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परिवार ने माना गुमनामी बाबा ही थे नेताजी

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाई की पौत्री जयंती रक्षित व तापती घोष ने भी माना है कि फैजाबाद के रामभवन में अंतिम सांस लेने वाले गुमनामी बाबा ही नेताजी थे। उन्होंने कहा कि उनके पास से मिले सामान, लिखावट व शौक आदि से पता चलता है कि भगवन जी के नाम से विख्यात यह शख्स कोई और नहीं बल्कि नेताजी सुभाषचंद बोस थे। उन्ह

By Edited By: Updated: Sat, 05 Apr 2014 07:13 AM (IST)

जागरण संवाददाता, फैजाबाद। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाई की पौत्री जयंती रक्षित व तापती घोष ने भी माना है कि फैजाबाद के रामभवन में अंतिम सांस लेने वाले गुमनामी बाबा ही नेताजी थे। उन्होंने कहा कि उनके पास से मिले सामान, लिखावट व शौक आदि से पता चलता है कि भगवन जी के नाम से विख्यात यह शख्स कोई और नहीं बल्कि नेताजी सुभाषचंद बोस थे। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट को इसे संज्ञान में लेकर एसआइटी गठित कर यह जांच करवानी चाहिए कि आखिर भगवन जी के पास मिले सामान किसके हैं और भगवन जी कौन थे? तब सारे तथ्य खुद सामने आ जाएंगे। इससे यह भी प्रमाणित हो जाएगा कि भगवन जी ही नेता जी थे।

सिविल लाइंस स्थित रामभवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि पहले भी इस प्रकार की बातें कई बार सामने आई कि फलां साधु नेताजी सुभाषचंद बोस हैं, लेकिन कोई ठोस आधार नहीं मिला। इसके बाद जब मुखर्जी आयोग की रिपोर्ट में यह सामने आया कि नेताजी की मौत ताईवान में नहीं हुई। तब उन्होंने मामले की गहन छानबीन की। पता चला है कि गुमनामी बाबा के नाम से पहचान पाने वाले ही नेताजी थे। उन्होंने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता तो हाई कोर्ट ने गुमनामी बाबा के सामान को सुरक्षित रखने का आदेश क्यों दिया? जबकि किसी आम शख्स के लिए ऐसा नहीं किया जाता। उन्हें यह भरोसा नहीं है कि सरकार जांच कराएगी और सारे तथ्य सामने आएंगे। इसलिए हाई कोर्ट को प्रकरण का संज्ञान लेना चाहिए और सारे तथ्यों की छानबीन करानी चाहिए।