मोदी के खिलाफ आडवाणी का 'मोहरा' नहीं बने गडकरी
कभी गुजरात के मुख्यमंत्री पर होने वाले हर हमले पर ढाल बने लालकृष्ण आडवाणी ने जब खुद ही नरेंद्र मोदी पर हमले की कमान संभाली तो पूरी पार्टी उनके सामने चंट्टान की तरह खड़ी हो गई है। पहले उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मोदी से बेहतर बताया, जिसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तुरंत ही नकार दिया। अब पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी मोदी का कद छोटा करने के लिए खुद का इस्तेमाल होने से मना कर दिया है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। कभी गुजरात के मुख्यमंत्री पर होने वाले हर हमले पर ढाल बने लालकृष्ण आडवाणी ने जब खुद ही नरेंद्र मोदी पर हमले की कमान संभाली तो पूरी पार्टी उनके सामने चंट्टान की तरह खड़ी हो गई है। पहले उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को मोदी से बेहतर बताया, जिसे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तुरंत ही नकार दिया। अब पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी मोदी का कद छोटा करने के लिए खुद का इस्तेमाल होने से मना कर दिया है।
वहीं, कर्नाटक भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का प्रत्याशी घोषित करने का प्रस्ताव पारित कर साफ कर दिया है कि 7 जून से शुरू होने जा रही भाजपा कार्यकारिणी में मोदी ही छाए रहेंगे।
शिवराज की तारीफ में आडवाणी ने ये कहा
शिवराज चौहान को मोदी से बेहतर बनाने वाले आडवाणी के बयान के बाद ही साफ हो गया था कि भाजपा में प्रधानमंत्री पद को लेकर घमासान लगातार बढ़ता ही जा रहा है। दिलचस्प तथ्य यह है कि संघ परिवार में मोदी के बढ़ते रुतबे पर लगाम लगाने की कोशिश आडवाणी लगातार कर रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने शिवराज को मोदी के सामने खड़ा करने की कोशिश की तो प्रचार अभियान की कमान नितिन गडकरी को सौंपने का प्रस्ताव देकर एक तीर से दो निशाने साधे। संघ के करीबी रहे गडकरी को दोबारा अध्यक्ष आडवाणी ने ही नहीं बनने दिया था। इस तरह प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष गडकरी को बनाने का प्रस्ताव देकर उन्होंने पूर्व भाजपा अध्यक्ष और संघ से भी अपने रिश्ते सुधारने की कोशिश की। वैसे अध्यक्ष रहते ही गडकरी तय कर चुके थे कि चुनाव प्रचार अभियान समिति की कमान नरेंद्र मोदी को सौंपी जाएगी। गडकरी ने मोदी को रोकने के आडवाणी के दांव में मोहरा बनने से बचते हुए इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। दरअसल, संघ पहले ही संकेत दे चुका है कि अगले लोकसभा चुनाव में मोदी ही भाजपा का चेहरा होंगे। ऐसे में गडकरी ने खुद को किसी विवाद में पड़ने से रोका।
बहरहाल, आडवाणी की इस मुहिम का असर यह हुआ है कि भाजपा और संघ परिवार मोदी के पक्ष में और ज्यादा एकजुट होता नजर आ रहा है। गोवा में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भले ही कोई औपचारिक फैसला न हो, लेकिन मोदी और ज्यादा मजबूती से राष्ट्रीय क्षितिज पर उभरेंगे। कर्नाटक भाजपा ने उन्हें प्रधानंत्री पद का दावेदार घोषित करने का प्रस्ताव पारित कर इसके संकेत भी दे दिए हैं
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