कश्मीर में बहाल हो 9 अगस्त 1953 के पहले की संवैधानिक स्थिति: फारूक
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला का कहना है कि केंद्र को राज्य में शांति बहाली के लिए वहां 9 अगस्त 1953 से पहले की स्थिति की बहाली करनी होगी।
श्रीनगर (राज्य ब्यूरो)। नेशनल कांफ्रेंस के संरक्षक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने मंगलवार को घाटी में 32 दिनों से जारी हिंसाचक्र में 55 लोगों की मौत पर अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि जब तक कश्मीर समस्या के मूल कारणों का हल नहीं किया जाएगा, तब तक राज्य में राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा का दौर चलता रहेगा। उन्होंने कहा कि कश्मीर की मौजूदा स्थिति का कारण 9 अगस्त 1953 की राजनीतिक घटनाक्रम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुद पहल करते हुए कश्मीरियों के अलावा पाकिस्तान के साथ भी बातचीत की प्रक्रिया बहाल करनी होगी।
डॉ. फारूक ने संसद में घाटी के हालात पर चर्चा का स्वागत करते हुए कहा कि संसद को चाहिए कि वह जम्मू-कश्मीर की समस्या को खुले दिमाग से हल करने के लिए नौ अगस्त 1953 के पहले की संवैधानिक स्थिति की बहाली के लिए प्रयास करे। उन्होंने कहा कि अब नई दिल्ली कश्मीर समस्या की हकीकत और लोगों की आकांक्षाओं को ज्यादा देर तक नजरअंदाज नहीं कर सकती। कश्मीर का मुद्दा किसी अन्य देश या फिर आतंकवाद का मुद्दा नहीं है, यह समस्या कश्मीरियों के इज्जत व आबरू और उनके राजनीतिक भावनाओं का मसला है। नई दिल्ली को चाहिए कि वह कश्मीर समस्या के मूल पक्ष कश्मीरियों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू कर सभी समूहों को साथ लेकर कोई अंतिम समाधान करे।
डॉ. फारूक ने कहा कि कश्मीरियों की राजनीतिक आकांक्षाओं को दबाने के लिए नौ अगस्त 1953 को तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख मुहम्मद अब्दुल्ला को अवैध तरीके से सत्ताच्युत कर जेल में डाल दिया गया। तभी से कश्मीरियों में मुख्यधारा से विमुखता की भावना मजबूत हुई है। उन्होंने कहा कि जब तक कश्मीर समस्या के मूल कारणों को स्वीकार कर, उसे राजनीतिक व संवैधानिक रूप से हल नहीं किया जाता, तब तक लोगों की राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए जाएंगे और हालात सामान्य नहीं होंगे। ताकत के बूते पर लोगों के जज्बात दबाने का असर उल्टा ही होगा।
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