अदालतों में 40 हजार जजों की नियुक्ति की मांग सरकार ने की खारिज
केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस की उस मांग को खारिज कर दिया है जिसमें उन्होंने करोड़ों मुकदमों के निपटारे के लिए 40 हजार से ज्यादा जजों की नियुक्ति की मांग की थी।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की उस मांग को खारिज कर दिया है। जिसमें उन्होंने करोड़ों मुकदमों के निपटारे के लिए 40 हजार से ज्यादा जजों की नियुक्ति की मांग की थी। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक केंद्र सरकार ने कहा कि मुख्य न्यायधीश का यह बयान बिना किसी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर दिया गया है।
टीएएस ठाकुर ने 1987 लॉ कमीशन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा था कि लंबित पड़े मुकदमों को निपटाने के लिए 40 हजार जजों की और जरुरत है। हालांकि कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि ‘1987 में लॉ कमीशन की रिपोर्ट विशेषज्ञों और आम आदमी की राय पर तैयार की गई थी। साथ ही इस पर कोई वैज्ञानिक डेटा भी उपलब्ध नहीं है।‘
वर्तमान में भारत में 10 लाख की जनसंख्या पर सिर्फ 10.5 न्यायाधीश हैं। जो कि विश्व में सबसे कम है। लॉ कमीशन की रिपोर्ट में 10 लाख की जनसंख्या पर 40 जजों की सिफारिश की गई थी। कमीशन ने 245वीं रिपोर्ट में कहा है कि 10 लाख की जनसंख्या में 50 जज होने चाहिए। मौजूदा हालात में न्यायाधीशों की कुल स्वीकृत संख्या 21,598 है जिसमे 20,502 ट्रायल कोर्ट के लिए, 1,065 हाईकोर्ट औऱ 31 सुप्रीम कोर्ट के लिए हैं।
जजों की नियुक्ति में सरकार की ओर से नहीं होती है देरी- सदानंद गौड़ा
अपने मंत्रालय के दो साल के कामकाज का ब्यौरा देते हुए कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने उस आरोप को खारिज कर दिया जिसमें केंद्र पर जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में देरी लगाने का आरोप लगाया गया है। गौड़ा ने कहा कि 'सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों की नियुक्ति के लिए 6 दिन में ही नाम तय कर लिए गए थे।'
गौड़ा ने बताया कि सरकार हाईकोर्ट के 170 जजों के नाम तय करने की प्रक्रिया में लगी है और इनके भी नाम बहुत जल्द तय हो जाएंगे। उन्होंने बताया कि 'हाईकोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या को 906 से बढ़ाकर 1065 किया गया है। जबकि अधीनस्थ कोर्ट में जजों की स्वीकृत संख्या को 17,715 से बढ़ाकर 20,502 को मंजूर किया गया है।' गौड़ा ने ये भी कहा कि सरकार राष्ट्रीय मुकदमेबाजी नीति पर विचार कर रही है।
जजों की संख्या कम होने से तीन करोड़ मामले विचाराधीन : टीएस ठाकुर