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महंगाई रोकने का वादा पूरा करेगी सरकार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महंगाई पर काबू पाने की प्रतिबद्धता के मद्देनजर नए उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान हर संभव प्रयास करेंगे। खाद्य मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद पासवान ने कहा कि खाद्यान्न की सप्लाई लाइन को बनाए रखने के लिए कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। खाद्यान्न भंडारण के उचित इंतजाम किए जाएंगे, ताकि

By Edited By: Updated: Wed, 28 May 2014 06:11 AM (IST)
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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महंगाई पर काबू पाने की प्रतिबद्धता के मद्देनजर नए उपभोक्ता मामले व खाद्य मंत्री राम विलास पासवान हर संभव प्रयास करेंगे। खाद्य मंत्रालय का पदभार संभालने के बाद पासवान ने कहा कि खाद्यान्न की सप्लाई लाइन को बनाए रखने के लिए कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। खाद्यान्न भंडारण के उचित इंतजाम किए जाएंगे, ताकि खुले में अनाज सड़ने न पाए।

कृषि भवन में पत्रकारों से संक्षिप्त बातचीत में पासवान खाद्य मंत्रालय के कामकाज से संतुष्ट नजर नहीं आए। राशन प्रणाली में भारी लीकेज, अनाज की चोरी, भ्रष्टाचार, गोदामों की कमी से खुले में अनाज के सड़ने पर उन्होंने गंभीर चिंता जताई। पासवान की निगाह में इन खामियों को रोकना और खाद्य सुरक्षा कानून को लागू करना उनकी चुनौती होगी। मंत्रालय के कामकाज में पारदर्शिता लाने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने खाद्यान्न के भंडारण और वितरण प्रणाली की खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि गोदामों में दस-दस साल पुराना अनाज पड़ा रहता है। हजारों टन अनाज चूहे खा जाते हैं, जिसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता है।

महंगाई रोकने की सरकार की रणनीति के बारे में पासवान ने कहा कि इसके लिए कैबिनेट में नीतिगत विषयों पर चर्चा होगी, जिसे हम सख्ती से लागू करेंगे। गोदामों की कमी से हर साल अनाज के सड़ने की खबरें आती हैं। इसे रोकना प्राथमिकता होगी। गरीबों तकराशन का अनाज पहुंचाने के लिए केंद्र व राज्यों के बीच सप्लाई लाइन में तालमेल बनाया जाएगा। वेयर हाउसिंग चेन पर जोर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी के निर्देशों को ध्यान में रखकर जनहित में कदम उठाए जाएंगे।

चालू रबी खरीद सीजन में फिलहाल गेहूं की सरकारी खरीद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली [पीडीएस] और किसानों को उसकी उपज को न्यूनतम समर्थन मूल्य [एमएसपी] के भुगतान पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

एक अन्य सवाल के जवाब में पासवान ने उपभोक्ता संरक्षण कानून और उसके लिए गठित उपभोक्ता अदालतों के कामकाज पर सख्त नाराजगी जताई। उनका कहना था कि इन अदालतों का हाल भी सामान्य न्यायालयों जैसा ही हो गया है। उपभोक्ता मामलों में भी फैसला आने में लंबा समय लगने लगा है। यह उपभोक्ता हितों के कतई अनुकूल नहीं है।

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