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पतंग के मांझे से कटा मासूम का गला, मौत

जयपुर। मकरसंक्रांति के शुभ अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा काफी सालों से चली आ रही है। सदियों से चली आ रही पतंगबाजी की परंपरा ने आज एक मासूम बच्ची की जान ले ली। घटना राजस्थान के गुलाबी नगरी जयपुर के टेंक रोड की है। यहां आज आसमान में उड़ती पतंग के मंझे से एक बच्ची की गला कटने से मौत हो गई। घर के बाहर ख

By Edited By: Updated: Tue, 14 Jan 2014 06:42 PM (IST)
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जयपुर। मकरसंक्रांति के शुभ अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा काफी सालों से चली आ रही है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा ने आज एक मासूम बच्ची की जान ले ली। घटना राजस्थान के गुलाबी नगरी जयपुर के टेंक रोड की है। यहां आज आसमान में उड़ती पतंग के मंझे से एक बच्ची की गला कटने से मौत हो गई।

घर के बाहर खेलने निकली 10 वर्षीय मासूम चंचल को क्या पता था कि आसमान में उड़ती पतंग की डोर उसकी मौत का कारण बन जाएगी। परिवार वाले मासूम को लेकर अस्पताल पहुंचे। इमरजेंसी में कुछ वक्त इलाज के बाद डाक्टरों ने मासूम को मृत घोषित कर दिया।

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आखिर ये कैसी परंपरा जो किसी की जान की दुश्मन बन जाए। इससे पहले भी पतंगबाजी के दौरान काफी लोगों के मारे जाने की खबर आती रही है। कोई कटी पतंग लूटने को छत से कूद जाता है तो कोई पतंग उड़ाने के नशे में इतना डूब जाता है कि उसे ध्यान ही नहीं रहता वो कहा जा रहा है। ये घटना मांझे से गला कटने की है। जो मांझा किसी इंसान का गला काट सकता है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि मांझे में कितनी तेज धार होगी। आपको बता दें कि मांझा को तेज धार देने के लिए उस पर सीसे की एक पतली परत चढ़ाई जाती है। मांझे से चिड़ियों की मौत की भी घटनाएं सामने आती रहती हैं। हालांकि पक्षी प्रमियों द्वारा चलाए गए जागरुकता अभियान के बाद हाल के वर्षो में इसमें कुछ कमी आई है।

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