहर दिए बयान के लिए केजरीवाल को आड़े हाथों लिया। जेटली ने कहा कि अगर केंद्र सरकार के किसी प्रतिनिधि ने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया होता तो पूरे देश में विरोध का स्वर सुनाई देता।ये भी पढ़ेंः जेटली कभी घोटाला नहीं कर सकतेः शरद पवार जिम्मेदार पद वाले संयम बरतें
जेटली ने कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को संयम से काम लेना चाहिए। वे असभ्य नहीं हो सकते। उन्हें अभद्रता का अधिकार नहीं है। राजनीतिक विमर्श में अभद्रता के लिए कोई स्थान नहीं है। अभद्रता के साथ झूठा प्रचार सच का विकल्प नहीं हो सकता। दिल्ली सरकार के नुमाइंदों और उनके समर्थकों ने राजनीतिक विमर्श का स्तर गिरा दिया है। वे सिर्फ मिथ्याप्रचार का सहारा ले रहे हैं। उल्लेखनीय है कि अपने प्रधान सचिव पर सीबीआइ छापे के बाद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपशब्द इस्तेमाल किए। इसके बाद उन्होंने डीडीसीए में कथित धांधली का मुद्दा उठाकर जेटली पर भी आरोप लगाए।कांग्रेस को घेरा
जेटली ने केजरीवाल के साथ-साथ कांग्रेस को भी कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि दिल्ली में आप की जीत ने शायद कांग्रेस में यह गलतफहमी पैदा कर दी है कि अभद्रता कर चुनाव जीते जा सकते हैं। जेटली ने संसद की कार्यवाही मंे व्यवधान के लिए कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि पिछले दो सत्रों में कांग्रेस की स्पष्ट धारणा रही है कि संसद में कामकाज नहीं करने दिया जाए। कांगे्रस के कई नेताओं ने उनसे व्यक्तिगत बातचीत मंे कांग्रेस नेतृत्व के इस रुख पर बेबसी जाहिर की है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व से यह बुनियादी सवाल पूछा जाना चाहिए कि आखिरकार देश में कानून कैसे बनाए जाएं?ये भी पढ़ेंः कीर्ति के निलंबन पर बंटी भाजपा, मार्गदर्शक मंडल चाहता है जेटली के खिलाफ हो जांच जेटली ने कांगे्रस नेतृत्व पर सीधे हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस नेतृत्व इस पर बेहद गंभीरता से विचार करे कि संसद में विवेकशून्य व्यवहार से और तिल का ताड़ बनाते हुए हंगामा करने से संसदीय प्रणाली की जड़ों पर कुठाराघात हो रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि देश में लोकतंत्र के शुरुआती वर्षो में स्वस्थ परंपरा डालने का श्रेय यदि पंडित नेहरू को जाता है तो वर्तमान कांग्रेस नेतृत्व को इतिहास उन्हीं परंपराओं को कमजोर करने के लिए याद करेगा। जेटली ने कांगे्रस से सवाल करते हुए कहा कि पिछले साल के बजट सत्र से अब तक जीएसटी बिल के पारित नहीं होने से क्या देश को नुकसान नहीं हुआ? उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण कानूनों को बगैर चर्चा सत्र के आखिरी दिन पारित करना कहां की समझदारी है? जेटली ने कहा कि कहने के लिए संसद ने एक विधेयक पारित कर दिया, लेकिन उसमें संसद के विचारों का समावेश कहां हुआ?