'आउट ऑफ कोर्ट' मुकदमे निपटाने की तैयारी में सरकार
दिनों दिन अदालतों में लंबित मुकदमों का बोझ लगातार बढता जा रहा है। सरकार अब इस समस्या से निपटने के लिए ऐसे कानून बनाने जा रही है जिससे कि किसी मामले का निस्तारण अदालत के बाहर ही हो जाए।
नई दिल्ली । दिनों दिन अदालतों में लंबित मुकदमों का बोझ लगातार बढता जा रहा है। सरकार अब इस समस्या से निपटने के लिए ऐसे कानून बनाने जा रही है जिससे कि किसी मामले का निस्तारण अदालत के बाहर ही हो जाए।
हालांकि तलाक संबंधी मामलों में कोर्ट 'मध्यस्थता' के तरीकों का इस्तेमाल कर रही है। लेकिन अब अन्य विवादों को सुलझाने में भी ऐसी ही प्रक्रिया का उपयोग किया जाएगा। मकान-मालिक किराएदार व औद्योगिक विवाद जैसे मामले अदालतों में बड़ी संख्या में लंबित हैं। सरकार नए कानून के तहत अब इन्हें भी अदालतों के बाहर सुलझाने के लिए कानून लाने की तैयारी में है। कानून मंत्रालय इस दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है। यही नहीं ऐसे मामलों में 'मध्यस्थता' की प्रक्रिया को कानूनी वैधता देने की तैयारी की जा रही है।
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मंत्रालय ने माना कि मध्यस्थता को लेकर देश में कोई कानूनी बाध्यता नहीं है, जिसकी वजह से कई मामलों के निस्तारण में लोगों के मन में संदेह की स्थिति बनी रहती है। इसका परिणाम यह होता है कि ज्यादातर लोग अदालती प्रक्रिया का सहारा लेता है।
नए कानून के तहत अगर अदालत के बाहर ही किसी मामले का निस्तारण होता है तो कोर्ट पर बढ़ते मुकदमों से बड़ी राहत मिलेगी। देश की अदालतों में तकरीबन 2.64 करोड़ मामले लंबित हैं। देश में मध्यस्थता की प्रक्रिया की मदद से सुलझने वाले मामले मध्यस्थता एवं सुलह कमेटी की देख रेख में होते हैं। ये सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित होते हैं।