Move to Jagran APP

हर माह बढ़ेंगे रसोई गैस, केरोसिन के दाम!

अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आम जनता को कड़वी दवा खाने की सलाह दे रही केंद्र सरकार जल्द ही पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को लेकर भी एक अहम फैसला कर सकती है। डीजल की कीमत में हर महीने 50 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि के फॉर्मूले को रसोई गैस (एलपीजी) और केरोसिन पर आजमाने की योजना है। कच्चे तेल (क्रूड

By Edited By: Updated: Wed, 25 Jun 2014 11:26 AM (IST)
Hero Image

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए आम जनता को कड़वी दवा खाने की सलाह दे रही केंद्र सरकार जल्द ही पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को लेकर भी एक अहम फैसला कर सकती है। डीजल की कीमत में हर महीने 50 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि के फॉर्मूले को रसोई गैस और केरोसिन पर आजमाने की योजना है। कच्चे तेल (क्रूड) की बढ़ती कीमतों से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सरकार एलपीजी की कीमत में हर महीने पांच रुपये प्रति सिलेंडर और केरोसिन में एक रुपये प्रति लीटर की वृद्धि करने की संभावना तलाश रही है।

यह प्रस्ताव पेट्रोलियम मंत्रालय में तैयार किया जा रहा है। इस पर अंतिम फैसला राजनीतिक पहलुओं को देखने के बाद ही होगा। राजग सरकार ने गठन के साथ ही इस बात के संकेत दे दिए थे कि वह सब्सिडी को लेकर ज्यादा तर्कसंगत रवैया अपनाएगी। पिछले दिनों रेल भाड़ा बढ़ाकर सरकार ने अपनी मंशा भी साफ कर दी है। अब सरकार के सामने पेट्रोलियम उत्पादों को दी जाने वाली सब्सिडी को कम करने की चुनौती है। लेकिन, सरकार पेट्रोलियम सब्सिडी में धीरे-धीरे कटौती करना चाहती है। एक बार में बड़ी मूल्य वृद्धि करने का महंगाई दर पर भी असर पड़ने का खतरा है।

पेट्रोलियम मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, रसोई गैस की कीमत को हर महीने पांच रुपये प्रति सिलेंडर बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही केरोसिन की कीमत में एक रुपये प्रति लीटर की वृद्धि का भी प्रस्ताव है। मौजूदा समय में तेल कंपनियों को केरोसिन पर 32.87 रुपये प्रति लीटर का घाटा उठाना पड़ रहा है। जबकि तेल कंपनियां हर एलपीजी सिलेंडर पर 432 रुपये का घाटा उठा रही हैं। इस हिसाब से डीजल, रसोई गैस और केरोसिन पर 1,01,700 करोड़ रुपये की सब्सिडी देनी पड़ सकती है। इसके आधे हिस्से का प्रावधान बजट से करना पड़ सकता है, जिससे राजकोषीय घाटे को कम करने की सरकार की कोशिशों को झटका लग सकता है।

डीजल कीमत में पिछले एक साल से भी ज्यादा समय से पचास पैसे प्रति लीटर की वृद्धि की जा रही है। इसे काफी सफल माना जा रहा है। इससे तेल कंपनियों को डीजल पर संभावित घाटे में 45 हजार करोड़ रुपये की कमी हुई है। जबकि पेट्रोल की कीमत को पहले ही बाजार आधारित किया जा चुका है।

पढ़े: डीजल के तर्ज पर बढ़ेगी रसोई गैस की कीमत!

पेट्रोल डीजल के दाम बढ़ाने की सिफारिश