महंगाई पर केंद्र का वार
खाद्य वस्तुओं में महंगाई की लगी आग बुझाने के लिए केंद्र सरकार ने गोदामों के मुंह खोल दिए हैं। वहीं, प्याज जैसी संवेदनशील जिंस की आपूर्ति बनाए रखने के लिए आयात का भी मन बना लिया है। इसीलिए महंगाई को कुचल डालने की मंशा से ही सरकार ने खुले बाजार में एक करोड़ टन गेहूं बेचने का फैसला किया है। पचास लाख टन
By Edited By: Updated: Thu, 24 Jul 2014 07:18 PM (IST)
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। खाद्य वस्तुओं में महंगाई की लगी आग बुझाने के लिए केंद्र सरकार ने गोदामों के मुंह खोल दिए हैं। वहीं, प्याज जैसी संवेदनशील जिंस की आपूर्ति बनाए रखने के लिए आयात का भी मन बना लिया है। इसीलिए महंगाई को कुचल डालने की मंशा से ही सरकार ने खुले बाजार में एक करोड़ टन गेहूं बेचने का फैसला किया है। पचास लाख टन चावल बेचने का निर्णय पहले ही किया जा चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में गुरुवार को महंगाई पर काबू पाने के उपायों पर चर्चा के दौरान खुले बाजार में एक करोड़ टन गेहूं बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। खाद्य मंत्रालय के इस फैसले को महंगाई रोकने के लिए तुरुप के पत्ते के रूप में देखा जा रहा है। खुले बाजार में गेहूं के साथ चावल की उपलब्धता बनाए रखने के लिए राशन दुकानों के मार्फत बेचने का फैसला इसके पहले ही कर लिया गया है। सीसीईए के ताजा फैसले से गेहूं व चावल की जमाखोरी और काला बाजारी करना संभव नहीं होगा। खाद्य मंत्रालय के हाथ में खुले बाजार को प्रभावित करने का ऐसा हथियार लग गया है, जिससे महंगाई होने पर कारगर हस्तक्षेप किया जा सकता है। खुले बाजार में आने वाले अनाज के इतना ज्यादा स्टॉक से कीमतों में नरमी बने रहने की संभावना है। पर्याप्त स्टॉक और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम होने की वजह से चीनी के मूल्य जिंस बाजार में नियंत्रण में हैं। मौसमी सब्जियों के साथ आलू व प्याज के मूल्य भी बेकाबू होने लगे हैं। सरकार की नजर प्याज की आपूर्ति बनाए रखने पर है। इसके लिए आयात का रास्ता अपनाने का प्रस्ताव किया गया है। फिलहाल घरेलू स्तर पर प्याज के स्टॉक और अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज के मूल्यों का आकलन किया जा रहा है।