प्रचंड कलह में फंसी 'आप', जानें-केजरीवाल के सामने क्या हैं रास्ते
कपिल मिश्रा के आरोपों के बाद 'आप' पार्टी बैकफुट पर आ गई है। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने कहा कि उनके आरोप जवाब देना भी उचित नहीं है।
नई दिल्ली [स्पेशल डेस्क] । दिसंबर 2013 में दिल्ली का रामलीला मैदान खचाखच भरा था। दिल्ली की फिजां में ठंडी थी, लेकिन लोग जोश से लबरेज थे। भारतीय राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा था। अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने खुले मंच से ऐलान किया कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर चलेगी। लेकिन केजरीवाल की बातें विरोधाभाषी निकलीं। भ्रष्टाचार के कीचड़ में पूरी तरह सनी कांग्रेस का समर्थन लेने से उन्होंने परहेज नहीं किया था। केजरीवाल की अगुवाई में दिल्ली सरकार महज 49 दिनों तक शासन में रही और अल्पमत में होने की वजह से उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। करीब एक साल तक दिल्ली में राष्ट्रपति शासन के बाद दिल्ली में एक बार फिर चुनाव हुए। दिल्ली की जनता ने 2015 में आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत दिया। लेकिन 2015 से अब तक पार्टी और पार्टी नेताओं का चाल, चरित्र और चेहरा कुछ ऐसा बदला की अब लोग खुद से सवाल पूछ रहे हैं कि रामलीला मैदान में केजरीवाल ने जो कहा था वो आदर्श बोल किस आंधी में उड़ गए।
प्रचंड बहुमत, प्रचंड कलह
गोवा और पंजाब में करारी हार के बाद में आम आदमी पार्टी के नेताओं के सुर एक दूसरे से अलग हो गए। केजरीवाल और सिसौदिया जहां हार के लिए ईवीएम को जिम्मेदार ठहराया। दबे सुर में ये भी आवाज उठी की ईवीएम को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। लेकिन एमसीडी चुनाव में शिकस्त के बाद विरोध के जो बोल पार्टी फोरम तक सीमित होते थे अब वो सार्वजनिक हो गए। पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक कुमार विश्वास ने कहा कि ईवीएम पर दोष मढ़ने से बेहतर है कि हम खुद आत्मपरीक्षण करें। चांदनी चौक से विधायक अल्का लांबा ने भी कहा था कि हम कब तक ईवीएम को दोष देते रहेंगे।
कुमार-कपिल कनेक्शन और आप की छवि
आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन पर कुमार विश्वास खुलकर सामने आ गए। आप विधायक अमानतुल्ला खान ने कुमार विश्वास पर गंभीर आरोप लगाए। लेकिन पार्टी ने अपनी छवि का और नुकसान से बचाने के लिए कुमार विश्वास के मुद्दे को जल्द ले जल्द सुलझाने की कोशिश की। बताया जाता है कि कुमार विश्वास की इस मुहिम में दिल्ली के जल मंत्री कपिल मिश्रा खुलकर समर्थन कर रहे थे जो आप के कद्दावर नेताओं को रास नहीं आई। दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया जिस कपिल मिश्रा का समर्थन कर रहे थे उन्होंने मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। आप नेताओं की बयानबाजी का पार्टी के सेहत पर कितना असर होगा इसे जानने की कोशिश करेंगे।
खतरे में आप की विश्वसनीयता
एमसीडी चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद आम आदमी पार्टी में जिस तरह से कलह सामने आ रहे हैं, उसके बाद पार्टी की विश्वसनीयता पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जिस समय भारतीय राजनीति निराशा के दौर से गुजर रही थी उस वक्त दिल्ली की सड़कों पर एक आंदोलन जन्म दे रहा था जिससे भारतीय मध्यवर्ग में आशा का संचार हो रहा था। दिल्ली के मतदाताओं ने आप पार्टी में भरोसा जताया। लेकिन पिछले दो साल में कई घटनाओं के बाद आम आदमी पार्टी भी दूसरी पार्टियों की कतार में खड़ी होती नजर आ रही है।
कार्यकर्ताओं में निराशा और हताशा
आम आदमी पार्टी में हालिया घटनाओं से कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर पड़ा है। आम कार्यकर्ता हताश और निराश हैं। कार्यकर्ता जिस उत्साह के साथ आम लोगों तक अपनी पार्टी की नीतियों की बात किया करते थे वो खुद निराशा के सागर में गोते लगा रहे हैं कि अब वो मतदाताओं को किस अंदाज में जवाब देंगे।
अंदरूनी गुटबाजी में होगी बढ़ोतरी
जानकारों का कहना है कि दो साल पहले पार्टी के नेताओं में जितना सामंजस्य था उसमें कमी आई है। पार्टी का आतंरिक स्वरूप और लोकतंत्र सिमट चुका है। पार्टी के महत्वपूर्ण फैसले केजरीवाल या उनसे जुड़े दो या तीन लोग ही लेते हैं। पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए उन नेताओं तक पहुंच पाना अब आसान नहीं रह गया है।
आरोप की सच्चाई जो भी हो छवि का पहुंचेगा नुकसान
कपिल मिश्रा के आरोपों में भले ही सच्चाई का अंश न हो लेकिन उनके आरोपों से खुद का पीछा छुड़ाना आसान नहीं होगा। जनता में ये सामान्य धारणा बन रही है कि आप भी दूसरों से अलग नहीं है। 2019 में लोकसभा के आम चुनाव में पीएम मोदी का सामना करना आसान नहीं होगा।
कपिल के आरोप
कपिल मिश्रा ने कहा कि उन्होंने खुद सत्येंद्र जैन को दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को दो करोड़ कैश देते हुए देखा था। इसके अलावा जैन ने 50 करोड़ के जमीन सौदे में केजरीवाल के करीबी रिश्तेदार की मदद की थी।
मनीष का जवाबकपिल के आरोपों पर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसौदिया ने कहा कि उनके आरोपों पर क्या कहा जाए समझ के बाहर है। सिसौदिया ने कहा कि उनके आरोपों पर जवाब देना भी उचित नहीं है।
जानकारों का कहना है कि इस तथ्य से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी में सब कुछ ठीक चल रहा है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अब गंभीरता से विचार करना होगा कि आखिर दूसरे नेता आरोप क्यों लगा रहे हैं। कार्यकर्ताओं में भरोसा पैदा करने के लिए दिल्ली के सीएम केजरीवाल को प्रभावी कदम उठाने पर गंभीरता से विचार करना होगा ताकि पार्टी अपने मूल मकसद को हासिल करने में कामयाब हो सके।