भूमि अधिग्रहण कानून पर सरकार नरम, दो सुधारों पर हुई राजी
बजट सत्र के सोमवार को शुरु होने से ऐन पहले मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक में सुधार का मन बनाते हुए भूमि कानून पर नरम रुख अख्तियार कर लिया है। अपने छह अहम अध्यादेशों को विधेयक का रूप देने के मजबूत इरादे पर अन्ना हजारे के सत्याग्रह की दस्तक
By anand rajEdited By: Updated: Sun, 22 Feb 2015 09:37 AM (IST)
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। बजट सत्र के सोमवार को शुरु होने से ऐन पहले मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण विधेयक में सुधार का मन बनाते हुए भूमि कानून पर नरम रुख अख्तियार कर लिया है। अपने छह अहम अध्यादेशों को विधेयक का रूप देने के मजबूत इरादे पर अन्ना हजारे के सत्याग्रह की दस्तक और कांग्रेस व तृणमूल के दबाव के बीच केंद्र सरकार भूमि अधिग्रहण अध्यादेश में दो सुधारों पर राजी है।
भूमि अधिग्रहण विधेयक में जो सबसे विवादास्पद मुद्दे थे सरकार ने उस पर अपना रुख नरम किया है। अब औद्योगिक कारीडोर के लिए होने वाले भूमि अधिग्रहण में किसानों की सहमति ली जाएगी। साथ ही इस विधेयक में सामाजिक प्रभावों से जुड़े प्रावधानों में बदलाव की बात को भी सरकार ने मान लिया है। सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, चौ. बीरेंद्र सिंह और किसान संघों के नेताओं से चर्चा के दौरान इस पर सहमति बनी है। किसानों के विरोध पर केंद्र सरकार और भाजपा में भी इस बात पर पिछले कुछ दिनों से चर्चा जारी है। कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ ही अन्ना हजारे के उतरने से सरकार और भाजपा के भीतर इस विधेयक में बदलाव की तैयारी कर ली है। इस सिलसिले में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पिछले दिनों जब संघ कार्यालय गए थे तो संघ के नेताओं ने भी विधेयक पर संशोधन की बात उठाई थी। जबकि, शनिवार को पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने इस पर चर्चा की। शुक्रवार को इस मामले पर बीएमएस पदाधिकारियों की भाजपा नेताओं से चर्चा हुई। इससे पहले भारतीय मजदूर संघ जैसे भाजपा के सहयोगी संगठन मामले में सरकार को चेतावनी दे चुके हैं। सरकार चर्चा के दौरान अथवा मंत्री के जवाब के वक्त नए संशोधन पेश कर सकती है। सरकार इस विधेयक पर मार्च के पहले सप्ताह में ही चर्चा कराने के मूड में है। छह अध्यादेश पारित कराने की जद्दोजहद
भू-अधिग्रहण बिल को शुरूआती दिनों में ही संसद में पेश करने संबंधी नोटिस सरकार लोकसभा सचिवालय को दे चुकी है। मंगलवार को सरकार इसे और खनन बिल को लोकसभा में पेश कर सकती है। सरकार को इसी सत्र में कोयला, भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन, बीमा में एफडीआई सीमा बढ़ाने, नागरिकता संशोधन और ई-रिक्शा से जुड़े छह अध्यादेश पारित कराने हैं।
सरकार को पीछे हटने को मजबूर करेगी कांग्रेस
बजट सत्र में कांग्रेस की रणनीति मोदी सरकार की मजबूत छवि तोड़ने की है। तय रणनीति के मुताबिक लोकसभा व राज्य सभा में सरकार को विपक्ष की अलग-अलग रणनीति से पार पाना होगा। कांग्रेस लोकसभा में कम संख्या के मद्देनजर अपनी बात कहने के लिए हंगामा और संसद ठप करने की रणनीति पर चलेगी। वहीं, राज्यसभा में पार्टी सरकार को असहयोग के जरिए पंगु करने का प्रयास करेगी। कांग्रेस ने अन्य पार्टियों की मदद से सरकार के इन प्रयासों को विफल करने के संकेत दिए हैं। राज्यसभा ही नहीं इन अध्यादेशों पर सरकार को लोकसभा में भी विपक्ष की मजबूत रणनीति का सामना करना पड़ेगा। कांग्रेस की कोशिश भूमि अधिग्रहण पर सरकार को पीछे हटने को मजबूर करना है। यहां बात बनने की स्थिति में कांग्रेस दूसरे मुद्दों पर सरकार का साथ दे सकती है। पार्टी राहुल गांधी के प्रिय मुद्दे पर बढ़त लेना चाहती है। बजट सत्र पर रणनीति को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक बैठक की जिसमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, लोकसभा में नेता मल्लिकाजरुन खड़गे, मुख्य सचेतक ज्योतिरादित्य सिंधिया और दीपेंद्र हुड्डा मौजूद रहे। अन्ना के मंच पर राजनीतिक दलों को नो एंट्री जल, जंगल और जमीन के मुद्दे को लेकर जंतर-मंतर पर आंदोलन शुरू करने जा रहे सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत राजनीतिक दलों को अपने आंदोलन में शामिल होने की इजाजत तो दे दी है, लेकिन यह भी साफ कर दिया है कि मंच पर उनके लिए कोई जगह नहीं होगी।
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