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एक नजर: वीरता पुरस्कार विजेता आनंदी बेन पटेल

गुजरात में मोदी के बाद राज्य के उत्तराधिकारी को लेकर गहन चर्चा हो रही है। सबकी निगाहें इसी पर टिकी हैं कि मोदी के बाद कौन संभालेगा इस विकसित राज्य को। इस दौड़ में कई दिग्गजों का नाम सामने आया है किंतु इन सब में राज्य की राजस्व मंत्री आनंदी बेन पटेल मुख्यमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे नजर आ रही हैं। च

By Edited By: Updated: Wed, 21 May 2014 04:28 PM (IST)
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अहमदाबाद। गुजरात में आनंदीबेन पटेल को नरेंद्र मोदी की उत्तराधिकारी के तौर पर चुना गया है। अब आनंदीबेन गुजरात की नई मुख्यमंत्री होंगी। पिछले कई दिनों से इसबात पर गहन चर्चा जारी थी कि मोदी के बाद अब गुजरात का मुख्यमंत्री कौन होगा, लेकिन आनंदीबेन के नाम को विधायकों ने सर्वसम्मति के साथ पास कर दिया।

आनंदी का पूरा नाम आनंदी बेन जेठाभाई पटेल है। राज्य के लिए यह कोई नया चेहरा नहीं है। आनंदी राज्य की राजस्व मंत्री होने के साथ-साथ मोदी की भी करीबी मानी जाती हैं। अनुशासन प्रिय आनंदी बेन अहमदाबाद के मोहिनीबा कन्या विद्यालय की पूर्व प्रधानाचार्या भी रह चुकी हैं।

गुजरात भाषा की अच्छी प्रवक्ता 71 वर्षीय आनंदी और मोदी की लोकप्रियता की बात करें तो राज्य में इन दोनों नेताओं को अपनी कार्यकुशलता के लिए जाना जाता है। मोदी सन् 1988 से आनंदी बेन को जानते हैं जब ये भाजपा में शामिल हुई थीं। आनंदी उस समय से चर्चा में आई जब इन्होंने अकाल पंडितों के लिए न्याय मांगने के कार्यक्रम में हिस्सा लिया था। वर्ष 1995 में शंकर सिंह वाघेला ने जब बगावत की थी, तो उस कठिन दौर में भी आनंदीबेन और मोदी ने साथ-साथ पार्टी के लिए काम किया था। बेदाग छवि वाली आनंदी बेन के पास अनुभव की कमी नहीं है। 1998 में कैबिनेट में आने के बाद से वे शिक्षा और महिला एवं बाल कल्याण जैसे मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुकी हैं।

एक बात और है जोकि आनंदी बेन की ओर ध्यान आकर्षित करती है। कार्यकुशल, अनुशासित होने के साथ-साथ आनंदी निडर और साहसी भी हैं। इन्हें वर्ष 1987 में वीरता पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है। एक छात्रा को डूबने से बचाने के लिए आनंदी खुद झील में कूद गई थीं। इससे एक बात तो साफ है कि आनंदी निडर-साहसी तो हैं ही साथ ही इनके अंदर मानवता की कोई कमी नहीं है। शहरी विकास और राजस्व मंत्री के बतौर इन्होंने ई-जमीन कार्यक्रम, जमीन के स्वामित्व डाटा और जमीन के रिकॉर्ड को कंप्यूटरीकृत करके जमीन के सौदों में होने वाली धांधली की आशंका को कम कर दिया। इनकी इस योजना से गुजरात के 52 प्रतिशत किसानों के अंगूठे के निशानों और तस्वीरों का कंप्यूटरीकरण कर दिया गया।