गोधरा ट्रेन अग्निकांड का मुख्य आरोपी भाणा गिरफ्तार, रची थी साजिश
गुजरात एटीएस ने वर्ष 2002 के गोधरा ट्रेन मामले में एक प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार किया है। पकड़े गए आरोपी का नाम फारुक भाना है, जो इस घटना के बाद से ही फरार चल रहा था।
अहमदाबाद। गुजरात एटीएस ने वर्ष 2002 में घटित साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन अग्निकांड के 14 वर्षों बाद इसके प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। पकड़े गए आरोपी का नाम फारुक भाणा है, जो इस घटना के बाद से ही फरार चल रहा था। इस मामले में यह चौथी गिरफ्तारी हैै। इससे पहले मामले के अन्य आरोपी फारूक मोहम्मद धांतिया, कादिर अब्दुल गनी और सुलेमान मोहन पहले ही गुजरात एटीएस की गिरफ्त में हैं।
फारुक को पंचमहल जिले के कलोल टोल प्लाजा से गिरफ्तार किया गया है। ज्वाइंट सीपी क्राइम ब्रांच जेके भट्ट ने बताया बीते 5-6 साल से वह मुंबई में रह रहा था। बीएमसी में छोटे कामों के लिए ठेके लेता था। वह गोधरा नहीं आता था लेकिन बीते कुछ समय से वह परिवार से मिलने 4-5 बार गोधरा आया था। सूत्रों से जैसे ही हमें जानकारी मिली वह गोधरा के लिए निकला है,हमने उसे धर दबोचा।
इससे पहले धातिया को भी गुजरात पुलिस ने पंचमहल से ही पिछले वर्ष गिरफ्तार किया था। गौरतलब है कि 27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की बोगी नंबर एस-6 आग लगने से 58 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे।
14 साल बाद गोधरा दंगे के 31 आरोपी बरी
गोधरा कांड घटनाक्रम पर एक नजर
- 27 फरवरी 2002 की सुबह 7 बजकर 43 मिनट पर अहमदाबाद जाने वाली साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन पर थी। प्लेटफाॅर्म से कुछ आगे निकलने के बाद इस ट्रेन की एस 6 बोगी आग की लपटों से घिर गई। इस हादसे में 58 लोगों की जान चली गई। मृतकों में 23 पुरुष, 15 महिलाएं और 20 बच्चे थे।
- हादसे की चपेट में जो एस-6 कोच आया, उसमें कारसेवक सवार थे। मौके का मुआयना करने खुद मुख्यमंत्री गोधरा पहुंचे।
- साल 2002 में ही राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए नानावती आयोग का गठन कर दिया।
- नानावती आयोग ने 2008 में रिपोर्ट सरकार को सौंपी। कई गैर सरकारी संगठनों ने इस रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने पर रोक लगाने की मांग की। इस सिलसिले में गुजरात हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की गई। लेकिन हाईकोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया।
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- यूपीए सरकार ने भी गोधरा कांड की जांच के लिए वर्ष 2004 में एक समिति बनाई। इसके अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस यूसी बनर्जी बनाए गए। इस समिति ने साल 2006 में अपनी रिपोर्ट सौंपी।
- इस मामले की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट बनाने का फैसला किया। ये स्पेशल कोर्ट साबरमती जेल के अंदर ही बना।
- जून 2009 में स्पेशल कोर्ट में मुकदमा शुरू हुआ। मुकदमे के दौरान 253 गवाहों से पूछताछ की गई और गुजरात पुलिस ने कोर्ट के सामने 1500 से अधिक दस्तावेजी सबूत पेश किए। 94 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए। सितंबर 2010 में स्पेशल कोर्ट में ये सुनवाई पूरी हो गई।
- इस मामले में फरार चल रहे तीन आरोपियों को पिछले वर्ष गुजरात पुलिस और गुजरात एटीएस ने गिरफ्तार किया था।