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जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन पर विचार कर रही सरकार

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। निर्भया के साथ दरिंदगी में नाबालिग की भूमिका की चर्चाओं के बाद जघन्य अपराध में शामिल किशोरों को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का लाभ देने के खिलाफ उठ रही आवाजों का सरकार ने हल ढूंढ लिया है। सरकार ने ऐसा बीच का रास्ता निकाला है जिसमें कानून के कठोर चंगुल में बच्चे तो न फंसे लेकिन दुर्दात अपराधी जुवेनाइल एक्ट

By Edited By: Updated: Fri, 18 Jul 2014 12:53 AM (IST)

नई दिल्ली [माला दीक्षित]। निर्भया के साथ दरिंदगी में नाबालिग की भूमिका की चर्चाओं के बाद जघन्य अपराध में शामिल किशोरों को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट का लाभ देने के खिलाफ उठ रही आवाजों का सरकार ने हल ढूंढ लिया है। सरकार ने ऐसा बीच का रास्ता निकाला है जिसमें कानून के कठोर चंगुल में बच्चे तो न फंसे लेकिन दुर्दात अपराधी जुवेनाइल एक्ट का लाभ लेकर बचने भी न पाएं।

सरकार जुवेनाइल जस्टिस एक्ट कानून में संशोधन पर विचार कर रही है, जिसमें सीधे तौर पर तो नाबालिग की उम्र सीमा 18 से घटा कर 16 करने का प्रस्ताव नहीं है लेकिन गंभीर अपराध में शामिल इस उम्र सीमा के किशोरों पर मुकदमा चलाने का फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड पर छोड़े जाने का प्रस्ताव जरूर है। मंथन चल रहा है कि बोर्ड को हक दिया जाए कि वह मामले और आरोपी को देखकर यह तय करे कि मुकदमा आइपीसी के तहत सामान्य अदालत में चलेगा या जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में।

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय जुवेनाइल जस्टिस एक्ट को संशोधित कर वास्तविक अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाने के प्रयासों में जोर शोर से लगा है। मंत्रालय ने जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन का एक प्रारंभिक ड्राफ्ट (मसौदा) तैयार किया है। यह ड्राफ्ट कानून मंत्रालय सहित सभी संबंधित मंत्रालय व विभागों को उनके सुझाव के लिए भेजा गया था। मंत्रालय ने आम जनता से भी प्रस्ताव पर सुझाव मांगे थे।

ड्राफ्ट में मुख्यता दो पहलू हैं। पहला तो जघन्य अपराध में शामिल 16 से 18 वर्ष के किशोर पर मुकदमा चलाने का फैसला जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड पर छोड़ना और दूसरा किशोर का आपराधिक रिकार्ड मिटाए जाने के प्रावधान में संशोधन।

मौजूदा कानून में 18 वर्ष तक का नाबालिग कितने भी गंभीर अपराध में क्यों न आरोपी हो उस पर सामान्य अदालत में मुकदमा नहीं चल सकता। न ही उसे जेल भेजा जाता है। उसका मुकदमा जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में ही चलता है और उसे अधिकतम तीन वर्ष तक की सजा दी जा सकती है। उसे सुधार गृहों में रखा जाता है।

निर्भया कांड के बाद से नाबालिग उम्र 18 से घटा कर 16 करने या फिर जघन्य अपराध में शामिल 16 से 18 वर्ष के किशोर पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाने की मांग उठ रही है। इस मांग का बाल अधिकारों की पैरोकारी करने वाले विरोध कर रहे हैं। ऐसे में सरकार ने बीच का रास्ता निकाला है।

ड्राफ्ट पर मंत्रालय को करीब एक हजार सुझाव मिले हैं। सूत्र बताते हैं कि महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने स्वयं सभी सुझावों को पढ़ा है और अब उन्हें प्रस्तावित ड्राफ्ट में शामिल करने पर मंथन चल रहा है। मंत्रालय में इस पर रोजाना बैठकें हो रही हैं। गुरुवार को भी बैठक हुई थी ताकि जल्दी से जल्दी फाइनल ड्राफ्ट तैयार कर कानून संशोधन के लिए पेश किया जा सके।

दूसरी ओर जुवेनाइल जस्टिस कानून में संशोधन कर किशोर की उम्र घटाने की मांग खारिज होने के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल हुई है।

पढ़ें: जुवेनाइल एक्ट पर पुनर्विचार करे सरकार: सुप्रीम कोर्ट

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