जमीन बिल पर सोनिया को नितिन गडकरी ने दिया करारा जवाब
भूमि अधिग्रहण विधेयक पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी आमने-सामने आ गए हैं। अपनी दलीलों से सोनिया को चित करते हुए गडकरी ने उन पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि संप्रग सरकार ने बड़ी कंपनियों
By Sanjay BhardwajEdited By: Updated: Mon, 30 Mar 2015 11:43 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भूमि अधिग्रहण विधेयक पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और केंद्रीय सड़क परिवहन, राजमार्ग एवं जहाजरानी मंत्री नितिन गडकरी आमने-सामने आ गए हैं। अपनी दलीलों से सोनिया को चित करते हुए गडकरी ने उन पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि संप्रग सरकार ने बड़ी कंपनियों को कौडिय़ों के भाव जमीन दी है। उसकी गलत नीतियों से ही बेरोजगारी व किसानों की खुदकुशी के मामले बढ़े।
गडकरी ने सोनिया गांधी समेत अनेक नेताओं को पत्र लिखकर भूमि अधिग्रहण विधेयक पर खुली बहस की चुनौती दी थी। जवाब में सोनिया ने इसे मजाक बताते हुए ठुकरा दिया था। इस पर गडकरी ने सोमवार को पलटवार करते हुए कहा, पिछली सरकार ने जानबूझकर ऐसी व्यवस्था बनाई जिसमें बड़ी भूमि अधिग्रहण परियोजनाएं सामाजिक प्रभाव आकलन से बाहर थीं। जबकि राज्य सरकारों की संचालित कल्याणकारी योजनाएं इस पेचीदा प्रक्रिया में फंसी रह गईं। राजग सरकार इन खामियों को दुरुस्त करने का प्रयास कर रही है। वह सबका समर्थन जुटाने और किसानों को इसके लाभों से अवगत कराने को प्रयासरत है। सांसदों से भी चर्चा की जा रही है।देशहित पर विचार करें :
सोनिया को लिखे पत्र में गडकरी ने कहा कि इस अहम मुद्दे पर राजनीति के बजाय देशहित पर विचार करना चाहिए। चूंकि संप्रग सरकार की नीतियों के कारण अनेक परियोजनाएं बंद हो गईं, बैंकों का एनपीए बढ़ गया, रोजगार के अवसर कम हुए किसानों को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा तथा अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई। संप्रग के जल्दबाजी में पारित भूमि अधिग्रहण कानून का विरोध महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने भी किया था।
लागत बढ़ी तो जमीन का इस्तेमाल रुक सकता है : उन्होंने लिखा था, 'अधिग्रहण की प्रक्रिया बेहद केंद्रीयकृत और जटिल बनाने तथा लागत बढऩे से जमीन का इस्तेमाल रुक सकता है।Ó संप्रग का अधिनियम बीते साल लागू होने के बावजूद ग्रामीण सड़कों, सिंचाई परियोजनाओं, बिजली, स्कूल और अस्पतालों के लिए एक भी एकड़ जमीन का अधिग्रहण सेक्शन 11 की प्रक्रिया का पालन करते हुए नहीं किया गया।
बड़े अधिग्रहणों को छूट क्यों दी :
लागत बढ़ी तो जमीन का इस्तेमाल रुक सकता है : उन्होंने लिखा था, 'अधिग्रहण की प्रक्रिया बेहद केंद्रीयकृत और जटिल बनाने तथा लागत बढऩे से जमीन का इस्तेमाल रुक सकता है।Ó संप्रग का अधिनियम बीते साल लागू होने के बावजूद ग्रामीण सड़कों, सिंचाई परियोजनाओं, बिजली, स्कूल और अस्पतालों के लिए एक भी एकड़ जमीन का अधिग्रहण सेक्शन 11 की प्रक्रिया का पालन करते हुए नहीं किया गया।
बड़े अधिग्रहणों को छूट क्यों दी :
आपने सेक्शन 105 के तहत सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन से सभी बड़े भूमि अधिग्रहणों को छूट क्यों दी? आपकी सरकार के सभी भूमि अधिग्रहण निजी कंपनियों के लिए ही किए गए। क्या हम नहीं जानते कि किस तरह आपकी सरकार ने कोयले से समृद्ध जमीन कौडिय़ों के भाव निजी कंपनियों को सौंप दी, जिसमें कुछ आपकी पार्टी के सदस्य भी थे। इससे देश को 1.76 लाख करोड़ का नुकसान हुआ। पर राज्य सरकारें स्कूल, अस्पताल व ग्रामीण सड़कों के लिए एक हेक्टेयर जमीन भी अधिग्रहीत करना चाहें तो उन्हें पेचीदा सामाजिक मूल्यांकन प्रभाव की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है।
पढ़ें : भूमि विधेयक पर खुली बहस की चुनौती
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