फंड की कमी से जुझ रहे रेलवे को अस्पताल चलाने की जरूरत नहीं: दीपक पारेख
जाने-माने बैंकर दीपक पारेख का कहना है कि ब रेलवे खुद ही अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड की कमी से जूझ रहा है, उसे अस्पताल चलाने की जरूरत नहीं होनी चाहिए।
मुंबई (प्रेट्र)। ऐसे समय जब रेलवे खुद ही अपने इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड की कमी से जूझ रहा है, उसे अस्पताल चलाने की क्या जरूरत है। जाने-माने बैंकर दीपक पारेख ने इसे लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि जब रेलवे को बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़ी योजना के लिए साढ़े आठ लाख करोड़ रुपये चाहिए, तो उसे अपने संसाधन इधर-उधर खर्च नहीं करने चाहिए। फिलहाल रेलवे 125 अस्पताल, 600 पॉली क्लीनिक और 100 स्कूल चला रहा है।
इंडियन मर्चेट्स चैंबर के सेमिनार में एचडीएफसी के चेयरमैन पारेख ने कहा कि यह सही समय है कि रेलवे सावधानी से अपनी वित्तीय स्थिति और संपत्तियों का मूल्यांकन करे। अगर उसके पास संसाधन बेहद सीमित हैं तो उसे सबसे पहले मूल संपत्तियों के निर्माण पर ध्यान देने की जरूरत है। रेलवे को अपनी अन्य संपत्तियों को अलग कर उसका संचालन किसी और को सौंप देना चाहिए।
माली हालत सुधारने की जरूरत पर ध्यान दिलाते हुए उन्होंने इस ओर अंगुली उठाई कि रेलवे ने बीते साल एक रुपये कमाने के लिए 93 पैसे खर्च किए। इस साल रेलवे पर सातवें वेतन आयोग के रूप में 28,000 करोड़ रुपये का बोझ अतिरिक्त पड़ा है। ऐसे में दुर्लभ संसाधनों का बेहद सावधानी से आवंटन किया जाना चाहिए। उसे अस्पताल, क्लीनिक और स्कूल का संचालन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा रेलवे को अपने पास मौजूद फालतू जमीनों को मॉनेटाइज करना चाहिए। उन्होंने रेलवे की बेहद सस्ते यात्री किरायों की नीति पर भी सवाल खड़े किए।
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