Move to Jagran APP

गुरु तेग बहादुर की तपोस्थली में जीवंत हैं स्मृतियां

ग्रंथी ज्ञानी जीउपाल सिंह बताते हैं कि दुर्लभ हस्तलिखित श्री गुरु ग्रंथ साहिब क्षत विक्षत हाल में जीर्णोद्धार के लिए दिल्ली भेजा गया था।

By Tilak RajEdited By: Updated: Fri, 24 Nov 2017 10:22 AM (IST)
Hero Image
गुरु तेग बहादुर की तपोस्थली में जीवंत हैं स्मृतियां

जौनपुर, सतीश सिंह। शिराज-ए-हिंद (जौनपुर) की सरजमीं को मेधा के साथ ही धार्मिक नगरी के रूप में भी पहचाना जाता है। उत्‍तर प्रदेश का यह जनपद सिखों के नौवें धर्मगुरु गुरु तेग बहादुर सिंह की तपस्थली के कारण अहम स्थान रखता है। रासमंडल स्थित गुरुद्वारे में उनकी तरफ से भेंट किए गए तीर व हस्तलिखित श्री गुरु ग्रंथ साहिब आज भी सुरक्षित हैं। इसे देखने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु, इतिहास प्रेमी व शोधार्थी आते हैं।

देश में जब मुगलों का आधिपत्य व मुगल सम्राट औरंगजेब का शासनकाल था और धार्मिक, सामाजिक दृष्टि से परिस्थितियां प्रतिकूल थीं। इस माहौल में गुरु तेग बहादुर सिंह देशाटन पर निकले। सिख धर्म के प्रचार-प्रसार के सिलसिले में असम से दिल्ली वापसी के समय 1670 में यहां आए थे। उन्होंने रासमंडल स्थित गुरुद्वारा की पवित्र भूमि पर तीन माह रहकर विश्राम और तप किया था। यहां से प्रस्थान करते समय वह अपनी अनेक बहुमूल्य वस्तुएं यहीं बतौर यादगार छोड़ गए थे, जो मछरहट्टा रासमंडल निवासी एक माली परिवार के यहां काफी समय तक पड़ी रहीं। इसी परिवार के स्व. गोविंद सिंह माली को ये वस्तुएं अपने पूर्वजों से प्राप्त हुईं जो बाद में गुरुद्वारा को प्रदान कर दी गईं।

इन वस्‍तुओं में गुरु तेग बहादुर सिंह का लोहे का तीर और गुरु ग्रंथ साहिब की हस्तलिखित प्रति भी सम्मिलित थी। करीब 47 वर्ष पूर्व 1970 में ये दुर्लभ वस्तुएं गुरुद्वारा को प्राप्त हुईं। इस तीर की लंबाई करीब डेढ़ फीट व गोलाई कनिष्ठिका के समान है जिसका अगला भाग छिद्रित, पतला व नुकीला होता चला गया है।

ऐसा अनुमान है कि तीर के इस छेद में मोरपंख अथवा पुष्प गुच्छा लगाकर प्रहार किया जाता रहा होगा। तीर का वजन करीब सौ ग्राम है। इसी प्रकार 1430 पृष्ठों की गुरु ग्रंथ साहिब की यहां रखी गई हस्तलिखित प्रति सफेद रंग के उत्तम कोटि के कागज पर काली रोशनाई से स्पष्ट अक्षरों में लिखी गई है। यह शताब्दियों से कहीं से धूमिल और खराब नहीं हुई। मगर रख रखाव के अभाव में बीते कुछ वर्षों में इस ग्रंथ को थोड़ी क्षति भी पहुंची है।


हरभजन सिंह की जुबानी
वयोवृद्ध हरभजन सिंह व अधिवक्ता गुरुवीर सिंह ने बताया कि यहां दर्शन के लिए धर्मावलंबी बराबर आते रहते हैं। यहां रखी गुरु तेग बहादुर सिंह की हस्तलिखित प्रति शोध व इतिहास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। लोग दूर-दूर से इसे देखने ही नहीं, बल्कि आस्था भी प्रकट करते हैं।

ग्रंथ का हुआ जीर्णोद्धार
ग्रंथी ज्ञानी जीउपाल सिंह बताते हैं कि दुर्लभ हस्तलिखित श्री गुरु ग्रंथ साहिब क्षत विक्षत हाल में जीर्णोद्धार के लिए दिल्ली भेजा गया था। जिसके सुधार में दो लाख रुपये खर्च आया। यह दो साल बाद मरम्मत कराकर वापस मंगा लिया गया है। उसे यहां बेहद सावधानी पूर्वक सुरक्षित रखा गया है।

यह भी पढ़ें: गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर सजाए धार्मिक दीवान