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'अवैध थी ले. जनरल सुहाग पर कार्रवाई'

उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर पूर्व सेनाध्यक्ष और अब केंद्रीय मंत्री बने जनरल वीके सिंह ने जिन खामियों के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी, केंद्र सरकार ने उसे पूर्वनियोजित, संदिग्ध और अवैध करार दिया है। ले. जनरल रवि दस्ताने की याचिका पर रक्षा मंत्रालय ने हाल में ही सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर यह बात कही है।

By Edited By: Updated: Wed, 11 Jun 2014 07:02 AM (IST)
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नई दिल्ली। उप सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर पूर्व सेनाध्यक्ष और अब केंद्रीय मंत्री बने जनरल वीके सिंह ने जिन खामियों के आधार पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की थी, केंद्र सरकार ने उसे पूर्वनियोजित, संदिग्ध और अवैध करार दिया है। ले. जनरल रवि दस्ताने की याचिका पर रक्षा मंत्रालय ने हाल में ही सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल कर यह बात कही है।

राजग सरकार की ओर से दायर इस हलफनामे के सामने आने के बाद कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के इस्तीफे की मांग की है। अब यह देखना है कि पूर्व सेनाध्यक्ष खुद इस्तीफा देते हैं या फिर उन्हें बर्खास्त किया जाता है। कांग्रेस की ओर से आई इस्तीफे की मांग के बीच हालांकि वीके सिंह ने सुहाग के खिलाफ की गई कार्रवाई को जायज करार दिया है। उन्होंने इस बारे में ट्वीट किया कि क्या यूनिट के लोग निर्दोषों की हत्या करें और डकैती डालें तो भी संस्था के मुखिया को उनका बचाव करना चाहिए। क्या अपराधियों को खुला छोड़ दिया जाना चाहिए।

गौरतलब है कि वीके सिंह के कार्यकाल में ले. जनरल सुहाग पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई थी। उनके खिलाफ यह कार्रवाई सेना की विवादास्पद खुफिया इकाई द्वारा चलाए गए अभियान के कमांड और नियंत्रण में कथित तौर पर असफल रहने के आधार पर की गई थी। जनरल सुहाग उस वक्त दीमापुर स्थित 3 कोर के कमांडर थे और खुफिया इकाई सीधे उनके नियंत्रण में थी। दास्ताने ने अपनी याचिका में सुहाग को सैन्य कमांडर बनाए जाने में पक्षपात का आरोप लगाया है। मौजूदा सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह के सेवानिवृत्त होने के बाद सुहाग देश के अगले सेनाध्यक्ष होंगे। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सितंबर में सुनवाई करेगा। हलफनामे की बात सामने आने के बाद रक्षा मंत्रालय ने एक बार फिर कहा कि इस मामले पर वह अपने पुराने रुख पर कायम है।

हलफनामे के मुताबिक, तत्कालीन चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के द्वारा तय की गई कथित खामियां पूर्वनिर्धारित और कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के प्रावधानों एवं नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ था। ये कमियां संदिग्ध और कल्पना पर आधारित थीं, जो कानूनी और तथ्यात्मक आधार पर नहीं टिक सकतीं। रक्षा मंत्रालय ने कोर्ट को बताया कि जब कारण बताओ नोटिस की पूरी प्रक्रिया ही पूर्व नियोजित थी तो उसके आधार पर लगाया गया प्रतिबंध गैरकानूनी है। ऐसे में सुहाग की नियुक्ति में इसका कोई महत्व नहीं है।

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