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गंगा को मैला करने वाले स्त्रोतों की पहचान को गठित होगी टीमें

नई दिल्ली। गंगा को मैला करने वाले स्त्रोत अब सरकार की निगाह से बच नहीं सकेंगे। निर्मल गंगा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान को गति देते हुए सरकार ने इन स्त्रोतों की पहचान के लिए 25 विशेष टीमें गठित करने की तैयारी की है। ये टीमें पवित्र गंगा को

By Babita kashyapEdited By: Updated: Mon, 03 Nov 2014 10:33 AM (IST)
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नई दिल्ली। गंगा को मैला करने वाले स्त्रोत अब सरकार की निगाह से बच नहीं सकेंगे। निर्मल गंगा के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अभियान को गति देते हुए सरकार ने इन स्त्रोतों की पहचान के लिए 25 विशेष टीमें गठित करने की तैयारी की है। ये टीमें पवित्र गंगा को प्रदूषित करने वाले स्त्रोतों को चिन्हित करेंगी ताकि इन पर लगाम लगाने के लिए जरूरी कदम उठाए जा सकें।

इन टीमों में जल संसाधन मंत्रालय के विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी शामिल होंगे। ये टीमें सर्दियों के समय गंगा और इसमें मिलने वाले नालों का विस्तृत रूप से निरीक्षण करेंगे। सर्दियों के समय गंगा में ग्लेशियरों का पानी नहीं होता, इसलिए इस समय गंगा को प्रदूषित करने वाले ऐसे गंदे पानी के स्त्रोतों को चिन्हित किया जा सकेगा, जो कि विभिन्न उद्योगों और फैक्ट्रियों से निकलता है।

गंगा में प्रदूषण फैलाने वाले स्त्रोतों की पहचान की यह प्रक्रिया गर्मियों से पहले पूरी होने की उम्मीद है। यह कवायद गंगा के प्रवाह क्षेत्र वाले सभी राज्यों में की जाएगी। एक अधिकारी ने उदाहरण के तौर पर बताया कि विशेष टीमें कानपुर में डेटा तैयार करने के लिए पांच या छह नालों का निरीक्षण करेंगी। इस डेटा से हमें ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने संबंधी योजनाएं तैयार करने और कार्रवाई में मदद मिलेगी।

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