मोदी सरकार का पहला फैसला, कालेधन पर कार्रवाई को एसआइटी का गठन
सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने पहला काम काला धन रखने वालों पर नकेल कसने से शुरू किया है। सरकार ने काला धन बाहर निकालने के पुख्ता इंतजाम करते हुए एसआइटी गठित कर दी है। काले धन की जांच व निगरानी करने वाली इस एसआइटी में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं जबकि अन्य 11 सदस्य विभिन्न महकमों के आला अधिकारी हैं।
By Edited By: Updated: Wed, 28 May 2014 06:57 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने पहला काम काला धन रखने वालों पर नकेल कसने से शुरू किया है। सरकार ने काला धन बाहर निकालने के पुख्ता इंतजाम करते हुए एसआइटी गठित कर दी है। काले धन की जांच व निगरानी करने वाली इस एसआइटी में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं जबकि अन्य 11 सदस्य विभिन्न महकमों के आला अधिकारी हैं।
संप्रग सरकार की हीला-हवाली के बाद गत एक मई को ही सुप्रीम कोर्ट ने एसआइटी (विशेष जांच दल) का गठन कर दिया था और अध्यक्ष व उपाध्यक्ष समेत सदस्यों के नाम भी तय कर दिए थे। शीर्ष अदालत ने सरकार को इस बावत अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया था जिसकी समयसीमा बुधवार को समाप्त हो रही थी। मोदी कैबिनेट ने मंगलवार को कामकाज संभालते ही पहला काम एसआइटी गठन की मंजूरी देने का किया। सुप्रीम कोर्ट में काले धन का मामला मशहूर वकील राम जेठमलानी ने जनहित याचिका के जरिये उठाया था। सर्वोच्च अदालत ने काले धन की जांच के लिए एसआइटी गठित करने का आदेश तीन साल पहले 4 जुलाई, 2011 को ही सुना दिया था, लेकिन संप्रग सरकार के अड़ियल रुख के कारण अब तक एसआइटी गठित नहीं हो पाई थी। संप्रग सरकार एसआइटी गठन के खिलाफ तीन साल तक सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ती रही। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने गत एक मई को एसआइटी गठन का विरोध करने वाली संप्रग सरकार की याचिकाएं खारिज करते हुए फिर अपने आदेश पर मुहर लगा दी थी। जस्टिस जीवन रेड्डी के एसआइटी का अध्यक्ष बनने में असमर्थता जताए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने एसआइटी का पुनर्गठन करते हुए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एमबी शाह को अध्यक्ष और सेवानिवृत्त न्यायाधीश अरिजीत पसायत को उपाध्यक्ष नियुक्त किया था। इसके अलावा एसआइटी में केंद्र सरकार के विभिन्न महकमों के आला अधिकारी शामिल हैं। इनमें रिजर्व बैंक, रॉ और सीबीआइ के प्रतिनिधि भी हैं। यह एसआइटी न सिर्फ भारत में काला धन रखने वालों के खिलाफ जांच और कार्यवाही करेगी बल्कि विदेशी बैंकों में काला धन जमा करने वाले भारतीयों के खिलाफ भी जांच और कार्रवाई करेगी।
कोर्ट ने 4 जुलाई, 2011 के आदेश में ही स्पष्ट कर दिया था कि एसआइटी देश का सबसे बड़ा कर चोर करार दिए जाने वाले हसन अली और उसके सहयोगी तापड़िया समेत काले धन से जुड़े उन सभी मामलों की भी दोबारा समीक्षा और जांच कर सकती है जिनकी जांच पूरी हो चुकी है। एसआइटी काले धन की समस्या से निबटने के लिए एक समग्र कार्ययोजना भी तैयार करेगी। जिसके तहत ढांचागत तंत्र विकसित किया जाएगा ताकि काला धन देश के बाहर ले जाकर विदेशी बैंकों में न जमा कराया जा सके। एसआइटी सुप्रीम कोर्ट के तहत काम करेगी और काले धन की जांच में हुई प्रगति के बारे में समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल कर उसे सूचित करेगी। एसआइटी के सदस्य
अध्यक्ष - जस्टिस एमबी शाह (सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज) उपाध्यक्ष - जस्टिस अरिजीत पसायत (सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज) सचिव, राजस्व विभाग डिप्टी गवर्नर, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आइबी निदेशक रॉ निदेशक प्रवर्तन निदेशालय निदेशक सीबीआइ निदेशक चेयरमैन सीबीडीटी डीजी नारकोटिक कंट्रोल ब्यूरो डीजी रेवेन्यू इंटेलीजेंस डायरेक्टर फाइनेंसियल इंटेलीजेंस यूनिट संयुक्त सचिव (एफटी एंड टीआर-आइ) ***** ''इस मामले में कई पेचीदगियां हैं। फिलहाल मैं उनका जिक्र नहीं करूंगा। लेकिन, मैं उन्हें जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश करूंगा।'' -जस्टिस (सेवानिवृत्त) एमबी शाह पढ़े: मोदी का राजतिलक शपथ ग्रहण में हिंदी का बोलबाला