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गोवंश हत्या पर पाबंदी को न बनाएं धार्मिक व प्रतिष्ठा का मुद्दा: कोर्ट

बांबे हाईकोर्ट ने सोमवार को मुंबई के गोमांस विक्रेताओं को राहत देने से इंकार कर दिया। अदालत ने लोगों से आग्रह किया कि वे महाराष्ट्र में गाय, बैल और बछड़ों के काटने पर लगी रोक को धार्मिक और प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं।

By Rajesh NiranjanEdited By: Updated: Tue, 10 Mar 2015 07:10 AM (IST)
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मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने सोमवार को मुंबई के गोमांस विक्रेताओं को राहत देने से इंकार कर दिया। अदालत ने लोगों से आग्रह किया कि वे महाराष्ट्र में गाय, बैल और बछड़ों के काटने पर लगी रोक को धार्मिक और प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं।

जस्टिस वीएम कनादे और एआर जोशी की खंडपीठ ने कहा कि महाराष्ट्र एनिमल प्रिसरवेशन (संशोधन) एक्ट सरकारी गजट में अधिसूचित होने के बाद प्रभावी हो गया है। इसके तहत बैल और बछड़ों के अलावा गायों के काटने पर प्रतिबंध है। जस्टिस कनादे ने कहा, 'कानून के प्रभावी होने के बाद अब अगर ऐसा किया जाता है तो अधिकारी कार्रवाई करने के कर्तव्य से बंधे हैं। कृपया इसे धार्मिक और प्रतिष्ठा का मसला न बनाएं।' दरअसल बांबे सबबर्न बीफ डीलर्स वेलफेयर एसोसिएशन ने अदालत से उस याचिका में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था जिसमें गोवंश रक्षा संवर्धन परिषद ने नया कानून लागू करने की मांग की थी। इसके पहले एसोसिएशन के वकील ने दावा किया कि नया कानून सिर्फ अधिसूचित किए जाने के बाद ही प्रभावी होगा। इस पर सोमवार को राज्य सरकार की ओर से अधिसूचना दाखिल किए जाने के बाद अदालत ने कहा कि वह कोई राहत नहीं दे सकती है। हाल ही में राष्ट्रपति से नए कानून को मंजूरी मिली थी। इसके तहत गोमांस की बिक्री या रखने पर पांच साल जेल और दस हजार रुपये जुर्माने की सजा हो सकती है।

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